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जानिए- क्यों 100 रहने लायक शहरों की सूची में भी नहीं दिल्ली, मुंबई को भी लगा झटका

पूरे एशिया क्षेत्र में नई दिल्ली की स्थिति में सबसे अधिक स्थान की गिरावट दर्ज की गई है। मुंबई दो स्थान फिसलकर 119वें पायदान पर आ गया है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 05 Sep 2019 09:40 AM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 12:00 PM (IST)
जानिए- क्यों 100 रहने लायक शहरों की सूची में भी नहीं दिल्ली, मुंबई को भी लगा झटका
जानिए- क्यों 100 रहने लायक शहरों की सूची में भी नहीं दिल्ली, मुंबई को भी लगा झटका

नई दिल्ली, पीटीआइ। खराब वायु गुणवत्ता और छोटे-मोटे अपराधों में हुई वृद्धि के चलते नई दिल्ली दुनिया के रहने लायक अच्छे शहरों की सूची में छह स्थान फिसलकर 118वें पायदान पर पहुंच गया है। इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआइयू) के वार्षिक सर्वेक्षण में यह बात कही गई है।

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पूरे एशिया क्षेत्र में नई दिल्ली की स्थिति में सबसे अधिक स्थान की गिरावट दर्ज की गई है। मुंबई दो स्थान फिसलकर 119वें पायदान पर आ गया है। इस सूची में आस्टिया का वियना लगातार दूसरी बार पहले स्थान पर रहा है।

अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया के रहने लायक शहरों में कुल-मिलाकर एशियाई शहरों का प्रदर्शन औसत से नीचे है। पापुआ न्यू गिनी का पोर्ट मोर्सबी (135वें), पाकिस्तान का कराची (136वें) और बांग्लादेश का ढाका (138वें) स्थान के साथ रहने के लिहाज से सबसे कम उपयुक्त 10 शहरों में शामिल हैं। ईआइयू ने कहा है कि सांस्कृतिक क्षेत्र के अंक में गिरावट के कारण मुंबई रैंकिंग में दो स्थान फिसला है। वहीं सांस्कृतिक, पर्यावरण और अपराध में वृद्धि के चलते नई दिल्ली की रैंकिंग गिरी है।

यहां पर बता दें कि नई दिल्ली को कुल मिलाकर 56.3 अंक मिले हैं, जबकि मुंबई ने 56.2 अंक अर्जित किए हैं। शीर्ष स्थान पर काबिज वियना को 99.1 अंक मिले, जबकि इस सूचकांक में सबसे निचले स्थान के शहर दमिश्क (सीरिया) को 30.7 अंक मिले। दमिश्क इस सूचकांक में 140वें स्थान पर रहा। ईआइयू ने कहा कि 140 शहरों की इस सूची को पांच कैटेगिरी के आधार पर बनाया गया है। इसमें स्थिरता, स्वास्थ्य सेवा, संस्कृति और पर्यावरण, शिक्षा और आधारभूत ढांचा।

पत्रकारों की स्वतंत्रता का भी दिया हवाला

ईआइयू ने पत्रकारों की स्वतंत्रता से जुड़े सूचकांक में भी भारत के निचले स्थान पर होने का अपनी रिपोर्ट में हवाला दिया है। इसमें कहा गया है कि भारत में पत्रकारों के खिलाफ दुर्व्यवहार के मामले बढ़े हैं।

पिछले साल भी लगा था झटका
गौरतलब है कि पिछले साल भी विभिन्न सुविधाओं और व्यवस्था की रैंकिंग में दिल्ली के ही देश के 64 छोटे-बड़े शहरों से पिछड़ गई है। शासन के मोर्चे पर दिल्ली 50 फीसद अंक भी नहीं पा सकी थी। वहीं आवासीय सुविधाएं देने तथा मिश्रित भू उपयोग के मामले में भी एकदम फिसड्डी साबित हुई थी। दिल्ली को 100 में से कुल 33.18 अंक मिले थे। यह पिछले साल का आकड़ा था।

केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs, Goverment of India) ने पिछले साल देश के रहने लायक बेहतर शहरों की सूची जारी की थी। यह रैंकिंग सूची पहली बार जारी की गई थी। इसमें दिल्ली का नंबर इसमें 65वां रहा था। इस सूची के अनुसार, दिल्ली का क्षेत्रफल 1484 किलोमीटर, जबकि जनसंख्या 2011 की जनगणना के तहत 112.92 लाख है।

जानकारी के मुताबिक, इस रैंकिंग का आधार चार श्रेणियों संस्थागत, सामाजिक, आर्थिक और भौतिक के कुल 15 मानक रहे थे। रोजगार देने में तो दिल्ली सरकार पूर्णतया असफल रही थी, जिस स्वास्थ्य के क्षेत्र में आप सरकार अभूतपूर्व सुधार का डंका पीटती रही है वहां उसे 25 फीसद अंक भी हासिल नहीं हो सके थे।

शिक्षा के क्षेत्र में भी दिल्ली को बमुश्किल 50 फीसद अंक ही प्राप्त हुए थे। वायु प्रदूषण कम करने के प्रयासों में भी दिल्ली को सिर्फ 20 फीसद अंक मिले थे और यह लुधियाना जैसे शहर से भी कमतर थे। बिजली आपूर्ति की श्रेणी में दिल्ली को 20 फीसद अंक मिले थे, तो पेयजल आपूर्ति को लेकर यह अंक 45 फीसद के आसपास था।

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