जख्मी होने के बाद भी दुश्मन की ओर बढ़ते रहे इस जांबाज के कदम, आतंकी को मारकर ली अंतिम सांस
राजीव की वर्ष 1996 में मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित सेना कैंप में भर्ती हुई थी। ट्रेनिंग के दौरान वह साथी जवानों से कहते थे कि जल्द ही पाकिस्तान से युद्ध हो, जिससे कि उन्हें अपना पराक्रम दिखाने का मौका मिल सके।
गाजियाबाद [गौरव शशि नारायण]। फौजी चाहे कितना ही जख्मी क्यों न हो जाए उसके कदम हमेशा दुश्मन की ओर ही बढ़ते हैं। वह आखिरी सांस तक लड़ता है और दुश्मनों को मारता है। बात सात अक्टूबर की है। जम्मू-कश्मीर के बारामुला में कायर आतंकियों ने हमला कर दिया। 29 राष्ट्रीय राइफल्स के जांबाज योद्धा राजीव सिसोदिया (26) ने उनसे लोहा लिया। हमले में गंभीर रूप से जख्मी होने के बावजूद इस शेर के कदम आगे बढ़े और एक आतंकी को मारकर अंतिम सांस ली।
बेटे की कमी महसूस होती है, लेकिन शहादत पर गर्व
बुजुर्ग पिता शीशपाल और मां मधुबाला को बेटे की कमी महसूस होती है, लेकिन उन्हें देश के लिए जान न्यौछावर करने वाले अपने लाल पर नाज है। साहिबाबाद के लाजपत नगर सी-ब्लॉक में रह रहे शीशपाल हिंडन एयरफोर्स स्टेशन के सीपीडब्ल्यूडी में नौकरी करते थे। तीन बेटों में दूसरे नंबर के बेटे राजीव शुरू से ही देश पर मरने मिटने की बातें किया करते थे। वर्ष 1996 में उन्होंने सेना में जाने की तैयारी शुरू की। राजीव की पहली पोस्टिंग जबलपुर में हुई। इसके बाद 29 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनाती मिल गई। 7 अक्टूबर को बारामुला में हुए आतंकी हमले में राजीव सहित कई जवान शहीद हो गए। जवाबी कार्रवाई में सभी चार आतंकी मारे गए थे।
पाकिस्तान से लड़ना चाहते थे युद्ध
राजीव की वर्ष 1996 में मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित सेना कैंप में भर्ती हुई थी। ट्रेनिंग के दौरान वह साथी जवानों से कहते थे कि जल्द ही पाकिस्तान से युद्ध हो, जिससे कि उन्हें अपना पराक्रम दिखाने का मौका मिल सके। उन्हें देशभक्ति गीत और रेडियो पर फौजियों से संबंधित कार्यक्रम सुनना बेहद पसंद था।
मोहल्ले के भी लाडले थे राजीव
मां मधुबाला बताती हैं कि राजीव के बड़े भाई राजेश और छोटे भाई अमित दोनों निजी क्षेत्र में कार्यरत हैं। राजीव बहुत ही मिलनसार और हंसमुख स्वभाव के थे। सेना में भर्ती होने के बाद पहली बार घर छुट्टी में आने पर उन्होंने आसपास रहने वाले बच्चों के साथ खूब मस्ती की थी।