Move to Jagran APP

Co-Location Scam Case: दिल्ली हाईकोर्ट से रामकृष्ण को मिली जमानत, मनी लांड्रिंग मामले में ED को नोटिस

Co-Location Scam Case पीठ ने ईडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।रामकृष्ण की तरफ से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जान ने कहा उनके मुवक्किल के विरुद्ध कोई अपराध नहीं बनाया गया था और आरोप भी मनी लांड्रिंग के अंतर्गत नहीं आते हैं।

By Vineet TripathiEdited By: Pradeep Kumar ChauhanPublished: Thu, 29 Sep 2022 01:29 AM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2022 05:32 AM (IST)
Co-Location Scam Case: दिल्ली हाईकोर्ट से रामकृष्ण को मिली जमानत, मनी लांड्रिंग मामले में ED को नोटिस
Co-Location Scam Case: ईडी ने इसके बाद 14 जुलाई को फोन टैपिंग मामले में रामकृष्ण को गिरफ्तार किया था।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]।   Co-Location Scam Case: को-लोकेशन घोटाला मामले में आरोपित नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण और पूर्व समूह संचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम को दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन की पीठ ने बुधवार को जमानत दे दी।हालांकि, फोन टैपिंग से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में आरोपित रामकृष्ण अभी जेल से बाहर नहीं आ सकेंगी।

loksabha election banner

मनी लांड्रिंग मामले में जमानत की मांग को लेकर दायर रामकृष्ण की याचिका पर न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने ईडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।रामकृष्ण की तरफ से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जान ने कहा उनके मुवक्किल के विरुद्ध कोई अपराध नहीं बनाया गया था और आरोप भी मनी लांड्रिंग के अंतर्गत नहीं आते हैं।

स्टाक एक्सचेंज में अनियमितताओं के बारे में ताजा खुलासे के बीच मई 2018 में को-लोकेशन मामले में प्राथमिकी की गई थी।निचली अदालत द्वारा अग्रिम जमानत अर्जी खारिज होने पर सीबीआइ ने आनंद सुब्रमण्यम को 24 फरवरी और रामकृष्ण को छह मार्च को गिरफ्तार किया था।ईडी ने इसके बाद 14 जुलाई को फोन टैपिंग मामले में रामकृष्ण को गिरफ्तार किया था।

रामकृष्ण अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक एनएसई के एमडी और सीईओ थी।12 मई को राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ने रामकृष्ण और सुब्रमण्यम को जमानत देने से इन्कार कर दिया था।घोटाला मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) ने वर्ष 2018 में आइपीसी की धारा-204 (दस्तावेज़ या इलेक्ट्रानिक साक्ष्य को नष्ट करना) और 120 बी (आपराधिक षड़यंत्र रचने) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी की थी। 

उधर, इंडियाबुल्स हाउसिंग एंड फाइनेंस लिमिटेड (आइएचएफएल) और इसके कर्मचारियों के खिलाफ चल रही धन शोधन निवारण अधिनियम(पीएमएलए)- 2002 की कार्यवाही को रद करते हुए कहा कि आरोपित के खिलाफ प्राथमिकी रद करने के बाद पीएमएलए की कार्यवाही नहीं हो सकती है।

विजय मदनलाल चौधरी बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए न्यायमूर्ति अनीश दयाल और न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने आइएचएफएल के कर्मचारियों के विरुद्ध आगे कोई भी कठोर कार्यवाही न करने का निर्देश दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.