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Kisan Andolan: 9 नवंबर का दिन अहम, आ सकती है लाखों लोगों की मुसीबत बढ़ाने वाली खबर

Kisan Andolan तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे धरना प्रदर्शन के मद्देनजर किसान नेताओं ने एक अहम बैठक अगले सप्ताह 9 नवंबर को बुलाई है। दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर (कुंडली बार्डर) पर बुलाई गई बैठक में आंदोलन को लेकर कोई निर्णायक फैसला हो सकता है।

By Jp YadavEdited By: Published: Fri, 05 Nov 2021 08:47 AM (IST)Updated: Fri, 05 Nov 2021 11:46 AM (IST)
Kisan Andolan: 9 नवंबर का दिन अहम, आ सकती है लाखों लोगों की मुसीबत बढ़ाने वाली खबर

नई दिल्ली/सोनीपत, जागरण डिजिटल डेस्क। तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को आगामी 26 नवंबर को एक साल पूरे रहे हैं। इस बीच आंदोलन के एक साल पूरे होने को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा समेत अन्य किसान संगठनों ने सक्रियता बढ़ा दी है। इसी कड़ी में तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे धरना प्रदर्शन के मद्देनजर किसान नेताओं ने एक अहम बैठक अगले सप्ताह 9 नवंबर को बुलाई है। बताया जा रहा है कि दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर (कुंडली बार्डर) पर बुलाई गई 9 नवंबर की बैठक में आंदोलन को लेकर कोई निर्णायक फैसला हो सकता है। किसान आंदोलन को तेज करने की दिशा में कई बड़े एलान भी कर सकते हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, यह अहम बैठक आगामी 9 नवंबर को सिंघु बार्डर पर दोपहर में होगी। ऐसे में अगर भारत बंद जैसा फैसला लिया गया तो दिल्ली-एनसीआर के लाखों लोगों की मुसीबत फिर बढ़ेगी।

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आंदोलन को तेज करने का हो सकता है ऐलान

सूत्रों के मुताबिक, किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा देश व्यापी बंद का भी ऐलान कर सकता है। संयुक्त किसान मोर्चा चाहता है कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन में जल्द ही तेजी आए। यह भी कहा जा रहा है कि यही वजह है कि किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 9 नवंबर को अहम फैसला लेने के संकेत मिले हैं। इससे पहले किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने भी आंदोलन के तेज होने का दावा किया है।

दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर बढ़ने लगी किसानों की संख्या

उधर, संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर पंजाब और हरियाणा के अलावा यूपी से भी कुछ संख्या में किसान दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर पहुंचे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के मुताबिक, धान की फसल की कटाई के ढलान पर होने के साथ ही बार्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों की संख्या में इजाफा होना तय है। मोर्चा के अहम नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी का कहना है कि यूपी और पंजाब के स्थानीय नेताओं का दबाव है कि आंदोलन को और तेजी प्रदान की जाए।

गौरतलब है कि पिछले साल लाए गए तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों के किसानों का धरना प्रदर्शन जारी है। किसान संगठनों का कहना है कि जब तक तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह से केंद्र सरकार वापस नहीं ले लेती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।


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