एनसीपीसीआर ने मुख्य सचिव को भेजा नोटिस, पूछा- पलायन के दौरान बच्चे घंटों भूखे क्यों चले पैदल
मुख्य सचिव विजय देव को भेजे नोटिस में कहा गया है कि मीडिया में यह कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान दिल्ली से तमाम लोग अपने गांव की ओर चल पड़े। खाने-पीने की व्यवस्था क्यों नहीं हुई।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस देखते हुए देश में किए गए लॉकडाउन के दौरान दिल्ली से अपने गांव जा रहे लोगों के साथ छोटे-छोटे बच्चों को लेकर द नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट ( एनसीपीसीआर) की चेयरपर्सन प्रियंका कानूनगो ने मुख्य सचिव को नोटिस भेजा है।
खाने-पीने की हुई परेशानी
मुख्य सचिव विजय देव को भेजे नोटिस में कहा गया है कि मीडिया में यह कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान दिल्ली से तमाम लोग अपने गांव की ओर चल पड़े। इनके खाने-पीने की व्यवस्था नहीं हो पाई जिस कारण बड़ी संख्या में लोगों को दिल्ली छोड़कर जाना पड़ा।
बच्चों के अधिकारों की रक्षा नहीं होने पर उठा सवाल
ऐसे में उनके साथ बच्चे भी थे इन बच्चों के अधिकारों की रक्षा नहीं हो पाई। इस मामलों को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव से पूछा गया है कि ऐसा क्यों हुआ।
एक सप्ताह में मांगा जवाब
एनसीपीसीआर ने इस संबंध में मुख्य सचिव को एक सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। एनसीपीसीआर का कहना है कि बच्चों का शोषण नहीं होना चाहिए, जिस तरह से लोग दिल्ली छोड़ने के लिए विवश हुए उसके बाद बच्चे परेशान हुए हैं। हजारों की संख्या में छोटे-छोटे मासूम बच्चे सड़कों पर घंटों चलते हुए दिखाई दिए। यह उनके अधिकारों का हनन है, ऐसा नहीं होना चाहिए।
इधर, दिल्ली सरकार की कर्मचारी यूनियन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराज्यपाल अनिल बैजल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर मांग की है कि जरूरी सेवाओं में लगे अगर किसी कर्मचारी की मौत कोरोना वायरस से होती है तो उसके परिवार को 8 से 10 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए। कर्मचारी यूनियन के महासचिव उमेश बत्र ने आरोप लगाया है कि जरूरी सेवाओं में लगे कर्मचारियों को मास्क, ग्लव्स और सैनिटाइजर भी नहीं दिए जा रहे हैं। इसके चलते कर्मचारी जोखिम लेकर काम करने को मजबूर हैं। बत्र ने कहा कि दिल्ली सरकार के कर्मचारियों के लिए परिवहन के इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं। ऐसे में जरूरी सेवाओं से जुड़े कर्मचारी पैदल सफर कर अपनी ड्यूटी पर पहुंच रहे हैं।