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Delhi Hospital Bed News: अब हर 2 घंटे में ऐप पर अपडेट होगी अस्पतालों में बेड की स्थिति

Delhi Hospital Bed News दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना के इलाज के लिए आरक्षित बेड और दिल्ली कोरोना ऐप पर दिखाए जा रहे उपलब्ध बेड में भारी भरकम अंतर का मामला उठाए जाने के बाद दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने संज्ञान लिया है।

By Jp YadavEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 07:44 AM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 07:44 AM (IST)
Delhi Hospital Bed News: अब हर 2 घंटे में ऐप पर अपडेट होगी अस्पतालों में बेड की स्थिति
Delhi Hospital Bed News: अब हर 2 घंटे में ऐप पर अपडेट होगी अस्पतालों में बेड की स्थिति

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। देश की राजधानी दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना के इलाज के लिए आरक्षित बेड और दिल्ली कोरोना ऐप पर दिखाए जा रहे उपलब्ध बेड में भारी भरकम अंतर का मामला उठाए जाने के बाद दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने संज्ञान लिया है। विभाग ने सभी अस्पतालों व नर्सिंग होम को आदेश दिया है कि हर दो घंटे के अंदर पोर्टल व दिल्ली कोरोना ऐप पर बेड की स्थिति अपडेट करें, ताकि मरीजों को बेड मिलने में परेशानी नहीं हो।दैनिक जागरण के पांच मई के अंक में 'कोरोना ऐप पर 2,988 ऑक्सीजन बेड की उपलब्धता दिखी कम' शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई थी। जिसमें यह जिक्र किया गया था कि कोरोना के इलाज के लिए कागजों में उपलब्ध बेड व कोरोना ऐप पर दिख रहे बेड में से 2,988 बेड कम दिख रहे हैं।

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बता दें कि दो मई को जारी आदेश के अनुसार कोरोना के इलाज के लिए अस्पतालों में कुल 24,529 बेड के लिए आक्सीजन का आवंटन व जरूरत निर्धारित की गई, जिसमें ऑक्सीजन सपोर्ट वाले 19,357 बेड व 5,172 आइसीयू बेड शामिल हैं, जबकि दिल्ली कोरोना ऐप पर कुल 21,541 बेड दिखाए गए थे। इस खबर में एक दर्जन अस्पतालों का जिक्र था, जिनमें निर्धारित बेड व ऐप पर दिखाए जाने वाले बेड की संख्या में भारी अंतर था। यह खबर प्रकाशित होने के अगले दिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि यह रिपोर्ट हुआ है कि कई अस्पताल विभिन्न श्रेणी के बेड की स्थिति पोर्टल व ऐप पर अपडेट नहीं कर रहे हैं। इस वजह से लोगों को परेशानी हो रही है।

विश्वसनीय सूचना नहीं मिल पाने के कारण लोगों को खाली बेड तलाश करने में समय गंवाना पड़ रहा है, इसलिए अस्पताल नियमित बेड की स्थिति अपडेट करें। बेड की स्थिति अपडेट करने में दो घंटे से अधिक समय नहीं लगना चाहिए। अस्पतालों के नोडल अधिकारी और प्रभारी की यह जिम्मेदारी होगी कि वे इस आदेश का पालन कराएं।


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