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Nirbhaya case: तिहाड़ में फांसी का ट्रायल शुरू, जानिए कैसे वजन के हिसाब से तय होती है रस्‍सी की लंबाई

जेल नियमावली के मुताबिक डमी का वजन दोषी के वजन का डेढ़ गुना होना चाहिए। दोषियों के वजन के आधार पर जेल प्रशासन ने चार डमी बनाई थी।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 10:10 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 07:42 AM (IST)
Nirbhaya case: तिहाड़ में फांसी का ट्रायल शुरू, जानिए कैसे वजन के हिसाब से तय होती है रस्‍सी की लंबाई
Nirbhaya case: तिहाड़ में फांसी का ट्रायल शुरू, जानिए कैसे वजन के हिसाब से तय होती है रस्‍सी की लंबाई

नई दिल्ली [गौतम कुमार मिश्रा]। निर्भया के गुनहगारों के नाम डेथ वारंट जारी होने के बाद से जेल प्रशासन फांसी से जुड़ी तैयारियों में जुटा है। तमाम तैयारियों के बीच रविवार को जेल संख्या तीन में बने फांसी घर में फांसी से जुड़ी प्रक्रिया का ट्रायल शुरू हुआ। जेल अधिकारियों का कहना है कि चारों दोषियों के वजन के हिसाब से चार डमी बनाए गए हैं। चारों डमी को फांसी घर में बने चार फंदों पर लटकाया गया। ट्रायल की यह प्रक्रिया दो घंटे तक चली। इस दौरान लोक निर्माण विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे।

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ट्रायल का है यह उद्देश्य

जेल अधिकारियों के अनुसार ट्रायल का उद्देश्य यह पता करना था कि मरम्मत के बाद फांसी घर के प्लेटफार्म का जो विस्तार किया गया है, वह सही है या नहीं। जिस लोहे की पाइप पर चार फंदे बनाए गए हैं वह मजबूत हैं या नहीं। सूत्रों का कहना है कि ट्रायल के दौरान मिले नतीजों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की गई है, जिससे वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया गया है। यदि फांसी घर में फंदे के आसपास कोई सिविल कार्य से जुड़ी तब्दीली की आवश्यकता होगी तो लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को तब्दीली के लिए फौरन कहा जाएगा। 

ईंट व पत्थर के टुकड़े से बनाया जाता है वजनदार

जेल नियमावली के मुताबिक डमी का वजन दोषी के वजन का डेढ़ गुना होना चाहिए। दोषियों के वजन के आधार पर जेल प्रशासन ने चार डमी बनाई थी। डमी में दोषी के वजन का डेढ़ गुना बनाने के लिए उसमें ईंट व पत्थर के टुकड़े का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान जिस रस्सी का इस्तेमाल किया गया उसकी मोटाई तय नियमों के अनुसार करीब पौने तीन सेंटीमीटर थी। ट्रायल की प्रक्रिया के दौरान डमी को करीब एक घंटा तक लटकाए रखा गया। फांसी पर लटकाने के दौरान चौथे दोषी के लिए बने नए प्लेटफार्म में नए तख्त का भी ट्रायल हो गया। 

वजन व लंबाई के मुताबिक तय होती है लटकने की सीमा 

जेल नियमावली के मुताबिक फांसी के फंदे पर लटकाने से जुड़ी प्रक्रिया में दोषी के वजन व उसकी लंबाई का बड़ा महत्व है। फांसी का फंदा जिस लोहे की बीम पर लगी हुक से बांधा जाता है वहां से लंबाई व वजन के हिसाब से गर्दन में लगे फंदे के लटकने की लंबाई तय होती है। दोषी का वजन यदि 45 किलोग्राम या इससे कम है तो उसे प्लेटफार्म से 2.4 मीटर नीचे लटकाया जाएगा। इसी तरह यदि दोषी का वजन 45 किलोग्राम से अधिक और 60 किलोग्राम से कम है तो उसे करीब 2.29 मीटर नीचे तक लटकाया जाएगा। यदि 60 किलोग्राम से 75 किलोग्राम के बीच दोषी का वजन है तो यह लंबाई घटकर 2.13 मीटर हो जाएगी। 75 किलोग्राम से 90 किलोग्राम के बीच भार वाले दोषियों के लिए यह सीमा 1.98 मीटर है। यदि दोषी का वजन 90 किलोग्राम से अधिक है तो यह सीमा घटकर 1.83 हो जाती है। 


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