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Rs 100 crore fraud case: मोंटी के सपने में उलझते गए लोग, 13 साल बाद भी नहीं मिला घर

जांच में सामने आया कि जिस जगह कंपनी ने हाईटेक टाउनशिप बसाने का वादा किया था वहां न कोई जमीन कंपनी के नाम से थी और न सरकार की योजना थी।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 14 Jun 2019 02:19 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2019 07:02 PM (IST)
Rs 100 crore fraud case: मोंटी के सपने में उलझते गए लोग, 13 साल बाद भी नहीं मिला घर
Rs 100 crore fraud case: मोंटी के सपने में उलझते गए लोग, 13 साल बाद भी नहीं मिला घर

नई दिल्ली, जेएऩएन। ‘उप्पल चड्ढा हाईटेक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड’ पर आरोप हैं कि निवेशकों को गाजियाबाद में हाईटेक टाउनशिप में चौड़ी सड़कें, शॉपिंग माल के सपने दिखाकर ठगी की। पीड़ित निवेशकों के अनुसार, गाजियाबाद में प्रस्तावित हाईटेक टाउनशिप में कंपनी निदेशक मोंटी चड्ढा उर्फ मनप्रीत सिंह चड्ढा ने लोगों को बताया था कि वहां 24 से 100 मीटर चौड़ी सड़क के साथ ही शॉपिंग माल, इंटरनेशनल स्कूल-कालेज, गोल्फ कोर्स और स्वीमिंग पुल भी विकसित किए जाएंगे। निवेशक उसके झांसे में आ गए।

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निवेशकों के अनुसार, मोंटी ने उनके कहा था कि कंपनी को सरकार और गाजियाबाद डेवलपमेंट अथॉरिटी (जीडीए) से प्रोजेक्ट की संस्तुति मिल गई है। वहीं, हकीकत यह थी कि लोगों से रुपये लेते वक्त संबंधित विभाग से कंपनी को कोई इजाजत नहीं दी गई थी। जांच में सामने आया कि जिस जगह कंपनी ने हाईटेक टाउनशिप बसाने का वादा किया था, वहां न कोई जमीन कंपनी के नाम से थी और न सरकार की योजना थी। वह जमीन किसानों के पास है।

गोलीबारी में पोंटी चड्ढा और उसके भाई की हो गई थी मौत

नवंबर 2012 में मोंटी चड्ढा के पिता और शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा और उनके भाई दक्षिण दिल्ली स्थित एक फार्म हाउस में हुई गोलीबारी में मौत हो गई थी। संपत्ति को लेकर पोंटी और उनके भाई हरदीप के बीच तकरार चल रही थी। इस को सुलझाने के लिए बैठक रखी गई थी। इसी दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर गोलीबारी कर दी थी। तीनों चड्ढा बंधु पोंटी, हरदीप और राजिंदर संयुक्त रूप से करीब छह हजार करोड़ रुपये के वेब इंक समूह का प्रबंधन कर रहे थे।

यह है विवाद

एनएच-9 (पूर्व में एनएच-24) पर हाईटेक टाउनशिप योजना के तहत वित्त वर्ष 2004-05 दो बिल्डरों को लाइसेंस दिए गए थे। एक लाख लोगों को घर मुहैया कराने के लिए शासन ने कचैड़ा वारसाबाद, दुजाना, दुरियाई, महरौली, नायफल, बयाना, सादत नगर इकला, इनायतपुर, हाथीपुर खेड़ा, तालमपुर, मसूरी, डासना, दीनानाथपुरी पूठी, रघुनाथपुर और डासना देहात समेत 18 गांवों की जमीन पर टाउनशिप बसाने के लिए अधिसूचना जारी की थी।

वेव सिटी में भूखंड और फ्लैट बुक कराकर सिर्फ अखिलेश नारायण सिंह और आशु भटनागर ही धोखे का शिकार नहीं हुए। इनकी तरह 60 से ज्यादा आवंटी कई स्तरों पर शिकायत कर न्याय की गुहार लगा रहे हैं। इन्होंने अपने जीवन की कमाई आशियाना खरीदने में लगा दी। कई पीड़ित ऐसे हैं, जो सामने नहीं आए। मनप्रीत सिंह चड्ढा की गिरफ्तारी के बाद माना जा रहा है कि ऐसे लोग भी खुलकर अपनी परेशानी को बयां करेंगे।

उप्पल चड्ढा हाईटेक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड वेव सिटी को विकसित कर रहा है। आवंटियों की मानें तो बिल्डर फर्म ने उस जमीन पर भूखंड उन्हें बेच दिए, जो उसके कब्जे में ही नहीं आई। बिल्डर किसानों से अब तक जमीन को नहीं ले पाया है। इस कारण आवंटियों को भूखंड नहीं दे पा रहा है।

आवंटियों ने बताया कि भूखंड बेचते वक्त बिल्डर ने पूरी भूमि को अपनी होने का दावा किया था। आरोप है कि शुरुआत से धोखे की मंशा के साथ भूखंड बेचे गए। जीडीए के ओएसडी वीके सिंह ने बताया कि फ्लैट बुक कराने वाले आवंटियों के साथ भी यही हुआ है। उन्होंने बताया कि कई शिकायतें आ रही हैं। बिल्डर को ने जिस जगह ग्रुप हाउसिंग बनानी थी, उस जमीन पर किसानों से उसका मुआवजे के लिए विवाद चल रहा है।

हाईटेक टाउनशिप विवाद खत्म करने के लिए जीडीए ने शासन को तीन विकल्प सुझाए हैं। पहला यह कि जितनी भूमि पर विकास हुआ, उसके अलावा बाकी भूमि को अधिसूचना से मुक्त किया जाए। दूसरा विकल्प है कि बिल्डर लैंडपूलिंग कर इसे विकसित कर लें। आखिरी सुझाव में जमीन बेचने का अधिकार किसानों को देने के लिए कहा है। अंतिम निर्णय शासन को लेना है। यह भी बताया गया है कि किसानों और बिल्डर के बीच बातचीत कराई जा रही है।

मामला-1

इंदिरापुरम निवासी अखिलेश नारायण सिंह ने वर्ष 2005 में वेव सिटी में 250 गज का प्लॉट बुक कराया था। 5.62 लाख रुपये बुकिंग के वक्त दिए। एक साल में प्लॉट का कब्जा देने का वादा बिल्डर ने किया था। अब तक प्लॉट नहीं दिया। इन्होंने राज्यपाल को शिकायत की थी। अब रेरा में वाद दायर किया है।

मामला-2

आशु भटनागर ने वर्ष 2013 में वेव सिटी के अंदर वेव रॉयल कैसल प्रोजेक्ट में 2बीएचके का फ्लैट बुक कराया था। 18 लाख रुपये ले लिए। 2017 में फ्लैट का कब्जा देने की बात कही थी। बाद में 2019 तक कब्जा देने की बात कही। अब बिल्डर दूसरे प्रोजेक्ट में फ्लैट देने की बात कर रहा है, लेकिन कब्जा देने को तैयार नहीं है।

85 फीसद रकम दे चुके थे निवेशक

पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के एडिशनल सीपी सुवाशीष चौधरी ने बताया कि शिकायतकर्ताओं के मुताबिक, गाजियाबाद में 1,500 एकड़ जमीन पर रोजउड एंक्लेव, सन्नीउड एंक्लेव, लाइमउड एंक्लेव और क्रिस्टलउड एंक्लेव नाम के चार शहर बसाने की योजना बताई गई थी। कंपनी के झांसे में आकर लोगों ने प्लॉट के लिए 2006 में करीब 85 प्रतिशत रकम को दे दी।

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