Delhi: कोरोना से मरने वालों की अस्थियां गंगा में विसर्जित करेंगे राजेश्वरानंद
राजेश्वरानंद महाराज ने कहा कि वह एक दिन निगमबोध घाट गए तो पता चला कि कोरोना से जान गंवाने वालों की कई लोगों की अस्थियां एक कोने में पड़ी हैं।
नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। कोरोना ने दुनिया को वो दिन भी दिखा दिया जब इस बीमारी से जान गंवाने वालों को उपेक्षा का ऐसा दर्द मिला, जो उन्हें जीवित रहते नहीं मिला। मरने के बाद बहुत से लोगों की चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई और परिवार वाले दगा देकर अपने घर निकल लिए। उनकी अस्थियों को पूछा तक नहीं। इस कोरोना काल में जहां अपनों ने इंसानियत को शर्मसार किया है, वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जो उनके अपने तो नहीं लेकिन इंसानियत उनमें जिंदा है। उन्हीं में से एक हैं शाहदरा के वेस्ट गोरख पार्क स्थित श्रीराजमाता झंडे वाला मंदिर के स्वामी राजेश्वरानंद महाराज। निगम बोध घाट में ऐसे कई कोरोना से जान गंवाने वालों की अस्थियां रखी हुई हैं, जिनके परिवार वाले अस्थियां ले जाना तो दूर उनका अंतिम संस्कार करने तक नहीं आए कि कहीं उन्हें भी संक्रमण न हो जाए।
राजेश्वरानंद महाराज ने कहा कि वह एक दिन निगमबोध घाट गए तो पता चला कि कोरोना से जान गंवाने वालों की कई लोगों की अस्थियां एक कोने में पड़ी हैं। उसी वक्त उन्होंने संकल्प लिया कि वह सनातन परंपरा के अनुसार इन अस्थियां को गंगा में विसर्जित करेंगे। ताकि उन लोगों की आत्मा को शांति मिल सके। उन्होंने बताया कि सुंदरकांड का पाठ करने के बाद 50 अस्थियों को वह हरिद्वार के कनखल में सतिघाट पर विसर्जित करेंगे। इसके बाद गंगातट पर साधु संतों के लिए भंडारा किया जाएगा।
स्वामी खुद हो गए थे संक्रमित: स्वामी राजेश्वरानंद महाराज ने बताया कि लॉकडाउन में एक शख्स की कोरोना से मौत हो गई थी, परिजनों ने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था। उन्होंने ही उस शख्स का अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर किया। अंतिम संस्कार के कुछ दिनों बाद वह खुद संक्रमित हो गए थे, इसके बाद उन्होंने खुद को आइसोलेट कर लिया था। ठीक होने पर वापस सेवा में लग गए।