टेरर फंडिंग केस का सजायाफ्ता अलगाववादी नेता यासीन मलिक को फांसी देने की मांग, NIA ने दिल्ली HC में लगाई गुहार
जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक को मौत की सजा देने की मांग एनआईए ने की है। एनआईए ने दिल्ली हाईकोर्ट से यह मांग की है। यासीन मलिक आतंकी फंडिंग मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। एनआईए अब यासीन मलिक की मौत की सजा की मांग कर रहा है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। एनआइए ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के खिलाफ हाई कोर्ट का रूख किया है। एजेंसी ने हाई कोर्ट से यूएपीए केस में यासीन मलिक को फांसी की सजा देने की मांग की है।
इस मामले में यासीन को दोषी मानते हुए निचली अदालत आजीवन कारावास की सजा सुना चुकी है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की खंडपीठ मामले में 29 मई को सुनवाई करेगी।
एनआइए ने हाई कोर्ट में दायर अपील में कहा कि यासीन मलिक टेरर फंडिंग का मास्टरमाइंड है। एनआइए ने यूएपीए केस में यासीन को फांसी की सजा देने की मांग की। जांच एजेंसी ने कहा कि उसकेे खिलाफ मामले को रेयरेस्ट आफ रेयर श्रेणी में माना जाए।
पटियाला हाउस कोर्ट ने 2022 में अलगाववादी नेता यासीन मलिक को टेरर फंडिंग में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
टेरर फंडिंग मामले में यूएपीए के सभी आरोपों को मलिक ने स्वीकार कर लिया था। भारतीय दंड संहित की धारा 121 के तहत एनआइए ने यासीन मलिक को मृत्युदंड की मांग की थी। इस पर न्याय मित्र ने अदालत से कहा कि धारा 121 मे दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड का प्रविधान है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के अनुसार मृत्युदंड केवल दुर्लभ मामलों में ही देना चाहिए।
उम्र कैद नियम है जबकि मृत्युदंड अपवाद। जिसके बाद कोर्ट ने यासीन मलिक को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। अब एनआइए ने निचली अदालत के फैसले को लेकर हाई कोर्ट में यासीन मलिक को फांसी की सजा देने की मांग की है।