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पढ़िए- अनुच्छेद-370 और 370 साल पुराने लाल किला का ये संयोग, PM ने तोड़ा एक और रिकॉर्ड

इसे भी संयोग ही कहा जाएगा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद 15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब यहां तिरंगा फहराया तो यह किला भी अपने 370 साल पूरा कर चुका है।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 14 Aug 2019 08:11 PM (IST)Updated: Thu, 15 Aug 2019 07:43 PM (IST)
पढ़िए- अनुच्छेद-370 और 370 साल पुराने लाल किला का ये संयोग, PM ने तोड़ा एक और रिकॉर्ड
पढ़िए- अनुच्छेद-370 और 370 साल पुराने लाल किला का ये संयोग, PM ने तोड़ा एक और रिकॉर्ड

नई दिल्ली [लोकेश चौहान]। Independence Day 2019: दिल्ली के लालकिले ने ब्रितानिया हुकूमत का उदय और मुगलकाल का पतन देखा है। कभी यहां की दीवारें खून से रंगी गईं तो कभी यहां कोहिनूर की चमक भी बिखरी थी। इसे भी संयोग ही कहा जाएगा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद 15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब यहां तिरंगा फहराया, तब यह किला भी अपने 370 साल पूरा कर चुका है। 17वीं से 21वीं सदी तक के बदलाव के साक्षी रहे लालकिले की प्राचीर से इस स्वतंत्रता दिवस पर अखंड राष्ट्र की सशक्त तस्वीर दिखाई दे रही है। ये ऐसा पहला स्वतंत्रता दिवस है, जब देश का मुकुट जम्मू-कश्मीर सही मायनों में देश का हिस्सा है।

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लालकिले की प्राचीर से अब तक 13 प्रधानमंत्री 72 बार स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराकर देश को संबोधित कर चुके हैं। पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने यहां सबसे ज्यादा बार तिरंगा फहराया। उन्होंने 1947 से लेकर 1964 तक 17 बार ध्वजारोहण किया। दूसरे नंबर पर एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हैं। उन्होंने 16 बार राष्ट्रध्वज फहराया है। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम है, जिन्होंने दस बार यहां ध्वजारोहण किया।

छठी बार पीएम मोदी ने फहराया तिरंगा
देश को परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्र बनाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी ने छह बार तो राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव ने पांच-पांच बार, मोरारजी देसाई ने दो बार और चौधरी चरण सिंह, विश्र्वनाथ प्रताप सिंह और एचडी देवगौड़ा ने एक-एक बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यहां तिरंगा फहराया। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को छठी बार तिरंगा फहराया। गुलजारीलाल नंदा और चंद्रशेखर ऐसे प्रधानमंत्री हुए जिन्हें लालकिले पर तिरंगा फहराने का मौका नहीं मिला। ऐसे में 15 अगस्त (बृहस्पतिवार) को पीएम मोदी लाल किले से झंडा फहराकर जहां भारत रत्न दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी की बराबरी कर चुके हैं तो वे ऐसा करने वाले इतिहास के दूसरे गैर कांग्रेसी पीएम बन गए। 

नेहरू ने दिया था 72 मिनट का भाषण
जवाहरलाल नेहरू ने 1947 में 72 मिनट का भाषण दिया था। इस लंबे संबोधन का रिकॉर्ड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में 86 मिनट तक भाषण देकर तोड़ा था। हालांकि 2014 में उन्होंने 65 मिनट तो वर्ष 2016 में 94 मिनट का भाषण दिया। वर्ष 2017 में मोदी ने अपना सबसे छोटा 54 मिनट का भाषण दिया था। 2018 में 82 मिनट का भाषण था। डॉ. मनमोहन सिंह ने यहां से दस बार भाषण दिए। सिर्फ दो बार उनका भाषण 50 मिनट तक पहुंचा, जबकि आठ बार 32 से 45 मिनट का ही रहा।

चीन के रेशम और टर्की के मखमल से हुई थी सजावट
लालकिले का इतिहास भी भव्य और अनूठा है। मुगल काल में इसे किला-ए-मुबारक के नाम से जाना जाता था, जो शाहजहां की नई राजधानी शाहजहांनाबाद का महल था। यह दिल्ली शहर की सातवीं मुस्लिम नगरी थी। शाहजहां ने 11 वर्ष तक आगरा से शासन करने के बाद तय किया कि राजधानी को दिल्ली लाया जाए। 1618 में लाल किले की नींव रखी गई। 1647 में इसके उद्घाटन के समय भारी पदरें और चीन के रेशम और टर्की के मखमल से इसकी सजावट की गई थी।

ब्रिटिश काल में छावनी था लाल किला
लगभग डेढ़ मील के दायरे में अनियमित अष्टभुजाकार आकार में बने इस महल का निर्माण कार्य उस्ताद अहमद और उस्ताद हामिद ने किया था। करीब 200 साल तक इसमें मुगल परिवार के वंशज रहे। ब्रिटिश काल में इसे छावनी के रूप में प्रयोग किया गया। वर्ष 2003 तक इसके कई हिस्से सेना के नियंत्रण में रहे। 22 दिसंबर 2003 को सेना ने अपना कार्यालय हटाकर इसे पर्यटन विभाग को सौंप दिया।

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