Move to Jagran APP

DDA News: डीडीए के 18 हजार करोड़ के फ्लैट को जनता ने नकारा, योजना में नहीं बिक सके 15,500 आवास

Delhi DDA Flats अधिकारियों के मुताबिक डीडीए के हालात खराब होना 2016-17 में शुरू हुए। वजह 2014 से डीडीए के फ्लैटों की मांग गिरती चली गई। 2014 में आवासीय योजना में जो फ्लैट शामिल किए गए वो अपने छोटे साइज की वजह से लोगों को पसंद नहीं आए।

By Pradeep Kumar ChauhanEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2022 10:26 PM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2022 10:26 PM (IST)
Delhi DDA Flats: मेट्रो के फेज-4 में रिठाला-बवाना-नरेला रूट पहले ही प्रस्तावित है।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Delhi DDA Flats: दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के लगभग 15,500 फ्लैट बिक ही नहीं पा रहे हैं। इनकी कीमत भी करीब 18,000 करोड़ रुपये बताई जा रही है। गलत प्ला¨नग व जनता की जरूरत को न समझने की वजह से ही डीडीए इस समय बड़ी आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। यहां के सेवानिवृत्त कर्मियों को समय पर पेंशन भी नहीं मिल पा रही है।

loksabha election banner

पिछले दिनों एलजी और डीडीए अध्यक्ष वीके सक्सेना ने भी डीडीए की आर्थिक स्थिति को लेकर एक ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने बताया था कि 2019-20 से 2021-22 के दौरान डीडीए की आमदनी 3,578.69 करोड़ की है। कुल खर्चा 6,787.83 करोड़ का है। यानी डीडीए 3209.14 करोड़ के घाटे में हैं। इतना ही नहीं, 2016-17 से 2021-22 के दौरान डीडीए पर 8915 करोड़ की लोन देनदारी भी है।

ट्वीट में लिखा गया कि डीडीए राजधानी के सबसे महंगे और बडे़ रियल इस्टेट का मालिक है, लेकिन कुप्रबंधन की वजह से ही उसके आर्थिक हालात खराब हो गए हैं। एलजी ने इस पर लोगों से सुझाव भी मांगे थे।अधिकारियों के मुताबिक डीडीए के हालात खराब होना 2016-17 में शुरू हुए। वजह, 2014 से डीडीए के फ्लैटों की मांग गिरती चली गई। 2014 में आवासीय योजना में जो फ्लैट शामिल किए गए, वो अपने छोटे साइज की वजह से लोगों को पसंद नहीं आए।

इसके अलावा डीडीए के फ्लैटों की खराब डिजाइनिंग, प्राइवेट बिल्डरों की तुलना में अधिक कीमत और फ्लैटों का आउटर क्षेत्र में ऐसी जगह स्थित होना रहा जहां आसपास कनेक्टिविटी सहित दूसरी अनिवार्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहा।अधिकारियों की मानें तो इन फ्लैटों को बेचने के लिए डीडीए ने कई कदम उठाए। फ्लैटों के आसपास ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाए गए, तीसरी रिंग रोड यानी यूइआर-2 को इन नए सेक्टरों से जोड़ा गया, दो फ्लैट को जोड़ने की स्कीम लाई गई, पहले आओ पहले पाओ को भी आजमाया गया।

लेकिन कोई खास लाभ नहीं हुआ। 2014 के बाद से अब तक डीडीए अपनी आवासीय योजनाओं में करीब 57 हजार फ्लैट में ला चुका है। इनमें से करीब 15500 फ्लैट लोगों ने या तो वापस कर दिए या बिक ही नहीं पाए। अकेले नरेला में डीडीए के 25,000 फ्लैट विभिन्न ग्रुप हाउसिंग पाकेट में तैयार हो चुके हैं। इन्हें बेचने के लिए डीडीए कोशिश कर रहा है।

डीडीए के अनुसार नरेला में मेट्रो समेत कई प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है। इससे नरेला के फ्लैट्स की कनेक्टिविटी में सुधार होगा। डीडीए यहां कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए डीएमआरसी के साथ मिलकर काम कर रहा है। मेट्रो के फेज-4 में रिठाला-बवाना-नरेला रूट पहले ही प्रस्तावित है।

इस संदर्भ में डीडीए डीएमआरसी के साथ कई बैठक कर चुका है। इनमें डीडीए ने डीएमआरसी और अन्य स्टेक होल्डरों के साथ मिलकर इस प्रस्तावित लाइन के एलाइनमेंट पर बात की है ताकि यह रूट नरेला सब सिटी में निर्मित अधिकाधिक हाउसिंग पाकेट और लैंड पूलिंग एरिया को कनेक्टिविटी दे सके।

नरेला में मेट्रो को लाने के लिए डीडीए ने फंड भी मंजूर कर दिया है और इसमें से मेट्रो के प्रस्तावित रूट के लिए 130 करोड़ रुपये का बजट डीएमआरसी को दिया भी जा चुका है। ताकि मेट्रो का काम यहां समय पर शुरू हो और पूरा भी हो सके। इसके अलावा डीडीए एनएचएआइ से भी संपर्क में है ताकि अर्बन एक्शन रोड को भी नरेला सब सिटी से जोड़ा जा सके।

फ्लैट न बिकने के कुछ प्रमुख कारण

फ्लैटों का साइज छोटा होना-फ्लैटों के आसपास ट्रांसपोर्ट, एटीएम व बाजारों व सुरक्षा की कमी-डीडीए के फ्लैटों का प्राइवेट बिल्डरों के बनाए फ्लैटों से महंगा होना-डीडीए के द्वारका में आए एमआइजी श्रेणी के फ्लैटों का ड्रेन के पास होना।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.