इस बार डेंगू के टाइप-3 स्ट्रेन का संक्रमण, जानिये- यह कितना होता है खतरनाक
चिकनगुनिया में बुखार के साथ शरीर के जोड़ों में दर्द की परेशानी होती है। जब इन बीमारियों के मामले अधिक आ रहे हों तो बुखार के हर मरीज की जांच जरूरी नहीं होती।
नई दिल्ली (जेएनएन)। मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप बढ़ने लगा है। दिल्ली में डेंगू के अब तक 107, चिकनगुनिया के 35 और मलेरिया के 88 मामले सामने आ चुके हैं। इन बीमारियों की रोकथाम, बचाव के लिए किए जा रहे उपायों और अस्पतालों में इंतजाम पर दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशालय के महानिदेशक डॉ. कीर्ति भूषण से हमारे वरिष्ठ संवाददाता रणविजय सिंह ने बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश :
1. डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
- बारिश होने पर कई जगहों पर पानी जमा होता है। इस पानी में मच्छर पनपते हैं। इसलिए अगस्त से अक्टूबर के बीच मच्छर जनित बीमारियां अधिक होती हैं। अभी कुछ दिनों से डेंगू के भी कुछ मामले देखे जा रहे हैं। एक मादा मच्छर एक बार में 200 अंडे देती है। इसलिए मच्छरों को मारने से ज्यादा उनका प्रजनन रोकना जरूरी है। इसके लिए आवश्यक है कि कहीं पानी जमा न होने पाए। सभी 11 जिलों में स्वास्थ्य विभाग की टीम बनाई गई है। आरडब्ल्यूए (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) को रोकथाम के उपाए बताए गए हैं क्योंकि बीमारियों की रोकथाम में सबकी भागीदारी जरूरी है। सभी विभागों की निगरानी कमेटी बनाकर एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है। नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह टीम के साथ नियमित निरीक्षण कर यह सुनिश्चित करे कि खुले में या छत के ऊपर ऐसी बेकार चीजें न पड़ी हों जिसमें पानी जमा हो सके। ऐसे सभी तरह के कबाड़ हटाने के निर्देश दिए गए हैं। नगर निगम के डीबीसी (डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर) घर-घर जाकर जांच करते हैं और दवा डालते हैं।
2. अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए क्या प्रबंध किए गए हैं?
-अस्पतालों में बुखार की दवा, ओआरएस व डेंगू की जांच के लिए एनएस1 किट पर्याप्त मात्र में उपलब्ध कराई गई है। अस्पतालों में डेंगू पीड़ित मरीजों के लिए मच्छरदानी भी दी गई है क्योंकि मरीज को काटने के बाद मच्छर किसी और को काटता है तो उसे भी डेंगू हो सकता है। निजी अस्पतालों में भी बुखार के इलाज के लिए 10-20 फीसद बेड बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
3. यह देखा गया है कि सरकारी अस्पतालों में ज्यादातर मरीजों का इलाज बिना जांच के किया जाता है, क्या यह उचित है?
-बरसात में डेंगू व चिकनगुनिया के मरीज अधिक देखे जाते हैं। डेंगू में तेज बुखार के साथ दर्द, शरीर पर लाल दाने, आंखों के पीछे दर्द आदि की समस्या होती है। चिकनगुनिया में बुखार के साथ शरीर के जोड़ों में दर्द की परेशानी होती है। जब इन बीमारियों के मामले अधिक आ रहे हों तो बुखार के हर मरीज की जांच जरूरी नहीं होती। ऐसा दिशा-निर्देश तैयार करने वाली एजेंसियां भी मानती हैं। हालांकि अस्पतालों को स्पष्ट रूप से जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं।
4. एम्स से विभाग को रिपोर्ट मिली होगी। डेंगू की क्या स्थिति रहने वाली है?
-इस बार डेंगू के टाइप-3 स्ट्रेन का संक्रमण देखा जा रहा है। यह अधिक खतरनाक नहीं होता क्योंकि इसमें आंतरिक रक्त स्राव (हेमरेजिक) व शॉक सिंड्रोम की आंशका नहीं होती है। इसलिए इस बार डेंगू के संक्रमण का असर कम होगा। यह ज्यादा खतरनाक साबित नहीं होगा।
5. डेंगू, चिकनगुनिया के ज्यादातर मरीजों को अस्पताल भर्ती लेने से इन्कार कर देते हैं, क्या कोई दिशा निर्देश है?
-पहली बात यह कि हर मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं होती। डेंगू से पीड़ित मरीजों को तीन श्रेणियों में रखा जाता है। पहले श्रेणी में सामान्य व युवा मरीज होते हैं जिन्हें गंभीर लक्षण नहीं होते। ऐसे मरीजों को सिर्फ बुखार की दवा, ओआरएस व अन्य तरल पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है। दूसरे श्रेणी में छोटे बच्चे, बुजुर्ग व गर्भवती महिलाओं को रखा जाता है। इनमें डेंगू की पुष्टि होने पर अस्पताल में भर्ती किया जाना चाहिए। यह निर्देश सभी अस्पतालों को दिया गया है। इसके अलवा मधुमेह, किडनी, ब्लड प्रेशर व दिल की बीमारियों से पीड़ित मरीजों को डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया हो तो उन्हें भर्ती कराने की जरूरत होती है। तीसरे श्रेणी में गंभीर लक्षण वाले मरीज शामिल होते हैं, जिनमें प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाए व रक्तस्राव की आशंका हो।
6. प्लेटलेट्स की कालाबाजारी रोकने के क्या उपाए किए गए हैं?
- सबसे पहले इसके लिए लोगों को ही जागरूक होने की जरूरत है। हर मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं होती। जिन मरीजों में प्लेटलेट्स 20 हजार से नीचे चला जाए और रक्तस्राव की स्थिति हो, उन्हें ही इसकी जरूरत होती है। अनावश्यक रूप से प्लेटलेट्स नहीं चढ़ाया जाना चाहिए।
7. मच्छर जनित बीमारियों से बचाव के लिए लोगों को क्या सुझाव देंगे?
- घर के आसपास पानी जमा न होने दें। कूलर की नियमित सफाई करें। दिन में पूरे बाजू का कपड़ा पहनें। अंधेरा होने पर पार्को में न जाएं क्योंकि डेंगू व चिकनगुनिया फैलाने वाले एडीज मच्छर दिन में व मलेरिया का मच्छर रात मे काटता है। यदि बुखार हो तो डॉक्टर को दिखाकर ही दवा लें। तरल पदार्थ का इस्तेमाल ज्यादा करें। सबसे अधिक जरूरी है कि यदि बीमारी का लक्षण दिखे तो खुद से ही कभी भी दवा न लें। बिना देर किए डॉक्टर को दिखाएं। हालांकि बचाव ही सबसे अच्छा तरीका है। मच्छरों से जितना बच सकते हैं, उतना बचकर रहें। अपने साथ-साथ आस-पड़ोस के लोगों को भी जागरूक करें।पहले श्रेणी में सामान्य व युवा मरीज होते हैं जिन्हें गंभीर लक्षण नहीं होते। ऐसे मरीजों को सिर्फ बुखार की दवा, ओआरएस और अन्य तरल पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है। दूसरे श्रेणी में छोटे बच्चे, बुजुर्ग व गर्भवती महिलाओं को रखा जाता है। इनमें डेंगू की पुष्टि होने पर अस्पताल में भर्ती किया जाना चाहिए। ऐसे निर्देश सभी अस्पतालों को दिए गए हैं।
8. क्या जरूरी इंतजामात किए गए हैं?
पहले श्रेणी में सामान्य व युवा मरीज होते हैं जिन्हें गंभीर लक्षण नहीं होते। ऐसे मरीजों को सिर्फ बुखार की दवा, ओआरएस और अन्य तरल पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है। दूसरे श्रेणी में छोटे बच्चे, बुजुर्ग व गर्भवती महिलाओं को रखा जाता है। इनमें डेंगू की पुष्टि होने पर अस्पताल में भर्ती किया जाना चाहिए। ऐसे निर्देश सभी अस्पतालों को दिए गए हैं।