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चुनाव प्रचार सामग्री के मशहूर सदर बाजार में पसरी मायूसी, जानिए क्यों नहीं मिल रहे खरीददार

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है पर देश के प्रमुख चुनाव प्रचार सामग्री के बाजार सदर बाजार में मायूसी पसरी है। ऐसा पहली बार है जब बगल के राज्यों में चुनावी घमासान तेज हैं और इस बाजार में प्रचार सामग्री की बिक्री में गर्माहट नहीं है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 11 Jan 2022 08:25 PM (IST)Updated: Wed, 12 Jan 2022 08:11 AM (IST)
चुनाव प्रचार सामग्री के मशहूर सदर बाजार में पसरी मायूसी, जानिए क्यों नहीं मिल रहे खरीददार
चुनाव का बिगुल बजते ही पार्टियां कर रही प्रचार की तैयारी...ध्रुव कुमार

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व पंजाब सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है, पर देश के प्रमुख चुनाव प्रचार सामग्री के बाजार सदर बाजार में मायूसी पसरी है। ऐसा पहली बार है जब बगल के राज्यों में चुनावी घमासान तेज हैं और इस बाजार में प्रचार सामग्री की बिक्री में गर्माहट नहीं है। कोरोना संक्रमण की मौजूदा लहर ने इनकी मांग को धराशाही कर दिया है। संक्रमण को ही देखते हुए चुनाव आयोग ने चुनावी रैलियों, नुक्कड़ सभाओं व रोड शो के साथ अन्य चुनावी सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी है। इसकी जगह चंद कार्यकर्ताओं के साथ घर-घर संपर्क तथा डिजीटल माध्यमों से मतदाताओं को रिझाने पर जोर दिया गया है। अगर ऐसा नहीं होता तो इन चुनावों के लिए सदर बाजार से पांच से 10 हजार करोड़ रुपये के चुनाव प्रचार सामग्रियों की मांग निकलती। यहां से राजनीतिक दलों के साथ ही प्रत्याशी भी खरीदारी करते हैं।

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सदर बाजार में चुनाव प्रचार सामग्रियों की 20 से अधिक दुकानें है, जहां पार्टियों के झंडे, नेताओं के कटआउट, पटका, पोस्टर, बिल्ले, मफलर, टोपी, टीशर्ट, स्टैंड व बैग समेत अन्य प्रचार सामग्रियां मिलती है। इन राज्यों में मुख्य रूप से भाजपा, कांग्रेस पार्टी, आम आदमी पार्टी (आप), समाजवादी पार्टी, बसपा व अकाली दल हैं, इनके लिहाज से बाजार में प्रचार सामग्रिया उपलब्ध हैं। फिलवक्त थोड़ी बहुत मांग भाजपा की ओर से ही है। आल इंडिया इलेक्शन मैटेरियल ट्रेडर्स एंड मैनुफेक्चरर एसोसिएशन के अध्यक्ष व सदर बाजार में प्रचार सामग्रियों के थोक व्यापारी अनिल भाई मायूसी जताते हुए कहते हैं कि पिछले माह तक मांग निकल रही थी, क्योंकि कोरोना संक्रमण के मामले कम थे। ऐसे में हम अच्छे कारोबार की उम्मीद में थे, लेकिन ओमिक्रोन ने सारी तस्वीर बदल दी है। ऐसे में अनुमान की तुलना में 50 फीसद भी बिक्री हो जाए तो बेहतर है। क्योंकि सभी राजनीतिक दलों का जोर डिजीटल माध्यम से हर मतदाता तक पहुंचने की है। वह उसी पर पूरी ताकत लगा रहे हैं।

वह कहते हैं कि अधिक झटका रैलियों पर रोक से लगा है, क्योंकि सबसे अधिक मांग इन्हीं से निकलती है, क्योंकि रैली स्थल से लेकर आने वाले लोगों के गांवों तक में माहौल बनाने के लिए चुनाव प्रचार सामग्रियों की मांग ज्यादा रहती है। इसी तरह इस बार चुनाव तारीखों की घोषणा के साथ प्रचार के लिए प्रत्याशियों के लिए कम दिन दिए गए हैं। पहले कम से कम 45 दिन मिलते थे। इस बार एक माह का ही समय मिला है।

सदर बाजार के चुनाव प्रचार सामग्री से नबी करीब, इंद्रलोक, भजनपुरा, शिव विहार, बुराड़ी, आनन्द पर्बत, बवाना व जहांगीरपुरी समेत आस-पास के अन्य स्थानों के तकरीबन एक लाख लोगों की आजीविका जुड़ी है। इन इलाकों की झुग्गी बस्तियों में चुनाव प्रचार सामग्रियां तैयार होती है, फिर सदर बाजार होते हुए चुनावी प्रचार राज्यों में जाता है।

मुस्कान इंटरप्राइजेज के हार्दिक अरोड़ा कहते हैं कि इस वर्ष चुनाव प्रचार सामग्रियां थोड़ी महंगी है, क्योंकि कपड़े, प्लास्टिक और कागज के दाम बढ़े हुए हैं। पार्टियों के झंडे तीन रुपये से 300 रुपये तक में उपलब्ध है। इसी तरह पटका दो रुपये से 10 रुपये तथा गर्म मफलर 15 रुपये से शुरू है। इसी तरह गर्म टीशर्ट 50 रुपये में मिल जा रहे हैं। अरोड़ा कहते हैं कि शायद राजनीतिक दलों द्वारा प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करने के साथ कुछ प्रचार सामग्रियों की मांग निकले, तो भी वह पहले जैसा नहीं होगा।


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