Move to Jagran APP

Delhi Tourism: बदहाली ने रोकी यमुना में परिवहन की रफ्तार, वाटर टैक्सी चलाने का प्रस्ताव अधर में

Delhi Tourism केंद्र सरकार की पहल पर भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आइडब्ल्यूएआइ) ने यमुना में वाटर टैक्सी चलाने का महत्वाकांक्षी प्रस्ताव तैयार किया। पांच टर्मिनल बनाकर देने का बीड़ा भी उठाया लेकिन दिल्ली सरकार ने व्यावसायिक रूप से व्यावहारिक न बताते हुए इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

By Jp YadavEdited By: Published: Tue, 06 Jul 2021 09:54 AM (IST)Updated: Tue, 06 Jul 2021 09:54 AM (IST)
Delhi Tourism: बदहाली ने रोकी यमुना में परिवहन की रफ्तार, वाटर टैक्सी चलाने का प्रस्ताव अधर में
Delhi Tourism: बदहाली ने रोकी यमुना में परिवहन की रफ्तार, वाटर टैक्सी चलाने का प्रस्ताव अधर में

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। सरकारी निष्क्रियता कहें या फिर अनदेखी, यमुना की सफाई के बाद अब इसके पर्यटनस्थल बनने का सपना भी बिखर चुका है। केंद्र सरकार की पहल पर भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आइडब्ल्यूएआइ) ने यमुना में वाटर टैक्सी चलाने का महत्वाकांक्षी प्रस्ताव तैयार किया। पांच टर्मिनल बनाकर देने का बीड़ा भी उठाया, लेकिन दिल्ली सरकार ने व्यावसायिक रूप से व्यावहारिक न बताते हुए इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। यमुना में प्रदूषण का स्तर तो बढ़ा ही है, इसमें जगह-जगह गाद भी इकट्ठा है। कहीं पानी का स्तर कम है तो कहीं ज्यादा। काश, इसकी साफ-सफाई का ठीक प्रकार से ध्यान दिया गया होता तो वाटर टैक्सी ने यमुना में रफ्तार पकड़ ली होती और पर्यटन की अपार संभावनाओं के दरवाजे भी खुल जाते। देश-दुनिया में शहरों के बीच से गुजरने वाली तमाम नदियों के मामले में ऐसा हुआ भी, लेकिन यमुना में ऐसे अवसर ही नहीं उभरे। केंद्र सरकार ने एनसीआर में यमुना नदी में वाटर टैक्सी चलाने की योजना बनाई। इस योजना को क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी आइडब्ल्यूएआइ को दी गई। वर्ष 2019 में तत्कालीन केंद्रीय नौवहन मंत्री मनसुख मंडाविया ने सोनिया विहार में आइडब्ल्यूएआइ की इस वाटर टैक्सी परियोजना का जायजा भी लिया। उनका कहना था कि इस सेवा के शुरू होने से न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि सड़कों पर बढ़ रहे ट्रैफिक की वजह से जलमार्ग के जरिये भी लोगों को यात्रा करने का मौका मिलेगा।

loksabha election banner

बनाए जाने थे पांच टर्मिनल

योजना के तहत दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सूरघाट (सोनिया विहार) से ट्रोनिका सिटी (गाजियाबाद) के बीच 16 किलोमीटर के दायरे में पांच स्थानों पर टर्मिनल सुविधा विकसित की जानी थी। वहां फ्लो¨टग जेटी बनाए जाने थे ताकि वहां वाटर टैक्सी को पार्क किया जा सके। इनमें वजीराबाद, सोनिया विहार, गाजियाबाद की ट्रोनिका सिटी, जगतपुर और फतेहपुर जाट के नाम शामिल थे।

पर्यावरण अनुकूल भी थी योजना

इस मार्ग पर जो वाटर टैक्सी चलाई जानी थी वे बैटरी से चलने वाली थीं। इनके सफल न होने पर डीजल से चलने वाली वाटर टैक्सी भी चलाई जा सकती थीं। इस बारे में कुछ और विकल्पों पर भी विचार हो रहा था। इस परियोजना पर एनजीटी से भी पहले ही हरी झंडी ली जा चुकी थी।

नितिन गडकरी ने की थी परियोजना की शुरुआत

यमुना नदी में वाटर टैक्सी चलाने की परिकल्पना पूर्व नौवहन मंत्री नितिन गडकरी की थी। उन्होंने ही सोनिया विहार से फतेहपुर जाट और दिल्ली से आगरा तक वाटर टैक्सी चलाने के लिए काम शुरू कराया था, लेकिन दिल्ली से आगरा तक नदी में पर्याप्त पानी नहीं होने से पहले वजीराबाद से फतेहपुर जाट की तरफ काम शुरू किया गया था।

दिल्ली सरकार ने नहीं दी सहमति

केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव पर दिल्ली सरकार ने एक समिति गठित की गई। बाद में समिति के हवाले ही इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इसके पीछे कई तर्क दिए गए। मसलन, यमुना में पानी की गहराई सभी जगह एक जैसी नहीं है। जहां पानी कम होगा, वहां वाटर टैक्सी के ब्लेड कटने की आशंका रहेगी। इसके अलावा यमुना में विभिन्न जगहों पर गाद और गंदगी होने से भी वाटर टैक्सी के परिचालन में बाधा उत्पन्न होगी।

इस प्रस्ताव को क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम की थी, लेकिन दिल्ली पर्यटन ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। हम लोग लोकेशन फाइनल करने के साथ साथ सभी टर्मिनल भी बनाकर देने को तैयार थे। बावजूद इसके दिल्ली पर्यटन ने यह कहकर इस पर काम करने से इन्कार कर दिया कि योजना व्यावहारिक नहीं है। इसके बाद इस योजना की फाइल ही बंद हो गई।-पी. श्रीनिवास, निदेशक, भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण

यमुना में वाटर टैक्सी चलाने की योजना व्यवसायिक दृष्टि से व्यावहारिक नहीं थी। जब सड़क मार्ग से लोगों के पास सस्ते परिवहन साधन पहले से उपलब्ध हैं तो वे वाटर टैक्सी का महंगा साधन क्यों लेंगे। नदी की गंदगी, प्रदूषण और जहां-तहां इसमें पानी की कम गहराई होना भी योजना के लिए अनुकूल नहीं थे। इसीलिए यह प्रस्ताव रद करना पड़ा।-मनोज कुमार, जनसंपर्क प्रबंधक, दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम

कहावत है कि जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो उसे कौन बचाए..। यमुना के साथ भी यही हो रहा है। तमाम जगहों से आने वाला बजट भी पता ही नहीं कहां खर्च हो जाता है। नेता सिर्फ वोट बैंक की चिंता करते हैं, जबकि अधिकारी नौकरी बचाने की। -भीम सिंह रावत, एसोसिएट कोआर्डिनेटर , साउथ एशिया नेटवर्क आन डैम रिवर एंड पीपल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.