Nirbhaya Case: फांसी के करीब पहुंचा एक और गुनहगार, राष्ट्रपति ने खारिज की दया याचिका
Nirbhaya Case निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में फांसी की सजा पाए चारों दोषियों में एक अक्षय की दया याचिका को राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Nirbhaya Case: दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म कांड के दोषी अक्षय की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है। अब तक चार दोषियों में तीन दोषियों मुकेश, विनय और अक्षय की दया याचिका राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं। इन तीनों दोषियों के सारे कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके हैं। चौथे दोषी पवन ने अभी तक न तो सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की है और न ही राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल की है।
दूसरी ओर, दिल्ली हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद केंद्र और दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत के चारों दोषियों का डेथ वारंट निरस्त करने को चुनौती देने वाली केंद्र और दिल्ली सरकार की याचिका बुधवार को खारिज कर दी।
16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली में चलती बस में पैरामेडिकल की छात्र से सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। इस दौरान छात्र से इस कदर दरिंदगी हुई थी कि बाद में उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से चारो दोषियों मुकेश, विनय, अक्षय और पवन को फांसी की सजा दी गई है। हालांकि, दोषी मौत से बचने के लिए देरी से एक-एक कर अपने कानूनी विकल्प अपना रहे हैं। इसी के चलते अक्षय की दया याचिका राष्ट्रपति के समक्ष लंबित होने के कारण चारों की फांसी अगले आदेश तक निरस्त कर दिया था। केंद्र और दिल्ली सरकार ने निचली अदालत के डेथ वारंट निरस्त करने के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी और कहा था कि दोषी जानबूझकर देरी कर रहे हैं। सरकार का कहना था कि कानून में कहीं नहीं कहा गया है कि सभी दोषियों को एक साथ फांसी दी जाएगी।
ऐसे में जिनके सभी कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके हैं उन्हें फांसी की सजा दी जा सकती है। हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार की दलीलें ठुकराते हुए बुधवार को याचिका खारिज कर दी। हाई कोर्ट से खारिज होने के कुछ घंटों के भीतर ही केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई।
एक साथ ही दी जा सकती है फांसी
निर्भया के चारों गुनहगारों को निजली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक फांसी की सजा सुना चुकी है। चारों दोषी तिहाड़ जेल में बंद हैं। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक फांसी देने की सजा पर रोक लगाई है। कानूनी जानकारों के मुताबिक, अगर किसी भी दोषी की कोई भी याचिका लंबित है तो उस दोष में शामिल अन्य लोगों को भी फांसी नहीं दी जा सकती। फांसी को टालने के लिए चारों दोषी एक-एक कर कानून विकल्प अपना रहे हैं।