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PM CARES Fund: पीएम केयर्स फंड एक पब्लिक ट्रस्ट है, सरकारी कोष नहीं; PMO ने दिल्ली HC में दिया जवाब

PM CARES Fund प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट को सूचित किया कि पीएम केयर्स फंड सरकारी कोष नहीं है। इसमें प्राप्त दान भारत के संचित कोष में नहीं जाता है। यह एक सार्वजनिक परमार्थ ट्रस्ट है।

By Jagran NewsEdited By: GeetarjunPublished: Tue, 31 Jan 2023 10:42 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jan 2023 10:42 PM (IST)
PM CARES Fund: पीएम केयर्स फंड एक पब्लिक ट्रस्ट है, सरकारी कोष नहीं; PMO ने दिल्ली HC में दिया जवाब
पीएम केयर्स फंड एक ट्रस्ट है, सरकारी कोष नहीं; PMO ने याचिका के जवाब में दिल्ली HC में कहा

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट को सूचित किया कि पीएम केयर्स फंड सरकारी कोष नहीं है। इसमें प्राप्त दान भारत के संचित कोष में नहीं जाता है। यह एक सार्वजनिक परमार्थ ट्रस्ट है। इसे संविधान, संसद या किसी राज्य विधानमंडल द्वारा सृजित नहीं किया गया है।

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इससे जुड़े तीसरे पक्ष की जानकारी किसी से सूचना का अधिकार (आरटीआई, RTI) अधिनियम के तहत साझा नहीं की जा सकती। याचिकाकर्ता सम्यक गंगवाल ने याचिका में संविधान के तहत पीएम केयर्स फंड को सरकारी घोषित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था, ताकि इसके कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।

फंड को सार्वजनिक प्राधिकार घोषित करने की फंड

इन्होंने दूसरी याचिका के माध्यम से आइटीआई अधिनियम के तहत इस फंड को सार्वजनिक प्राधिकार घोषित करने की मांग की थी। इन दोनों याचिकाओं की एकसाथ सुनवाई मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की दो सदस्यीय पीठ के समक्ष हुई।

पीएमओ ने हलफनामे में क्या कहा?

पीएम केयर्स फंड के लिए मानद आधार पर कार्यों का निर्वहन कर रहे पीएमओ के एक अवर सचिव प्रदीप कुमार श्रीवास्तव द्वारा दायर हलफनामे ने कहा गया है कि ट्रस्ट पारदर्शिता के साथ काम करता है। इसकी निधि का लेखा परीक्षण आडिटर करता है। यह आडिटर एक चार्टर्ड एकाउंटेंट होता है, जिसे भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा तैयार पैनल से चुना जाता है।

तीसरे पक्ष से साझा नहीं की जा सकती जानकारी

हलफनामे में कहा गया है कि संविधान और आरटीआई अधिनियम के तहत पीएम केयर्स फंड की जो भी स्थिति हो, लेकिन तीसरे पक्ष की जानकारी किसी से साझा करने की अनुमति नहीं है। हलफनामे में कहा गया है कि वर्तमान याचिका में की गई प्रार्थनाएं सुनवाई योग्य नहीं हैं। यह भी कहा गया कि इस फंड में व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा केवल स्वैच्छिक दान स्वीकार किया जाता है।

सरकार के बजटीय स्त्रोतों या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से प्राप्त योगदान को स्वीकार नहीं किया जाता है। इस फंड पर किसी सरकार का नियंत्रण नहीं है। इस ट्रस्ट के बोर्ड में सार्वजनिक कार्यालयों के पदेन धारकों को केवल प्रशासनिक सुविधा के लिए रखा गया है। इसकी आडिट रिपोर्ट फंड की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

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पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से दी गई दलीलों को सुना और सालिसिटर जनरल तुषार मेहता के कार्यालय से कहा कि वह मामले में बहस करने के लिए उनकी उपलब्धता के बारे में अदालत को सूचित करें।


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