Delhi: पढ़िए- कैसे उत्तर प्रदेश-हरियाणा का एक इनामी बदमाश बना था पुलिस का मेहमान!
दरअसल अमित कसाना उप्र पुलिस के शिकंजे से बचना चाहता था इसलिए दिल्ली पुलिस से जुगाड़ लगा रहा था जिसमें वह सफल रहा।
नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। शाहदरा जिला पुलिस के स्पेशल स्टाफ ने इस साल की शुरुआत एक लाख रुपये के इनामी बदमाश अमित कसाना को गिरफ्तार कर की। वाहवाही भी खूब मिली, लेकिन इस गिरफ्तारी पर सवाल खड़े हो गए। दरअसल, उसकी गिरफ्तारी की खबर मीडिया को 27 दिसंबर को लग गई थी। यह भी पता चल गया था कि स्पेशल स्टाफ ने ही गिरफ्तार किया है। लेकिन अधिकारियों ने पुष्टि नहीं की। दो जनवरी को अचानक दिल्ली पुलिस ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि उसे एक जनवरी को गिरफ्तार किया गया। अब सवाल यह उठ रहा है कि चार दिन तक पुलिस उसे मेहमान बनाकर क्यों बैठी रही। इस सवाल पर आज भी अधिकारी चुप्पी साधे हैं। लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि पहले उसे उप्र पुलिस के हवाले करने की तैयारी थी। कसाना उप्र पुलिस के शिकंजे से बचना चाहता था, इसलिए दिल्ली पुलिस से जुगाड़ लगा रहा था, जिसमें वह सफल रहा।
एक तबादले ने चौंकाया
दिल्ली पुलिस मुख्यालय ने हाल ही में कुछ तबादले किए हैं। इसमें एक थाना प्रभारी के तबादले से दो इंस्पेक्टर सकते में आ गए। दरअसल, छावला के थाना प्रभारी एशवीर सिंह का तबादला दक्षिणी-पूर्वी जिले के स्पेशल स्टाफ प्रभारी के रूप में होना था। लेकिन, जो आदेश जारी हुआ, उसमें उन्हें पूर्वी जिले के स्पेशल स्टाफ में भेज दिया गया। इससे इंस्पेक्टर साहब सकते में आ गए। उनके साथ पूर्वी जिले के स्पेशल स्टाफ के प्रभारी सतेंद्र खारी भी हैरान हो गए। समझ ही नहीं आ रहा था कि उनसे ऐसी क्या गलती हो गई। दरअसल, उनकी तैनाती भी कुछ समय पहले ही जिले में हुई थी। बाद में पता चला है कि यह मुख्यालय में आदेश तैयार करने के दौरान लिपिकीय गलती का परिणाम था। इसके बाद दोनों ने राहत की सांस की ली। दो-तीन दिन बाद ही नया आदेश जारी हो गया, इसमें एशवीर सिंह की तैनाती दक्षिणी पूर्वी जिले में की गई।
महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यमुनापार के सभी थानों में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती है। हर थाने में 10 से 15 महिला पुलिसकर्मी तैनात हैं। लेकिन, कहीं पर भी बीट में महिला पुलिसकर्मियों की स्थायी तैनाती नहीं है। ये सभी थाने में बैठकर ही ड्यूटी कर रही हैं। इनकी तैनाती महिला हेल्प डेस्क पर या फिर लिपिकीय विभाग में की जाती है। इसकी वजह से अगर सरेराह या बाजार में किसी महिला को पुलिस की मदद की जरूरत पड़ती है तो उसे पुरुष पुलिसकर्मी ही नजर आते हैं। हद तो यह है कि महिलाओं के प्रदर्शन में भी सभी पुरुष पुलिसकर्मी ही तैनात नजर आते हैं। दो दिन पहले खुरेजी में महिला प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए भी पुरुष पुलिसकर्मी ही मैदान में नजर आए। प्रदर्शनकारियों ने कई बार पुलिस से भी पूछा कि क्या थाने में महिला पुलिसकर्मी नहीं हैं। इस पर पुलिसकर्मियों को जवाब देते नहीं बना।
पिछले दिनों गीता कॉलोनी इलाके में एक सेल्समैन से 15 लाख रुपये की लूटपाट करने वाले चार आरोपितों को पुलिस ने दबोच लिया। प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गई , लेकिन इसमें तीन बदमाशों के बारे में ही मीडिया को जानकारी दी गई। चौथे के बाबत पूछे गए सवाल पर पुलिस अधिकारी पहले टाल-मटोल करने लगे। लेकिन, मीडिया के जोर देने पर बताया कि उसे लेकर पुलिस पांचवें आरोपित को पकड़ने गई है। मीडिया ने बार-बार नाम पूछा तो कहा गया कि पांचवें आरोपित की गिरफ्तारी के बाद ही चौथे का नाम खोला जाएगा। हालांकि सूत्रों से पता चल गया कि चौथा आरोपित कोई और नहीं, दिल्ली पुलिस का ही सिपाही सुमित है। उसकी तैनाती सिक्यूरिटी डिवीजन में थी। पुलिसकर्मी होने की वजह से अधिकारी मुंह नहीं खोल रहे थे। हालांकि पुलिस ने बाद में उसे गिरफ्तार किया और निलंबित भी कर दिया, लेकिन उसका नाम अधिकारियों ने अभी तक सार्वजनिक नहीं किया।