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दुर्लभ रोग के लिए बनी नीति पर बच्चियों ने उठाए सवाल, HC ने जारी किया नोटिस, मांगा जवाब

अधिवक्ता अशोक अग्रवाल की तरफ से दाखिल की गई याचिका में दावा किया गया है कि केंद्र सरकार द्वारा गरीबी रेखा से ऊपर वालों को आर्थिक मदद न देने का फैसला मनमाना और भेदभावपूर्ण है।

By Edited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 08:47 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 09:24 PM (IST)
दुर्लभ रोग के लिए बनी नीति पर बच्चियों ने उठाए सवाल, HC ने जारी किया नोटिस, मांगा जवाब
दुर्लभ रोग के लिए बनी नीति पर बच्चियों ने उठाए सवाल, HC ने जारी किया नोटिस, मांगा जवाब

नई दिल्ली (जेएनएन)। दुर्लभ रोग के उपचार के लिए राष्ट्रीय नीति में गरीबी रेखा से ऊपर वाले नागरिकों के साथ भेदभाव करने पर एक साढ़े चार साल और एक दस साल की बच्ची ने सवाल उठाए हैं। दोनों की तरफ से दाखिल जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से जवाब-तलब किया।

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दुर्लभ रोगों का इलाज काफी महंगा है
न्यायमूर्ति विभू बाखरू ने उच्च व निम्न वर्ग को लेकर भेदभाव करने वाली नीति की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी। याचिका के अनुसार, साढ़े चार साल की बच्ची एमपीएस-1 और दस साल की बच्ची स्पाइनल मस्कुलर एथ्रोपी एसएमए टाइप-1 की दुर्लभ बीमारी से जूझ रही हैं। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि इन दुर्लभ रोगों का इलाज काफी महंगा है और उनके परिजन को इलाज कराने में समस्या हो रही है।

फैसला मनमाना और भेदभावपूर्ण है
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल की तरफ से दाखिल की गई याचिका में दावा किया गया है कि केंद्र सरकार द्वारा गरीबी रेखा से ऊपर वालों को आर्थिक मदद न देने का फैसला मनमाना और भेदभावपूर्ण है। एक तरफ जहां साढ़े चार साल की बच्ची को जेनेटिक (अनुवांशिक) डिसऑर्डर के लिए एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी की जरूरत है। वहीं दूसरी तरफ दस साल की बच्ची को बायोगेन इम द्वारा उत्पादित स्पिनराजा दवा की जरूरत है। इस दवा के इस्तेमाल की अनुमति अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, यूरोप और जापान जैसे देशों में ही है। याचिका में मांग की गई कि पॉलिसी का लाभ गरीबी रेखा से ऊपर जीवन गुजर बसर करने वालों को भी दिया जाए।

क्या है एमपीएस-1 और स्पाइनल मस्कुलर एथ्रोपी
एसएमए टाइप-1 एमपीएस-1 एक दुर्लभ अनुवांशिक विकार है, जो शरीर की कई प्रणालियों को प्रभावित करता है और इससे अंग में क्षति हो जाती है। यह जीन में उत्परिवर्तन के कारण होता है, जो अल्फा-एल-इडुरोनिडेज नामक एंजाइम बनाता है। इस दोष के कारण कोशिकाएं या तो कम मात्रा में एंजाइम उत्पन्न करती हैं या इसे बिल्कुल उत्पन्न नहीं कर सकती हैं। वहीं दूसरी तरफ स्पाइनल मस्कुलर एथ्रोपी एसएमए टाइप-1 एक अनुवाशिक बीमारी है, जो तंत्रिका तंत्र के हिस्से को प्रभावित करती है और स्वैच्छिक मांसपेशी को नियंत्रित करती है।


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