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तोता और गौरैया के साथ यहां कोयल भी आएगी और सुनेंगे 15000 ज्यादा लोग

पक्षियों को आकर्षित करने के लिए सिविक सेंटर में लगे पेड़ों पर 3 दर्जन कृत्रिम घोंसले लगाए गए हैं। इनका उद्देश्य कनॉट प्लेस व चिड़ियाघर में आने वाले पक्षियों को नया ठिकाना देना है।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 08:49 PM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 08:49 PM (IST)
तोता और गौरैया के साथ यहां कोयल भी आएगी और सुनेंगे 15000 ज्यादा लोग
तोता और गौरैया के साथ यहां कोयल भी आएगी और सुनेंगे 15000 ज्यादा लोग

नई दिल्ली [निहाल सिंह]। शहरी जीवनशैली में प्राकृतिक चीजों से हम दूर होते जा रहे हैं, यही वजह है कि शहरों में रहने वाले लोगों में तनाव काफी तेजी से बढ़ रहा है। वहीं, काम का बोझ भी लोगों में तनाव को बढ़ाने का कार्य करता है। ऐसे में कहते हैं कि आस-पास का हरा-भरा वातावरण तनाव को दूर कर देता है और इसके बीच अगर तरह-तरह की प्रजातियों के पक्षी दिखाई दें तो यह सोने पर सुहागा साबित हो जाता है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने अपने निगम मुख्यालय में कुछ इसी तरह का प्रयोग किया है। इसमें पक्षियों को आकर्षित करने के लिए सिविक सेंटर में लगे पेड़ों पर तीन दर्जन कृत्रिम घोंसले लगाए गए हैं। इन घोसलों का मुख्य उद्देश्य कनॉट प्लेस और चिड़ियाघर में आने वाले पक्षियों को नया ठिकाना देना है। इससे तोते के अलावा गौरैया और कोयल को आकर्षित करना है।

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निगम के उद्यान विभाग के जुड़े अधिकारी ने बताया कि चूंकि सिविक सेंटर की देखरेख का कार्य बीवीजी कंपनी द्वारा किया जाता है, इसलिए बीवीजी कंपनी ने निगम से बातचीत कर यह घोसले लगाए हैं। इन घोंसलों से दिल्ली के लुटियन जोन इलाके समते चिड़ियाघर में आने वाले पक्षी को यहां ठिकाना देना है। अधिकारी ने बताया कि इस इससे पक्षियों की संख्या तो बढ़ेगी ही, साथ ही इससे सिविक सेंटर की शोभा भी बढ़ेगी। इतना ही नहीं, इससे यहां कार्य करने वाले निगम कर्मियों को भी अच्छा लगेगा। अगर पक्षियों की चेहचाहट होगी तो यह सुकून भी देगी, जिससे निगम के कर्मियों का तनाव भी कम होगा। खास बात यह है कि कुछ ही माह पहले लगाए गए इन घोंसलों में पक्षियों ने आना भी शुरू कर दिया है, जिसका सबूत इन घोंसलों में रखी घास है।

दफ्तर से देख सकेंगे पक्षी

उत्तरी दिल्ली नगर निगम का निगम मुख्यालय एक ग्रीन बिल्डिंग है। इसमें लगे शीशों से प्राकृतिक रोशनी दफ्तरों में जा सकती हैं, वहीं दफ्तर के अंदर से बाहर का नजारा भी देखा जा सकता है। ऐसे में दफ्तरों में बैठे अधिकारी और निगमकर्मी भी इन कृत्रिम घोंसलों में आने वाले पक्षियों को देख सकते हैं। निगम का मानना है कि दफ्तर आते समय और दफ्तर से जाते समय यह पक्षी दिखाई देंगे तो निगम कर्मियों को सुकून मिलेगा। इससे उनका काम का तनाव भी कम होगा।

करीब 15 हजार लोग आते हैं सिविक सेंटर

उत्तरी दिल्ली नगर निगम पर सिविक सेंटर का मालिकाना हक हैं, लेकिन दक्षिणी दिल्ली नगर निगम का मुख्यालय भी यहां से चलता है। ऐसे में यहां पर प्रतिदिन 15 हजार लोगों का आना-जाना होता है। यहां पर दोनों निगम के अलावा आयकर विभाग का कार्यालय भी है। इसके अलावा, एक सभागार भी है, जिसमें निजी कार्यक्रम भी होते रहते हैं।

उल्लेखनीय है कि 28 मंजिला बने सिविक सेंटर में तीन मंजिला भूमिगत पार्किंग भी है। इसमें चारों तरफ हरित इलाका भी है, जिसमें बड़ी मात्रा में पेड़-पौधे लगे हुए हैं। वहीं एक एमपी थियेटर भी है। इसके रखरखाव पर हर साल करीब एक करोड़ रुपये खर्च होते हैं।


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