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इस NGO ने स्मृति ईरानी को लिखा खत, निर्भया मामले के दोषियों को लेकर की यह मांग

एनजीओ की संस्थापक योगिता भयाना ने निर्भया मामले के दोषियों को फांसी की सजा देने का दिन घोषित करने की मांग की है।

By Neel RajputEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 12:35 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 01:30 PM (IST)
इस NGO ने स्मृति ईरानी को लिखा खत, निर्भया मामले के दोषियों को लेकर की यह मांग

नई दिल्ली, एएनआइ। PARI (People's Archive of Rural India) एनजीओ की संस्थापक योगिता भयाना ने निर्भया मामले के दोषियों को फांसी की सजा देने का दिन घोषित करने की मांग की है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को इस मामले में पत्र लिखकर अपनी बात कही है।

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यहां आपको बता दें कि निर्भया मामले में दोषियों को तिहाड़ में 22 जनवरी को होने वाली फांसी अब नहीं होगी। चारों दोषियों में से एक मुकेश सिंह की डेथ वारंट के खिलाफ याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा है कि दया याचिका विचाराधीन है, इसके चलते 22 जनवरी को होने वाली फांसी नहीं दी जाएगी।

वहीं गुरुवार को एलजी ने मुकेश की दया याचिका खारिज करने की मांग की है। वहीं इससे एक दिन पहले ही दिल्ली सरकार ने इस याचिका को खारिज करने की सिफारिश की थी। एलजी की तरफ से दया याचिका खारिज करने की मांग गृह मंत्रालय को भेज दी गई है।

फांसी से 14 दिन पहले जारी किया जा सकता है नोटिस

इस मामले में तिहाड़ जेल प्रशासन की तरफ से वकील राहुल मेहरा ने बताया कि याचिका खारीज होने के 14 दिन बाद दोषियों को फांसी दी जा सकती है। चूंकि हम कानूनी प्रावधानों के साथ बंधे हैं ऐसे में दया याचिका खारिज होने के बाद फांसी से 14 दिन पहले नोटिस दिया जाता है वह भी तब जब राष्ट्रपति महोदय के पास पहुंची दया याचिका खारिज हो जाती है।

जानकारी के लिए बता दें कि निर्भया के माता-पिता की याचिका पर 7 जनवरी को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने अहम फैसले में डेथ वारंट जारी किया था। इसी की खिलाफ एक दोषी मुकेश ने याचिका दी थी।

गौरतलब है कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय जजों की बेंच ने सुनवाई के दौरान दो दोषियों विनय कुमार शर्मा और मुकेश सिंह की सुधारात्म याचिका खारिज कर दी थी। मुकेश सिंह और विनय कुमार शर्मा की दया याचिका राष्ट्रपति के पास दायर की जा चुकी है। बाकी बचे दो दोषियों पवन कुमार गुप्ता और अक्षय ठाकुर के पास क्यूरेटिव पेटिशन और राष्ट्रपति के पास दया याचिका का विकल्प है।


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