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पढ़िए- कैसे हार्ट की बीमारी से जूझ रहे करोड़ों लोगों के लिए नई उम्मीद है CCM

कार्डियक कांट्रैक्टिलिटी मॉड्यूलेशन उन्हीं मरीजों के लिए फायदेमंद है जिनकी ईसीजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी) में बायें बंडल ब्रांच में ब्लॉकेज हो।

By Edited By: Published: Sun, 26 May 2019 08:37 PM (IST)Updated: Mon, 27 May 2019 09:09 PM (IST)
पढ़िए- कैसे हार्ट की बीमारी से जूझ रहे करोड़ों लोगों के लिए नई उम्मीद है CCM
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नई दिल्ली, जेएनएन। हृदय की बीमारियों के बढ़ने के साथ ही हार्ट फेल्योर के मामले भी बढ़ रहे हैं। इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के हृदय की कार्यक्षमता कम होने लगती है, इसलिए हृदय ठीक से काम नहीं कर पाता। वैसे तो इसके इलाज के लिए पहले से पेसमेकर और कृत्रिम हृदय जैसे उपकरण उपलब्ध हैं पर इन उपकरणों का इस्तेमाल सीमित मरीज ही कर पाते हैं। ऐसे में  ज्यादातर मरीजों के लिए इलाज का विकल्प तलाशना मुश्किल होता है।

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पीएसआरआइ (पुष्पावति सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट) अस्पताल के हार्ट इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित सम्मेलन में डॉक्टरों ने हार्ट फेल्योर के इलाज की नवीनतम तकनीकों पर चर्चा की, जिसमें यह बात समाने आई की सीसीएम (कार्डियक कांट्रैक्टिलिटी मॉड्यूलेशन) थेरेपी हार्ट फेल्योर के मरीजों के इलाज के लिए एक नई उम्मीद है। यह एक अत्याधुनिक पेसमेकर है। उम्मीद है कि जल्द ही देश में भी यह सुविधा उपलब्ध होगी।

पीएसआरआइ हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ. टीएस क्लेर ने कहा कि हार्ट फ्लोयर के अंतिम स्टेज की बीमारी से पीड़ित मरीजों को सीआरटी (कार्डियक रिसिंक्रोनाइजेशन थेरेपी) की जाती है। इसके तहत विशेष तरह का पेसमेकर लगाया जाता है, जिससे हृदय के पंप करने की क्षमता बढ़ जाती है, लेकिन यह उन्हीं मरीजों के लिए फायदेमंद है, जिनकी ईसीजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी) में बायें बंडल ब्रांच में ब्लॉकेज हो। इस तरह हार्ट फेल्योर के 30 फीसद मरीजों के इलाज में ही इस तरह का पेसमेकर असरदार साबित हो पाता है। 70 फीसद मरीजों में यह कारगर नहीं होता। उन मरीजों के इलाज के लिए हृदय प्रत्यारोपण व लेफ्ट वेंट्रिकल एसिस्ट डिवाइस (एलवीएडी) विकल्प रह जाता है।

हृदय प्रत्यरोपण की सुविधा कई अस्पतालों में उपलब्ध है और यह सबसे ज्यादा बेहतर भी है पर दिक्कत यह है कि अंगदान बहुत होता है, इसलिए बहुत कम मरीजों का हृदय प्रत्यारोपण हो पाता है। एलवीएडी उपकरण कृत्रिम हृदय की तरह काम करता है। इसके इस्तेमाल से 10 साल से अधिक समय तक मरीज जीवन व्यतीत कर सकते हैं, लेकिन इसका खर्च 70 लाख है। इसलिए कुछ चुनिंदा मरीज ही इसका इस्तेमाल कर पाने में सक्षम होते हैं।

उन्होंने कहा कि कई यूरोपियन देशों में सीसीएम थेरेपी का इस्तेमाल हो रहा है। यह एक अत्याधुनिक पेसमेकर की तरह है। इसमें तीन तार हृदय में डालते हैं। एक तार को दायें एट्रियम में और दो तार दायें वेंट्रिकल और सेप्टम में डाला जाता है और इसमें अधिक वोल्ट (7.7 वोल्ट) पर इंपल्स दिया जाता है। इससे हृदय में कैल्सियम के मेटामोलिजम के साथ कार्यक्षमता बढ़ जाती है। इसके आने से मरीजों को इलाज का एक नया विकल्प उपलब्ध होगा। हालांकि इसकी कीमत भी करीब 18 लाख रुपये है।

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