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राघव चड्ढा ने संसद में उठाया श्री करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं का मुद्दा, 20 डॉलर फीस बंद करने की मांग

राघव चड्ढा ने संसद में श्री करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि तीर्थयात्री को दर्शन करने जाने के लिए 20 डॉलर यानी करीब 1600 रुपये का शुल्क देना पड़ता है। इस शुल्क वसूली को बंद कर दिया जाए।

By Jagran NewsEdited By: Amit SinghPublished: Fri, 09 Dec 2022 06:37 PM (IST)Updated: Fri, 09 Dec 2022 06:37 PM (IST)
राघव चड्ढा ने संसद में उठाया श्री करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं का मुद्दा, 20 डॉलर फीस बंद करने की मांग
संसद में उठा श्री करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं का मुद्दा (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो: आम आदमी पार्टी(आप) के वरिष्ठ नेता और पंजाब से राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने शुक्रवार को संसद में श्री करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं का अहम मुद्दा उठाया। राघव चड्ढा ने कहा कि कुछ साल पहले जब श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोला गया था तो पूरी दुनिया श्री गुरु नानक देव जी के रंग में रंग गई थी।

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श्रद्धालुओं के लिए पासपोर्ट बड़ी समस्या

चड्ढा ने कहा कि श्री करतारपुर साहिब गुरुद्वारा के दर्शन के लिए हर व्यक्ति वहां जाना चाहता है, लेकिन श्रद्धालुओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पहली समस्या पासपोर्ट की है। आपके पास पासपोर्ट होना जरूरी है। अगर आपके पास पासपोर्ट नहीं है तो आप श्री करतारपुर साहिब नहीं जा सकते। भारत सरकार को इस अहम मुद्दे को पाकिस्तान सरकार के सामने उठाना चाहिए।

तीर्थयात्रियों से बंद हो वसूली

दूसरी समस्या यह है कि हर तीर्थयात्री को दर्शन करने जाने के लिए 20 डॉलर यानी करीब 1600 रुपये का शुल्क देना पड़ता है। अगर परिवार के 5 सदस्य हर साल जाना चाहें तो उन्हें साल के 8 हजार रुपए खर्च करने होंगे। इस शुल्क वसूली को बंद कर दिया जाए ताकि श्रद्धालु आराम से श्री करतारपुर साहिब जा सकें।

रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को करें सरल

तीसरी समस्या ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से संबंधित है, जो अभी काफी जटिल है। इसे सरल किया जाए ताकि संगत को परेशानी का सामना ना करना पड़े और उनका समय बर्बाद न हो। चड्ढा ने कहा कि इन समस्याओं का समाधान हो जाने से गुरु और संगत के बीच की दूरी कम हो सकेगी।

करतारपुर साहिब कॉरिडोर बहुत अहम

इतिहास के लिहाज से श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर बहुत अहमियत रखता है। ये सिख धर्म के पहले गुरु गुरुनानक देव जी की कर्मस्थली है। माना जाता है कि 22 सितंबर 1539 को इसी जगह गुरुनानक देव जी ने अपना शरीर त्यागा था। उनके निधन के बाद उस पवित्र भूमि पर गुरुद्वारा साहिब का निर्माण कराया गया था। विभाजन के बाद यह गुरुद्वारा पाकिस्तान के हिस्से में चला गया था, लेकिन दोनों मुल्कों के लिए यह आज भी आस्था के सबसे बड़े केंद्र में से एक है।


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