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दिल्ली सरकार की समिति की जांच रिपोर्ट पर सवाल, दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर, पढ़ें पूरा मामला

याचिकाकर्ता ने रिपोर्ट को गलत बताते हुए की जयपुर गोल्डन अस्पताल में हुई मौत मामले की सीबीआइ जांच की मांग- याचिका में कहा रिपोर्ट में आक्सीजन की कमी को नहीं बताया गया दम घुटने का कारण

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 28 May 2021 03:13 PM (IST)Updated: Fri, 28 May 2021 03:13 PM (IST)
दिल्ली सरकार की समिति की जांच रिपोर्ट पर सवाल, दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर, पढ़ें पूरा मामला
जयपुर गोल्डन अस्पताल में हुई मौत मामले की सीबीआइ जांच की मांग।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जयपुर गोल्डन अस्पताल में 23-24 अप्रैल की रात हुई मौत के मामले में दिल्ली सरकार की समिति की जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने जांच कमेटी की रिपोर्ट को गलत बताते हुए इसे रद करने और मामले की केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) से जांच कराने की मांग की है। याचिकाकर्ता ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार मरीजों के दम घुटने का कारण आक्सीजन की कमी को नहीं बताया गया है। अधिवक्ता उत्सव बेंस के माध्यम से याचिका दायर कर कुछ मृतकों के आश्रितों व स्वजन ने दलील दी कि मरीजों की मौत आक्सीजन की कमी से हुई थी न की गंभीर बीमारी के कारण जैसा की समिति की रिपोर्ट में बताया गया है।

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लिहाजा, मामले की स्वतंत्र एजेंसी जांच कर सच्चाई सामने लाए। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि आक्सीजन की कमी से मौत होने की जानकारी होने के बाद भी केंद्र व दिल्ली सरकार के साथ अस्पताल की निष्कि्रयता और विफलता के कारण ये घटना हुई थी। ऐसे में प्रतिवादी मृतक पीडि़तों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान करने के जिम्मेदार हैं। केंद्र व दिल्ली सरकार के साथ अस्पताल की कानूनन व नैतिक जिम्मेदारी थी कि आक्सीजन की आपूर्ति न होने के कारण किसी की मौत न हो।

दिल्ली सरकार के पक्ष में तैयार की गई रिपोर्ट

समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए याचिका में दावा किया गया है कि यह गलत है और दिल्ली सरकार के पक्ष में तैयार की गई है। अदालत को गुमराह करने के लिए रिपोर्ट में कहा गया है कि मृतक किसी प्रकार की आक्सीजन थेरेपी प्राप्त कर रहे थे। कमेटी ने अस्पताल में आक्सीजन की मांग और आपूर्ति के मामले की न तो जांच की और न ही पीडि़तों के परिवारों का बयान ही दर्ज किया। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों के स्वजन को आक्सीजन की कमी की जानकारी भी नहीं दी, वरना वे अपने स्तर पर आक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम कर अपने मरीज की जान बचाने का प्रयास करते।


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