Nirbhaya Justice: दरिंदगी से शर्मसार हुई थी कानून व्यवस्था, रिपोर्ट में केंद्र और पुलिस की हुई थी खिंचाई
घटना के बाद पूर्व न्यायधीश उषा मेहरा ने अपनी रिपोर्ट में राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार के साथ ही दिल्ली पुलिस की खिंचाई की थी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली के दामन में 16 दिसंबर 2012 की सामूहिक दुष्कर्म की घटना मानवता के माथे पर ऐसा कलंक है, जिसे कभी धोया नहीं जा सकता। उस समय ऑटो का इंतजार कर रही निर्भया और उसके दोस्त को प्राइवेट बस चालक ने बतौर सवारी बैठाया। इसके बाद बस चालक व उसके साथियों ने निर्भया के साथ जो दरिंदगी की वह पूरे देश को शर्मसार कर गई।
रिपोर्ट में राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर उठाए थे सवाल
इसके बाद पूर्व न्यायधीश उषा मेहरा ने अपनी रिपोर्ट में राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार के साथ ही दिल्ली पुलिस की खिंचाई की थी।
धरना प्रदर्शन के कारण हुआ था कानून में बदलाव
वहीं, घटना के बाद देशभर में हुए धरना प्रदर्शन के चलते मौजूदा सरकारों को महिला सुरक्षा को लेकर गाइडलाइन जारी करने के साथ ही कानून में भी बदलाव करना पड़ा था। हालांकि, उस समय जो व्यवस्था दी गई थी। उस पर पुलिस थानों में अभी भी पूरी तरह से अमल नहीं हो पा रहा है।
लापरवाह रवैया
तत्कालीन केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार को सौंपी रिपोर्ट में उषा मेहरा ने ‘लापरवाह रवैया’ शब्द का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग के बीच सामंजस्य नहीं है। दोनों के लापरवाह रवैये की वजह से इतना जघन्य अपराध घटित हुआ।
अधिकारियों को लगाई फटकार
सरकार द्वारा नियुक्त आयोग ने अधिकारियों को फटकार लगाई और कानून व्यवस्था में सुधार के लिए सुधारों का आह्वान भी किया। मेहरा ने अपनी रिपोर्ट में दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की लचर व्यवस्था पर भी सवाल उठाए और कहा कि रात के समय और अधिक सरकारी बसें चलनी चाहिए।
बसों के निरीक्षण की व्यवस्था पर उठे सवाल
सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद प्राइवेट बसों के संचालन पर भी सवाल उठे। खुद उषा मेहरा ने अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया कि-उन्होंने पाया है कि परिवहन विभाग के पास बस मालिक या ड्राइवर संबंधी जानकारी नहीं थी। बसों के सत्यापन के काम पर भी सवाल उठे थे। रिपोर्ट में पुलिस की लापरवाही का भी जिक्र था। कहा गया, पुलिस ने कई बार उस बस का चालान किया, लेकिन परिवहन विभाग को सूचित नहीं किया। अगर उन्होंने ऐसा किया होता, तो बस का परमिट रद किया जा सकता था। इसके अलावा दिल्ली में विभिन्न इलाकों में स्ट्रीट लाइट न होना। डार्क स्पॉट दुरुस्त नहीं करने को लेकर भी विभागों को कटघरे में खड़ा किया गया।