ठग आॅफ नोएडा : 12 देशों के 1500 लोगों को बनाया निशाना; नौ फर्जी कॉल सेंटर पकड़े
पुलिस ने सभी कॉल सेंटरों से 23 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से 12 सर्वर, 36 हार्ड डिस्क, कंप्यूटर, लैपटॉप समेत कई दर्जन एटीएम कार्ड बरामद किए हैं।
नोएडा, जेएनएन। नोएडा में बैठकर माइक्रोसॉफ्ट कंपनी का कर्मचारी बताकर 12 देशों के लाखों नागरिकों से अरबों रुपये की धोखाधड़ी कर चुके आठ कॉल सेंटरों का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के अधिकारियों से शिकायत मिलने के बाद कनाडा पुलिस और इंटरपोल से इनपुट लेकर अब तक की यह सबसे बड़ी कार्रवाई की है।
ऐसे करते थे धोखाधड़ी
ये विदेशी नागरिकों के कंप्यूटर, मोबाइल व टैबलेट पर पॉपअप (आकर्षित करने वाला विज्ञापन) भेजकर निजी डाटा हैक होने का डर दिखाकर उन्हें झांसे में लेते थे। इसके बाद कंप्यूटर से वायरस हटाने के नाम पर 100 से 2000 डॉलर गेटवे के जरिये अपने खाते में ट्रांसफर करा लेते थे।
23 लोगों को पुलिस ने किया गिरफ्तार
पुलिस ने सभी कॉल सेंटरों से 23 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से 12 सर्वर, 36 हार्ड डिस्क, कंप्यूटर, लैपटॉप समेत कई दर्जन एटीएम कार्ड बरामद किए हैं। बृहस्पतिवार को सभी आरोपितों को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
नोएडा से चल रहा था खेल
पुलिस के मुताबिक, यह फर्जी कॉल सेंटर नोएडा के विभिन्न सेक्टरों में चल रहे थे। कोतवाली सेक्टर-20 पुलिस ने चार फर्जी कॉल सेंटरों से गोपेश, प्रियांक, अनिल, प्रमोद, गौरव, संदीप, योगेंद्र, राकेश, गौरव कुमार व मनीष को गिरफ्तार किया है। यह आरोपित दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा व एटा के रहने वाले हैं। सेक्टर-58 पुलिस ने दिल्ली निवासी अतुल खन्ना, अमित श्रीवास्तव, कृष्णानंद पांडे, गोल्डन शाह, नोएडा निवासी अभिषेक देव व गाजियाबाद निवासी राजेश कुमार को गिरफ्तार किया है।
ज्यादातर गिरफ्तार कॉल सेंटरों के अधिकारी
ईकोटेक-3 पुलिस ने दिल्ली निवासी ललित व गाजियाबाद निवासी तनुज व आदर्श शर्मा को पकड़ा है। जबकि फेस-3 पुलिस ने दिल्ली निवासी भानू प्रताप उर्फ अक्की व प्रवीण चौहान, नोएडा निवासी पुनीत व हापुड़ निवासी मुक्तादिर हुसैन को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार ज्यादातर आरोपित कॉल सेंटर के संचालक और अधिकारी हैं।
12 देशों में चल रहा था ठगी का खेल
एसएसपी डॉ. अजयपाल शर्मा ने बताया कि सभी कॉल सेंटर संचालक ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कैलिफोर्निया, यूएसए समेत 12 देशों के कंप्यूटरों का आइपी एड्रेस लेकर एक साथ लाखों कंप्यूटरों पर पॉप-अप भेजते थे। जब विदेशी नागरिक कंप्यूटर खोलते थे तो स्क्रीन पर डाटा हैक होने का मैसेज दिखाई देता था।
इस तरह का मैसेज भेज कर करते थे लूटपाट
मैसेज में बताया जाता था कि डाटा वायरस व स्पाइवेयर से प्रभावित हो गया है और खतरे में है। शट-डाउन करने पर डेटा हैकर के पास चला जाएगा और वापस नहीं आएगा। इसके समाधान के लिए दिए गए हेल्प लाइन नंबर पर संपर्क कर टेक्निकल सपोर्ट लेने को कहा जाता था। यह वर्चुअल नंबर ऑस्ट्रेलिया का होता है। लोग निजी डाटा हैक होने के डर से उनके झांसे में आ जाते थे और उनसे टेक्निकल सपोर्ट के नाम पर 100 से 2000 डॉलर तक गेटवे के जरिए अपने खाते में ट्रांसफर करा लिए जाते थे।