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आइए जानें, कैसे AI के उपयोग से कृषि क्षेत्र को अधिक समृद्ध किया जा सकता है...

कार्यों में एआइ का इस्तेमाल धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। इससे फसलों की बेहतर उपज कीटों को नियंत्रित करने मिट्टी की निगरानी आदि कार्यों में काफी मदद मिल सकती है। कई एग्रीटेक कंपनियां भी एआइ आधारित तकनीक लेकर आ रही हैं जो उपज को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 03:15 PM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 03:19 PM (IST)
देहात: यह किसानों के लिए आनलाइन कम्युनिटी प्रदान करता है।

नई दिल्ली, अमित निधि। दुनियाभर में बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से कृषि उपज को बढ़ाने की दिशा में नयी-नयी तकनीकों का उपयोग हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2050 तक दुनिया की आबादी में दो अरब लोगों की वृद्धि होगी, जिनके पोषण के लिए खाद्य उत्पादकता में करीब 60 फीसद तक की वृद्धि की जरूरत पड़ेगी। एआइ और एमएल (मशीन लर्निंग) की मदद से इन जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। दरअसल, एआइ, मशीन लर्निंग (एमएल) और आइओटी सेंसर अल्गोरिदम के लिए रियल-टाइम डाटा प्रदान करते हैं। इससे न सिर्फ कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में मदद मिलती है, बल्कि इससे फसल उत्पादन की लागत को भी कम किया जा सकता है। मौसम, धूप, पशु, पक्षी, कीड़ों के प्रवासी पैटर्न, उर्वरकों व कीटनाशकों का उपयोग, सिंचाई चक्र ये सभी उपज को कैसे प्रभावित करते हैं, इनके बारे में सटीक जानकारी एआइ की मदद से हासिल की जा सकती है।

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छत्तीसगढ़ के एक गांव में सब्जी उगाने वाले किसान प्रशांत मारू ने 2018 में भारतीय एग्री स्टार्टअप कंपनी ‘फसल’ की तकनीक का उपयोग करना शुरू किया। मारू ने अपनी दो मुख्य फसलों मिर्च और बैंगन के उत्पादन में 20 फीसद की वृद्धि देखी। उन्होंने एआइ तकनीक की मदद से कम पानी का उपयोग करते हुए ज्यादा उत्पादकता हासिल की। नैसकाम की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 450 से अधिक एग्रीटेक स्टार्टअप हैं, जो साल-दर-साल 25 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं।

फसलों को लेकर भविष्यवाणी : जलवायु की स्थिति में बदलाव और बढ़ते प्रदूषण के साथ किसानों के लिए बीज बोने का सही समय निर्धारित करना मुश्किल होता रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से किसान मौसम की भविष्यवाणी का उपयोग करके सही स्थिति का विश्लेषण कर सकते हैं, जिससे उन्हें अलग-अलग फसलों की योजना बनाने में मदद मिल सकती है, जैसे कि बीज कब बोना है और कब नहीं। विभिन्न एआइ और मशीन लर्निंग टूल्स के जरिए कीटों के हमलों आदि को लेकर भी एलर्ट प्राप्त किया जा सकता है। एआइ की सहायता से किसान वास्तविक समय में कई तरह के डाटा, जैसे-मौसम की स्थिति, पानी के उपयोग, मिट्टी की स्थिति, तापमान आदि का विश्लेषण करके समस्याओं की पहचान कर सकते हैं। इससे समय पर सही निर्णय लेने में आसानी होगी। फसल एग्रीटेक कंपनी किसानों का लाभ बढ़ाने के साथ सटीक अनुमान लगाने में मदद करती है। कंपनी ने कृषि डाटा की निगरानी के लिए एप विकसित किया है। इसके अलावा, इसने फसल सेंस नामक आइओटी डिवाइस बनाया है, जो खेत की निगरानी और डाटा एकत्र करता है। एआइ के माध्यम से कंपनी खेत के हिसाब से खास फसल उगाने की सलाह देती है।

मिट्टी की गुणवत्ता : एआइ, मशीन लर्निंग, इन-ग्राउंड सेंसर, इंफ्रारेड इमेजरी और रियल-टाइम वीडियो एनालिटिक्स पैदावार में सुधार कर सकते हैं। फसलों की गुणवत्ता में मिट्टी की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। हालांकि उर्वरकों के अतिशय प्रयोग और वनों की कटाई में वृद्धि के कारण मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है। ऐसे में मिट्टी की उर्वरता का निर्धारण करना कठिन है। एक जर्मन-आधारित टेक स्टार्टअप पीइएटी ने प्लांटिक्स नामक एआइ आधारित एप्लीकेशन विकसित किया है, जो कीटों, बीमारियों सहित मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी की पहचान कर सकता है, जिससे किसानों को उसके हिसाब से उर्वरक का उपयोग करके फसल की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिल सकती है।

फसल की मानिटरिंग : स्काईस्क्रेल टेक्नोलाजीज फसल स्वास्थ्य की निगरानी के लिए ड्रोन आधारित एरियल इमेजिंग समाधान लेकर आया है। इस तकनीक में ड्रोन खेतों से डाटा कैप्चर करता है और फिर डाटा को यूएसबी ड्राइव के माध्यम से ड्रोन से कंप्यूटर में ट्रांसफर किया जाता है। कंपनी कैप्चर की गई इमेज का विश्लेषण करने के लिए अल्गोरिदम का उपयोग करती है और विस्तृत रिपोर्ट प्रदान करती है। यह किसानों को कीटों और जीवाणुओं की पहचान करने में मदद करता है। भारत में भी उद्योगों ने एआइ संचालित फसल उपज भविष्यवाणी माडल विकसित करने के लिए सरकार के साथ हाथ मिलाया है। यह प्रणाली फसल उत्पादकता बढ़ाने, कीट या बीमारी के प्रकोप की चेतावनी देने के लिए एआइ आधारित तकनीक का इस्तेमाल करती है। किसानों को सटीक जानकारी देने के लिए कंपनियां इसरो द्वारा उपलब्ध कराए गए रिमोट सेंसिंग डाटा, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के डाटा, भारत मौसम विज्ञान विभाग के मौसम की भविष्यवाणी, मिट्टी की नमी और तापमान का विश्लेषण आदि का उपयोग करती है।

खेतों की निगरानी : आपने गांवों में देखा होगा कि पशु-पक्षियों से फसल को बचाने के लिए किसान खेतों में मचान बनाकर निगरानी करते हैं, लेकिन अब फसलों को बचाने के लिए एआइ और एमएल जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाने लगा है। इससे रियल-टाइम वीडियो फीड मानिटरिंग प्रणाली के जरिए तुरंत एलर्ट हासिल किया जा सकता है।

भारतीय एग्रीटेक कर रहे किसानों की मदद : भारत में किसानों और उनके परिवारों की आजीविका कृषि की सफलता पर निर्भर करती है। भारत में कृषि तकनीक स्टार्टअप, जैसे-क्रापइन, देहात, फसल, बीजक जैसी कंपनियां बेहतर पैदावार के लिए तकनीकी सुविधाएं मुहैया करा रही हैं। ये स्टार्टअप देश में खेती करने का तरीका बदल रहे हैं।

क्रापइन: इस एग्रीटेक के फाउंडर ने मौसम विश्लेषण तैयार करने के लिए स्मार्टफार्म फोन एप्लीकेशन विकसित किया है। कंपनी एप का उपयोग करने वाले किसानों को सटीक डाटा प्रदान करने के लिए एआइ और इंटरनेट आफ थिंग्स का उपयोग करती है। कंपनी ने करीब 40 लाख किसानों की मदद की है।

देहात: यह किसानों के लिए आनलाइन कम्युनिटी प्रदान करता है। मौसम पूर्वानुमान की रिपोर्ट, डेली क्राप रिमाइंडर, फसल, कीट, मिट्टी और बीज को लेकर सलाह जैसी कई अन्य कृषि सेवाएं प्रदान करता है। जिन किसानों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं, उनके लिए दैनिक हेल्पलाइन की सुविधा प्रदान करता है। इस स्टार्टअप ने भारत में लाखों किसानों की मदद की है।


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