प्रदूषण को लेकर इस अध्ययन के नतीजे जानकर दिल्ली के लोग हो जाएंगे खुश
अध्ययन में कहा गया है कि 2025 तक एलपीजी का उपयोग 75 फीसद और 2030 तक शत प्रतिशत तक पहुंच जाने से प्रदूषण छह फीसद घट सकता है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। विद्युत संयंत्रों में कृषि अपशिष्टों का प्रयोग कर 2025 तक दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण में आठ फीसद तक कमी लाई जा सकती है। एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट और ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ने संयुक्त अध्ययन कर यह सुझाव दिए हैं।
दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण में वर्ष 2025 तक कमी लाने के कारकों पर आधारित इस अध्ययन में कहा गया है कि गर्मियों में वाहन उत्सर्जित कारकों के कारण दिल्ली-एनसीआर में 26 फीसद और सर्दियों में फीसद प्रदूषण की बढ़ोतरी हो जाती है।
इस अध्ययन में प्रदूषण के स्तर के आकलन के दो तरीके अपनाए गए थे। इसमें पहला रिसेप्टर मॉडलिंग है, जिसके तहत शहर के 20 स्थानों पर प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर की निगरानी की गई, जबकि दूसरा तरीका उन्नत रासायनिक परिवहन पर आधारित था। अध्ययन में कहा गया है कि 2025 तक एलपीजी का उपयोग 75 फीसद और 2030 तक शत प्रतिशत तक पहुंच जाने से प्रदूषण छह फीसद घट सकता है।
वहीं, गैस को ईंधन के रूप में प्रयोग करने से 2025 तक पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में फीसद की कमी आ सकती है। गौरतलब है कि पिछले साल केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने खेतों में पराली जलाने के मामलों में कमी लाने के लिए एनटीपीसी को अपने संयंत्रों में कोयले के साथ कृषि अपशिष्ट मिलाने का भी निर्देश दिया था।