किसानों के परिवार की जरूरतें पूरी हो: बद्री नारायण चौधरी
केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बावजूद अब एमएसपी पर कानून बनाने जैसे अन्य मांगों को लेकर किसान संगठन आंदोलन जारी रखे हुए हैं।इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ (भाकिसं) ने व्यवहारिक एमएसपी की जरूरत पर जोर दिया है।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बावजूद अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने जैसे अन्य मांगों को लेकर किसान संगठन आंदोलन जारी रखे हुए हैं। इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ (भाकिसं) ने व्यवहारिक एमएसपी की जरूरत पर जोर दिया है। उसके मुताबिक सरकार का मूल्य आंकलन हमेशा बाजार से अधिक होता है। इसलिए गतिरोध है। यह ऐसा हो जिसमें फसलों की लागत निकलने के साथ किसानों के परिवार की जरूरतें पूरी हो सकें। अब इस पर निर्णय लेने का वक्त आ गया है।
भाकिसं ने साथ ही सरकार से कृषि क्षेत्र में सुधार को लेकर गठित होने वाली समिति को "गैर राजनीतिक" बनाने का आग्रह किया है ताकि सियासत की जगह इस मुद्दे का सर्वमान्य हल निकल सकें। राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री ने 19 नवंबर को तीनों कृषि कानून को वापस लेने के फैसले की जानकारी देते हुए कृषि क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए एक कमेटी के गठन की घोषणा की है, जिसके सदस्यों को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।
भाकिसं के महामंत्री बद्री नारायण चौधरी ने कहा कि इसमें वे संगठन और लोग शामिल किए जाएं, जो मुद्दे को "हनुमान जी की पूछ' बनाने की जगह सही में इस मामले का हल निकालने को लेकर गंभीर है। वर्तमान में ऐसे कई स्वयंभू नेता सियासत कर रहे हैं, जिनका जमीन पर वजूद नहीं है। इसके लिए सरकार को खुद से ऐसे संगठनों तथा लोगों का आंकलन करना चाहिए जिनका संगठन मजबूत और प्रभावी हो।
उन्होंने कहा कि फसलों का वाजिब मूल्य भी तय होना चाहिए। भले ही इसके लिए सरकार देशभर में स्थित कृषि विश्वविद्यालयों व खादी ग्रामोद्योग के कृषि विकास केंद्रों के साथ ही किसान संगठनों से विस्तृत विचार विमर्श करें। इस मामले में भारतीय किसान संघ भी सरकार का सहयोग करेगा।