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नए बजट की तैयारी, लटकी पुरानी योजनाएं, फिर हवा हवाई ही साबित होंगी घोषणाएं

कुछ योजनाएं फाइलों से निकलीं भी तो वे परवान नहीं चढ़ पाई हैं। ऐसे में इस बार भी बजट की घोषणाएं हवा हवाई ही साबित होने वाली हैं।

By Amit MishraEdited By: Published: Sun, 18 Mar 2018 08:15 PM (IST)Updated: Mon, 19 Mar 2018 11:27 AM (IST)
नए बजट की तैयारी, लटकी पुरानी योजनाएं, फिर हवा हवाई ही साबित होंगी घोषणाएं

नई दिल्ली [जेएनएन]। तीन दिन बाद दिल्ली सरकार वर्ष 2018-19 का बजट पेश करने जा रही है, लेकिन पिछले बजट की योजनाएं अभी भी फाइलों में धूल फांक रही हैं। कुछ योजनाएं फाइलों से निकलीं भी तो वे परवान नहीं चढ़ पाई हैं। ऐसे में इस बार भी बजट की घोषणाएं हवा हवाई ही साबित होने वाली हैं।

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20 नए एयर मॉनिटरिंग स्टेशन

तय समय सीमा बीत जाने के बाद दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता जांच के लिए 20 नए एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगा तो दिए हैं, लेकिन अभी भी इन्होंने उचित परिणाम देना शुरू नहीं किया है। इनका ट्रायल ही खत्म नहीं हो पा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के नेटवर्क से भी इन्हें नहीं ही जोड़ा जा सका है।

नहीं बना वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू सेंटर

असोला भाटी के वन क्षेत्र को देखते हुए रजोकरी में वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू सेंटर के निर्माण की योजना बनाई गई थी। मकसद था कि इस सेंटर के जरिए वन्य जीवों का संरक्षण किया जाएगा, लेकिन इस योजना पर भी कोई काम नहीं हो पाया। यहां तक कि जमीन का अधिग्रहण तक नहीं हुआ।

मॉर्डन मार्केट का निर्माण नहीं हुआ

गाजीपुर में मुर्गा मंडी और बूचड़खाना दोनों ही अव्यवस्था के शिकार हैं। इसी के चलते यहां एक मॉडर्न मार्केट तैयार करने की योजना बनाई गई। कहा गया था कि इससे यहां आने वाले लोगों को सहूलियत होगी। बूचड़खाने का भी अपग्रेडेशन किया जाना था, लेकिन अभी तक यह नहीं किया जा सका।

वरिष्ठ नागरिक आयोग नहीं बना

वरिष्ठ नागरिकों की तमाम समस्याओं का निदान प्राथमिकता के आधार पर करने के लिए एक वरिष्ठ नागरिक आयोग गठित करने की घोषणा भी की गई थी। आज तक बुजुर्ग ऐसे किसी आयोग के गठन का इंतजार ही कर रहे हैं।

अनधिकृत कॉलोनियों में नहीं पहुंचा पाइपलाइन नेटवर्क

200 अनधिकृत कॉलोनियों में पाइप से पानी की आपूर्ति की जानी थी। सरकार का दावा यहां भी हवा ही साबित हुआ है। इस साल भी केवल 10 कॉलोनियों में ही पाइपलाइन से आपूर्ति शुरू हो सकी है। आलम यह है कि पानी की आपूर्ति भी 900 एमजीडी के दावे की बजाए 830 या 840 एमजीडी की ही हो पा रही है। 

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