Delhi Smog News: जानिये- क्यों इस बार दिल्ली-एनसीआर के लोगों को ज्यादा परेशान करेगा स्माग
Delhi Smog News सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार सुधार के अभी कोई आसार नहीं लग रहे। रिपोर्ट में मौजूदा हालातों के मददेनजर आपातकालीन उपाय अपनाने पर भी बल दिया गया है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली में वायु प्रदूषण के बहुत खराब और गंभ्रीर स्तर के बीच स्माग एपिसोड भी लंबा खिंचने के आसार बन रहे हैं। सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार सुधार के अभी कोई आसार नहीं लग रहे। रिपोर्ट में मौजूदा हालातों के मददेनजर आपातकालीन उपाय अपनाने पर भी बल दिया गया है। बुधवार को जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी दिल्ली में मंगलवार को छाया स्माग दिल्ली में लगातार उच्च वायु प्रदूषण स्तर को दर्शाता है। सर्दियां शुरू होते ही राजधानी दिल्ली में स्माग छा गया, जो दर्शाता है कि इस वर्ष ज्यादा परेशान करने वाले स्माग का सामना करना पड़ सकता है।
दिल्ली में नहीं उठाए गए उचित कदम
रिपोर्ट में कहा गया है कि चार नवंबर को दीवाली के दिन प्रदूषण उच्च स्तर तक पहुंचा। तब से ही यानी एक सप्ताह से स्थिति बेहद खराब बनी हुई है। प्रदूषण का उच्च स्तर खतरनाक स्माग छाने की संभावना की ओर इंगित कर रहा है।सीएसई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मंगलवार के स्माग की तुलना वर्ष 2018 व 2020 के पहले स्माग से की जा सकती है। वर्ष 2018 व 2020 में स्माग छह दिनों तक छाया रहा। लेकिन वर्ष 2019 में स्माग की स्थिति ज्यादा खतरनाक रही जब आठ दिनों तक स्माग छाया था। मंगलवार को राजधानी में छाया स्माग वर्ष 2019 के स्माग से ज्यादा खतरनाक स्तर पर पाया गया है। हालांकि राजधानी दिल्ली में हवा चल रही है, फिर भी स्माग गहराया हुआ है। यह दर्शाता है कि राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण करने के पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए हैं।
सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार 2018 से 2021 तक हर वर्ष दीवाली में पीएम 2.5 का स्तर बढ जाता है। दीवाली के बाद भी वायु प्रदूषण स्तर लगातार खराब बने रहने से स्माग की स्थिति पैदा होती है। राजधानी में अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो लोगों को परेशान करने वाले स्माग का सामना अधिक दिनों तक करना पड़ सकता है। हालांकि पराली के धुएं का असर इस वर्ष अक्टूबर से आठ नवंबर तक पिछले चार सालों में सबसे कम है। लेकिन राजधानी में ओजोन खतरनाक स्तर तक पहुंचा हुआ है। सीएसई ने अपने रिपोर्ट में कहा कि दीवाली के दिन प्रदूषण पिछले पांच वर्ष की तुलना में सर्वाधिक था। दीवाली के दिन ओखला में वायु प्रदूषण स्तर 1984 जबकि अशोक विहार में 1957 तक पहुंच गया था। यह पिछले वर्षों की तुलना में काफी ज्यादा है।
रिपोर्ट की कुछ अन्य महत्वपूर्ण निष्कर्ष
- स्माग ने पूरे भारत-गंगा के मैदानी क्षेत्रों को अपनी चपेट लिया है, चल रहे स्माग की अवधि सात दिनों से अधिक होने की उम्मीद है।
- सर्द मौसम, पराली के धुएं और दीवाली के पटाखों ने पहले स्माग के पहले एपिसोड को ट्रिगर किया है, हालांकि पराली के धुएं का योगदान पिछले चार वर्षों में सबसे कम रहा है।
- यह विश्लेषण इस मिथक को दूर करता है कि सर्दी का प्रदूषण केवल पार्टिकुलेट मैटर बढ़ने की समस्या है। यह ओजोन, कार्बन मोनोआक्साइड, नाइट्रोजन डाइआक्साइड और सल्फर डाइआक्साइड सहित जहरीली गैसों का एक हानिकारक कॉकटेल भी है।
- 2017 के बाद से दिवाली की रात (रात आठ से सुबह आठ बजे) पर पीएम 2.5 की सघनता सबसे अधिक रही है, जबकि सल्फर डाइआक्साइड और नाइट्रोजन आक्साइड का अनुपात अधिक रहा है, जो पटाखों के प्रभाव को दर्शाता है।
- मौजूदा गंभीर स्माग प्रकरण के लिए सभी क्षेत्रों में तत्काल आपातकालीन उपायों की आवश्यकता है ताकि प्रदूषण को और अधिक बढ़ने और स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सके। एक लंबी अवधि की रणनीति को भी तुरंत लागू करने की आवश्यकता है।