Delhi Riots: छतों पर पत्थर व बोतलें रखने वालों के लिए बुरी खबर, लोगों की ड्रोन से पहचान कर हिरासत में ले रही पुलिस
पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी थी क्योंकि कई ऐसे इलाके थे जब पुलिस दंगे शांत करवाने के लिए गई तो लोगों ने छतों से पथराव कर दिया था। पथराव में बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे। हनुमान जन्मोत्सव के दौरान जहांगीरपुरी में भी ऐसा ही हुआ।
नई दिल्ली [शुजाउददीन]। दो साल पहले दंगा झेल चुके उत्तर पूर्वी जिले में पुलिस सतर्क नजर आ रही है। पिछले दिनों अफवाह फैलाने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार करने वाली जिला पुलिस ने एहतियात के तौर पर ड्रोन की मदद भी लेनी शुरू कर दी है। ड्रोन की मदद से उन लोगों की पहचान की जा रही है जो छतों पर पत्थर रखते हैं। ड्रोन में जिस मकान में पत्थर नजर आ रहे हैं, पुलिस उस मकान में रहने वाले लोगों को हिरासत में ले रही है। पिछले दस दिन में करीब 12 लोगों को पुलिस हिरासत में ले चुकी है।
पुलिस की इस कार्रवाई की वजह से अब कई लोग खुद ही छतों से पत्थर, बोतलें आदि सामान को या तो हटा रहे हैं या फिर उन्हें तिरपाल से ढंक दे रहे हैं। फरवरी 2020 में हुए दंगे में मुस्तफाबाद, करावल नगर, खजूरी, गोकलपुरी, जाफराबाद, न्यू उस्मानपुर, घोंडा आदि क्षेत्र प्रभावित हुए थे। कुछ दिनों पहले जहांगीरपुरी में हुई ¨हसा के बाद दोबारा से उत्तर पूर्वी जिले में माहौल खराब करने की कोशिशें हुईं। कुछ असामाजिक तत्वों ने दूसरे धर्म के प्रति अपशब्दों का प्रयोग करते हुए अनहोनी की आशंकाएं जताईं।
पुलिस ने तुरंत ऐसे लोगों को दबोच लिया। अब पुलिस ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर रही है जो छतों पर पत्थर, बोतलें रखते हैं। इनका प्रयोग माहौल खराब करने के लिए किया जाता है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दो साल पहले दंगे के दौरान खूब पत्थरबाजी हुई थी। यह पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी थी, क्योंकि कई ऐसे इलाके थे जब पुलिस दंगे शांत करवाने के लिए गई तो लोगों ने छतों से पथराव कर दिया था। पथराव में बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे। हनुमान जन्मोत्सव के दौरान जहांगीरपुरी में भी ऐसा ही हुआ। हिंसा होने के बाद लोगों ने अपने घरों की छतों से पथराव किया।
इस हिंसा के बाद कहीं दोबारा से जिले का माहौल खराब न हो जाए, इसलिए पुलिस ने यह कदम उठाया है। कार्रवाई की तारीफ के साथ आलोचना भी पुलिस की इस कार्रवाई कई लोग तारीफ तो कुछ लोग आलोचना भी कर रहे हैं। पुलिस ने जिन लोगों हिरासत में लिया था उनके परिवार का कहना है कि अब पुलिस लोगों के घरों के अंदर तक घुस गई है, अब पुलिस तय करेगी लोग अपने घरों में किस सामान को कहां पर रखे।
आम तौर पर जब लोग नया मकान बनाते हैं या फिर मरम्मत करवाते हैं तो कुछ निर्माण सामग्री बच जाती है। अधिकतर लोग अपनी छतों पर ही रखते हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि दंगे के लिए अपने घरों में पत्थर जमा कर रहे हैं। वहीं कुछ का आरोप है कि जिन लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया, उनसे दस से 20 हजार रुपये लिए गए और फिर छोड़ा गया।
- सुरक्षा की दृष्टि से ड्रोन से जिले में नजर रखी जा रही है। पुलिस ने ऐसे लोगों को हिरासत में लिया, जिन्होंने अपनी छतों पर सामग्री जमा की हुई थी और वह उससे महौल को खराब कर सकते थे। -संजय कुमार सेन, जिला पुलिस उपायुक्त उत्तर पूर्वी जिला।