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अब दिल्ली के बुराड़ी में डर लगता है, 11 मौतों से खामोश है वह गली

पुलिस जांच में लगातार यह कहा जा रहा है कि मोक्ष पाने के लिए पूरे परिवार ने एकसाथ फांसी लगाई, लेकिन यहां रह रहे लोगों के गले यह बात नहीं उतर रही है।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 07 Jul 2018 01:17 PM (IST)Updated: Sat, 07 Jul 2018 03:07 PM (IST)
अब दिल्ली के बुराड़ी में डर लगता है, 11 मौतों से खामोश है वह गली

नई दिल्ली (जागरण स्पेशल) पूरे देश के साथ अब दुनिया को भी झकझोर कर रख देने वाले बुराड़ी कांड के रहस्य पर से दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच पांच दिन बाद भी पर्दा नहीं हटा पाई है। एक ही घर में एक ही परिवार के 11 सदस्यों की एक ही रात में अचानक हुई मौत से बुराड़ी इलाके की उस गली में खामोशी पसरी हुई है। यह खामोशी तब टूटती है जब क्राइम ब्रांच जांच के लिए पहुंचती है या फिर मीडिया सक्रिय होता है। 11 लोगों की रहस्यमय मौत के दिन से ही इलाके में डर और सन्नाटे का माहौल है। घर के अंदर से 11 शव एक साथ मिलने के बाद जिस तरह के हालात मौके पर पाए गए उसने लोगों को दहला कर रख दिया है। 

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हादसे वाली गली में दहशत है कायम
गली में रह रहे लोगों की मानें तो हादसे वाले दिन के साथ भीड़ तो घट रही है, लेकिन पूरे मामले में जिस तरह से जादू टोने, तंत्रमंत्र के साथ मोक्ष अनुष्ठान जैसी चीजें सामने आ रही हैं, उससे दहशत बढ़ती जा रही है। लोगों के अंदर एक अजीब सा डर है। आलम यह है कि कुछ लोगों ने इस घर को 'भूतिया' घर भी कहना शुरू कर दिया है।

घर के सामने गुजर जाती है परिवार के सदस्यों की तस्वीर
पुलिस जांच में लगातार यह कहा जा रहा है कि मोक्ष पाने के लिए पूरे परिवार ने एकसाथ फांसी लगाई, लेकिन यहां रह रहे लोगों के गले यह बात नहीं उतर रही है। पड़ोस में रहने वाले एक शख्स ने नाम नहीं बताने की शर्त पर जानकारी दी कि इस घर के सामने से गुजरते हुए एक अजीब से डर का अहसास होता है। वहीं, कुल पल बाद पूरा परिवार आंखों के आगे तैर जाता है। इसके बाद आंखें नम हो जाती हैं किस तरह हंसता-खेलता यह परिवार काल का गाल में समा गया।

बच्चों में सबसे ज्यादा दहशत
कभी यह गली बच्चों के शोर से गूंजती थी, लेकिन अब खामोशी इस कदर हावी है कि कभी-कभार ही किसी बच्चे की आवाज आती है। हादसे के बाद से बच्चों में ज्यादा डर है, यह डर युवाओं में भी देखा जा रहा है। मां-बाप भी अपने बच्चों को अकेले छत पर जाने और शाम के वक्त घरों के बाहर निकलने नहीं दे रहे हैं। बच्चों ने गली तो क्या घरों के बाहर भी खेलना बंद कर दिया है। हादसे के अगले ही दिन गर्मी की छुट्टियों के बाद स्कूल तो खुले, लेकिन ज्यादातर मां-बाप ने बच्चों को स्कूल ही नहीं भेजा। हालांकि, बच्चे स्कूल जा रहे हैं, लेकिन दहशत के साथ। बच्चों के चेहरे के भाव सामान्य होने में वक्त लगेगा। मनोचिकित्सकों का कहना है कि ऐसी घटनाएं खासकर बच्चों के मस्तिष्क पर गहरा असर डालती हैं। कई बार तो उनका व्यक्तित्व तक प्रभावित हो जाता है। 

घर से मिले अनुष्ठान के सामानों ने बढ़ाई ज्यादा दहशत
हादसे वाली शाम को ही यह पहलू सामने आ गया था कि अंधविश्वास ने इस परिवार की जान ली है, तभी से लोगों में अजीब भय है। घर के अंदर धार्मिक बातें लिखे हुए रजिस्टर और अनुष्ठान से जुड़ी चीजें मिलने से इलाके में डर का माहौल भी बढ़ रहा है।

घर से 100 मीटर दूर पहरा देती है पुलिस
11 मौतों वाले घर के आसपास एक जुलाई की सुबह से ही बड़ी संख्या में पुलिस वाले घर के बाहर तैनात हैं, लेकिन पुलिसवाले भी रात को इस घर से 100 मीटर दूर ही बैठते हैं। पुलिसवालों से इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने डर जैसी चीज से साफ तौर पर इनकार कर दिया, लेकिन यह भी कहा कि दूरी या नजदीकी से पहरे का कोई लेना देना नहीं है। हां... यह जरूर बताया कि गली के लोगों में डर का माहौल देखा जा रहा है। 

प्रॉपर्टी डीलरों के ऑफिसों में पसरा सन्नाटा
बड़ी जनसंख्या वाले बुराड़ी इलाके में प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त होती रहती है, लेकिन 11 मौत वाले हादसे के बाद संतनगर में प्रॉपर्टी खरीदने वाले कम ही आ रहे हैं। जो आ भी रहे हैं वे मोहलत मांग रहे हैं, साथ ही कह रहे हैं-'यह शुभ काम हम अभी नहीं बाद में करेंगे।'

घटना को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में स्थान
बुराड़ी में 11 सदस्यों के एकसाथ फांसी लगाने का मामला देश के साथ विदेशी मीडिया के लिए भी सनसनीखेज घटना बन गया गया है। विदेशों में बसे भारतीयों के अलावा भी लोग इस बारे में जानकारी ले रहे हैं। 

यहां पर बता दें कि दिल्ली में अब तक की सबसे बड़ी सनसनीखेज घटना में बुराड़ी स्थित एक घर में  एक जुलाई की सुबह एक ही परिवार के 11 लोग संदिग्ध हालात में मृत पाए गए थे। मृतकों में सात महिलाएं व चार पुरुष थे, जिनमें दो नाबालिग थे। एक महिला का शव रोशनदान से तो नौ लोगों के शव छत से लगी लोहे की ग्रिल से चुन्नी व साड़ियों से लटके मिले थे। एक बुजुर्ग महिला का शव जमीन पर पड़ा मिला था। नौ के हाथ-पैर व मुंह बंधे हुए थे और आंखों पर रुई रखकर पट्टी बांधी गई थी। बुराड़ी पुलिस ने परिजनों की आशंका पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया था।

बुराड़ी-संत नगर मेन रोड से सटे संत नगर की गली नंबर दो में बुजुर्ग महिला नारायण का मकान है। इसमें वह दो बेटों भुवनेश व ललित, उनकी पत्नियों, पोते-पोतियों व विधवा बेटी संग रहती थीं। ये लोग मूलरूप से राजस्थान के निवासी थे और 22 साल पहले यहां आकर बसे थे। बुजुर्ग महिला के तीसरे बेटे दिनेश सिविल कांटेक्टर हैं और राजस्थान के चित्ताैड़गढ़ में रहते हैं। बुजुर्ग महिला के दोनों बेटों की भूतल पर एक परचून व दूसरी प्लाईवुड की दुकान है। ऊपर पहली व दूसरी मंजिल पर परिवार रहता था।

रोज सुबह ललित घर के सामने रहने वाले दिल्ली पुलिस से सेवानिवृत्त तारा प्रसाद शर्मा के साथ मार्निग वॉक पर जाते थे। उससे पहले शर्मा ललित की दुकान से दूध लेते थे। एक जुलाई की सुबह दुकान नहीं खुली तो शर्मा दरवाजा खटखटाने गए, पर दरवाजा खुला था तो वह ऊपर चले गए। ऊपर का दरवाजा भी खुला था। आगे जाने पर उनकी रूह कांप गई। बरामदे वाले हिस्से में दस लोगों के शव लटके थे, जबकि एक महिला का शव कमरे में पड़ा था। उन्होंने पड़ोसियों के अलावा पुलिस को सूचना दी।


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