कई खूबियों से लैस है यह छोटा डिवाइस, हर पल देगा पोल्यूशन का लाइव स्टेटस
5जी तकनीक से लैस डिवाइस की मदद से बहुत ही तेजी से प्रदूषक कणों की निगरानी करते हुए उनका डेटा भेजेगा। इसमें सौर ऊर्जा का पैनल भी लगाया गया है।
नई दिल्ली [राहुल मानव]। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology, Delhi) दिल्ली की इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की दो पीएचडी शोध छात्राओं ने एक ऐसा डिवाइस विकसित किया है, जो 5जी तकनीक से लैस है और यह सौर ऊर्जा से चलता है। इस डिवाइस की मदद से बहुत ही तेजी से प्रदूषक कणों की निगरानी करते हुए उनका डेटा भेजेगा। पीएचडी की छात्रा पायली दास और सुष्मिता घोष ने इस डिवाइस को तैयार किया है।
पायली दास ने बताया कि इस डिवाइस की खासियत है कि यह बहुत कम बिजली की खपत से तेजी से प्रदूषक कणों के डेटा को मेन सर्वर में भेजने में सक्षम है। इस डिवाइस में 9 सेंसर लगाए गए हैं जो प्रदूषक कण जैसे पीएम 1, पीएम 2.5 और पीएम 10 को मापेगा। साथ ही नाइट्रोजन डाइऑक्साइ़ड, सल्फर डाइडाइऑक्साइ़ड, कार्बन डाइडाइऑक्साइ़ड और ओजोन जैसी गैसों के डेटा को भी मापेगा। इसके अतिरिक्त यह डिवाइस तापमान और हवा की नमी का डेटा भी मापेगा। इसमें एक रिचार्ज करने वाली बैटरी लगाई है और सौर ऊर्जा का पैनल लगाया गया है।
पायली के मुताबिक, एक बार में मेन सर्वर में प्रदूषक कणों के डेटा को भेजने में 3.5 माइक्रोवाॅट की बिजली लगेगी। हम कक घंटे में दो बार डेटा भेजेंगे। एक घंटे में वाईफाई के जरिए दो बार डेटा भेजने में 130 मिलीवॉट बिजली की खपत लगेगी जबकि इस डिवाइस से डेटा भेजने में सिर्फ 7 माइक्रोवॉट की बिजली की खपत ही लगेगी। एक वॉट में 10 लाख माइक्रोवाॅट होते हैं और एक वॉट में एक हजार मिलीवॉट होते हैं, एेसे में इस डिवाइस से बहुत ही कम बिजली की खपत लगेगी। प्रदूषक कणों के डेटा को मापने के लिए यह सबसे किफायती डिवाइस है। पूरे दिन इस डिवाइस को इस्तेमाल करने में कुल 1.5 वाॅट की बिजली की खपत लगेगी। इन छात्राओं ने आइआइटी दिल्ली के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रो स्वदेश दे और प्रो शौरी चेटर्जी के नेतृत्व में इस डिवाइस को तैयार किया है।
आठ महीने में डिवाइस को बाजार लाने की है तैयारी
पायली दास और सुष्मिता घोष मूल रूप से त्रिपूरा राज्य की राजधानी अगरतला की रहने वाली हैं। पायली दास ने अगरतला स्थित त्रिपूरा इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकॉम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके बाद उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) से एमटेक की और फिर इसी वर्ष जून 2019 में आइआइटी दिल्ली में पीएचडी में दाखिला लिया। वहीं सुष्मिता घोष ने अगरतला की एनआइटी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कॉम्युनिकेशन में स्नातक की पढ़ाई की और यहीं से ही एमटेक की डिग्री हासिल की है। उन्होंने भी इसी वर्ष आइआइटी दिल्ली में पीएचडी में दाखिला लिया है। पायली दास बताती हैं कि यह डिवाइस बीते 3.5 महीने में तैयार किया गया है। अगले आठ महीने में इस डिवाइस को बाजार में उतारने में काम किया जा रहा है। इस डिवाइस को तैयार करने में अभी 60 हजार रुपये का खर्च आया है।
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