नई दिल्ली आनलाइन डेस्क। अगर आपको पढ़ने और लिखने के शौकीन हैं तो यह खबर निश्चित तौर पर आपको खुश कर देगी। किताबों से प्रेम करने वालों के लिए टेक्नोलाजी ने इसे पढ़ना और लिखना और आसान बना दिया है। इसी कड़ी में एक बेवसाइट ने आनलाइन पुस्तक प्रकाशित करने की सुविधा शुरू की है। अब पूरे देश में पुस्तकें बेचने के लिए उनकी लिस्टिंग सुविधा शुरू कर दी है। किसी प्रकाशन से अपनी पुस्तक प्रकाशित करवाने वाला कोई भी लेखक अब बिक्री के लिए उसे शब्द.इन पर सूचीबद्ध कर सकेगा। इसके अलावा यह ब्रांड अपनी वेबसाइट पर पाठकों के लिए लगभग सभी भारतीय भाषाओं की तमाम पुस्तकें उपलब्ध कराने की तैयारी कर रहा है।
यह एक हिंदी आधारित वेबसाइट हुआ करती थी, लेकिन हाल ही में इसने अंग्रेजी भाषा जोड़ ली है, जिससे यह भारत की चंद द्विभाषी साहित्यिक वेबसाइटों में शामिल हो गई है। इसका 2021 के आखिर में सॉफ्ट-लॉन्च हुआ था तथा इसके साथ अतिरिक्त सुविधाएं और विभिन्न रेवेन्यू मॉडल जोड़कर इसे मार्च 2022 के दौरान फिर से लॉन्च किया गया। भारत में स्थानीय भाषा के प्लेटफार्मों का अभाव दूर करने का साधन बनना इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य है, जहां लोगों को लिखने की पूरी आजादी होगी और वे अपनी पुस्तकें प्रकाशित करवा सकेंगे।
भारतीय भाषाओं के लेखकों के लिए लक्षित सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ इस सोशल नेटवर्किंग साइट को सितंबर 2021 में इसे वेबसाइट के रूप में री-ब्रांड किया गया। प्लेटफॉर्म के इंटरेक्टिव मॉडल को आईआईटी कानपुर के इन्क्यूबेशन सेंटर की मान्यता मिल गई और आगे बढ़ने के लिए इसको सीड फंडिंग भी प्राप्त हुई। प्लेटफॉर्म का मुख्यालय कानपुर (उत्तर प्रदेश) में और ब्रांच ऑफिस नोएडा में स्थित है।
लेखक इस प्लेटफार्म पर आने से यह फायदा होगा कि उसके रीडर यहां पर बिना एक भी रुपये खर्च किए साहित्य का आनंद उठा सकेंगे। वहीं, ई-बुक प्रकाशित कर सकते हैं और हर बिक्री पर 80% रॉयल्टी कमाने के लिए अपनी पुस्तक का कोई मूल्य निर्धारित कर सकते हैं। इसके साथ ही पेपरबैक में भी प्रकाशित करवा सकते हैं, प्लेटफॉर्म पर उनका प्रचार-प्रसार कर सकते हैं और अमेज़न या फ्लिपकार्ट जैसे अन्य प्लेटफार्मों पर भी अपनी पुस्तकें सूचीबद्ध कर सकते हैं।
प्लेटफार्म के बारे में चर्चा करते हुए शब्द डाट इन के एमडी एवं सीईओ अमितेश मिश्रा ने कहा, “हम भारत के उपयोगकर्ताओं और लेखक बिरादरी के लिए अधिकाधिक सुविधाजनक फीचर और विकल्प लगातार जोड़ते जा रहे हैं, ताकि संसाधनों या अवसरों की कमी के चलते रचनात्मकता का कोई भी अंश गुम न होने पाए। लिस्टिंग की नई सुविधा प्रदान करना, अपनी वेबसाइट पर अंग्रेजी शामिल करना और आने वाले महीनों में 20+ भारतीय भाषाओं को जोड़ने पर काम करना यकीनन समूची बिरादरी की जरूरतें पूरी करेगा।”