हाई कोर्ट की समन्वय पीठ द्वारा निर्देशों को लागू कराने की मांग को लेकर दायर हुई जनहित याचिका
दिल्ली हाई कोर्ट में बंदरों के खतरे को रोकने के लिए एक जनहित याचिका दायर की गई है। इससे पहले साल 2007 बंदरों के खतरे को रोकने के लिए अदालत द्वारा जारी निर्देशों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक समिति गठित की थी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। बंदरों के खतरे को रोकने के लिए वर्ष 2007 में अदालत द्वारा जारी निर्देशों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक समिति गठित कराने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने मामले की सुनवाई 22 मार्च तक के लिए स्थगित करते हुए अधिवक्ता शाश्वत भारद्वाज को वर्ष 2007 के आदेश की प्रति रिकार्ड पर पेश करने को कहा। न्यू फ्रेंड्स कालोनी निवासी बनाम भारत संघ के मामले में न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने 14 मार्च 2007 को बंदरों के संबंध में आदेश पारित किया था।
अदालत ने इंसानों की सुरक्षा और जानवरों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए बंदरों के खतरे से निपटने के लिए कई निर्देश जारी किए थे। भारद्वाज ने याचिका में निर्देशों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए वरिष्ठ नौकरशाहों, वन्यजीव विशेषज्ञों के अलावा बार के सदस्यों की एक समिति के गठन की मांग की गई है।
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याचिकाकर्ता ने कही यह बात
याचिका में कहा गया है कि नई दिल्ली क्षेत्र सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट से लेकर वरिष्ठ नौकरशाहों व कैबिनेट मंत्रियों के आवास के अलावा कनॉट प्लेस में हनुमान मंदिर जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान भी हैं। भारद्वाज ने कहा कि हाई कोर्ट परिसर में भी बंदरों को वादियों पर हमला करते देखा गया है।
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