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पाक में बदसलूकी से अहमदिया समाज के लोग निराश, भारत सरकार नहीं करती भेदभाव

अहमदिया समाज के प्रवक्ता तारिक अहमद कहते हैं कि यह हम लोगों का उसूल है कि किसी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा न लें। जिस भी मुल्क में हैं, वहां की तरक्की व खुशहाली में भागीदार बनें।

By Edited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 07:54 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 05:00 AM (IST)
पाक में बदसलूकी से अहमदिया समाज के लोग निराश, भारत सरकार नहीं करती भेदभाव

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। पाकिस्तान में अपने समुदाय के साथ खराब सलूक से भारत में रहने वाले अहमदिया समाज में काफी निराशा है। यह निराशा वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व में बनी नई सरकार की ओर से उनके समुदाय के मशहूर अर्थशास्त्री आतिफ आर मियां को कट्टरपंथियों के दबाव में आर्थिक सलाहकार परिषद से बाहर का रास्ता दिखाने से और बढ़ गई है। हालांकि, वे इस विषय पर ज्यादा प्रतिक्रिया देने से बचते हैं, क्योंकि अहमदिया समुदाय विरोध और प्रदर्शन जैसी चीजों से दूरी बनाकर चलने की कोशिश करता है।

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विरोध प्रदर्शन में हिस्सा न लें
इस बारे में अहमदिया समाज के प्रवक्ता तारिक अहमद कहते हैं कि यह हम लोगों का उसूल है कि किसी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा न लें। जिस भी मुल्क में हैं, वहां की तरक्की व खुशहाली में भागीदार बनें। अब यह वहां की सरकार पर निर्भर करता है कि वह हमारे समाज पर कितना विश्वास करती है और कितना मौका देती है। हालांकि, वे दबी जुबान कहते हैं कि जिस नए पाकिस्तान का सपना दिखा कर इमरान खान सत्ता में आए हैं उसे पूरा करने के लिए उन्हें सभी को साथ लेकर चलना चाहिए।

शिक्षा और समानता पर ज्यादा जोर
भारत में अहमदिया समुदाय के करीब 1.5 लाख लोग हैं। ये मुस्लिम हैं, लेकिन पाकिस्तान समेत कई मुल्कों में इन्हें गैर इस्लामिक माना गया है। ये दिक्कतें उन्हें भारत में भी आती हैं। इसलिए इनकी मस्जिद अलग है। एक ऐसी ही मस्जिद तुगलकाबाद में है। वैसे, यह समाज शिक्षा और समानता पर ज्यादा जोर देता है। अहमदिया समुदाय के लोग मानते हैं कि हजरत मोहम्मद साहब के बाद हजरत ईशा आसमान से नहीं उतरेंगे, बल्कि उनके बीच से ही पैदा होंगे और वे उनके संस्थापक मिर्जा गुलाम अहमद के रूप में आ चुके हैं।

कुरान रखने तक की पाबंदी
मिर्जा गुलाम का जन्म 1835 और निधन 1908 में हुआ था। इसी विचार को लेकर ये गैर इस्लामिक हो गए हैं। पाकिस्तान में 10 लाख से अधिक अहमदिया समुदाय के लोग हैं, लेकिन इन्हें वहां गैर मुस्लिम घोषित किया गया है। उन्हें वहां अपने इबादतगाह को मस्जिद बोलने और कुरान रखने तक की पाबंदी है।

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भारत सरकार भेदभाव नहीं करती
तारिक अहमद ने कहा कि पाकिस्तान सरकार की ओर से कट्टरपंथी ताकतों को संरक्षण देने के कारण उन लोगों को भी वहां जाने में काफी दिक्कतें आती हैं। हालांकि, पाकिस्तान से आने वाले अहमदिया समाज को यहां कोई दिक्कतें नहीं आती हैं, क्योंकि भारत सरकार वीजा देने में भेदभाव नहीं करती। हर साल पंजाब के कादियान में होने वाले सालाना जलसे में पाकिस्तान से बड़ी संख्या में अहमदिया समुदाय के लोग भाग लेने आते हैं।


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