नशे के दलदल से निकाल खेलों से जोड़ गरीब बच्चों की जिंदगी संवार रहा यह नामी पहलवान
पांच बार राष्ट्रीय चैंपियन रहे रेसलर बिरजू पहलवान नशे के दलदल से निकालकर गरीब बच्चों को दे रहे हैं निशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं। जानिये कैसे...
नई दिल्ली [शिप्रा सुमन]। उत्तरी दिल्ली के समयपुर बादली में रहने वाले रेसलर बिरजू पहलवान किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर अपने देश और प्रदेश का नाम रोशन किया है। पहलवान पिता से प्रेरणा लेकर उनके सपनों को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने रेसलिंग की दुनिया में कदम रखा। उन्होंने दिल्ली स्तर पर सात बार स्वर्ण पदक जीता और पांच बार राष्ट्रीय चैंपियन रहे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने एशियन प्रतियोगिता में पदक हासिल किया। इन तमाम उपलब्धियों के अलावा उन्हें दो बार भारत केसरी और हिंद केसरी खिताब से भी नवाजा गया।
पिता और गुरु का सपना किया साकार
मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले बिरजू कहते हैं कि वर्ष 1989 में उनके पिता और गुरु ओम प्रकाश पहलवान ने व्यायामशाला की शुरुआत की थी। उस समय के नामचीन पहलवानों में से एक उनके पिता के संचालन में यह व्यायामशाला चली, लेकिन वर्ष 2012 के बाद जब उनकी तबीयत खराब हुई तब बिरजू पहलवान ने पिता की देखरेख में अपने अभ्यास के साथ-साथ व्यायामशाला का संचालन भी शुरू कर दिया। पिता की मृत्यु के बाद बिरजू ने इसकी पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। उन्होंने बताया कि बेहद कम उम्र में ही जामा मस्जिद से नौ सेरवा, जम्मू से उधमपुर केसरी, महाराष्ट्र से लोकमान्य केसरी जैसे अनेक खिताब उन्होंने जीते हैं। दुबई में आयोजित इंडो-पाक कुश्ती स्पर्धा में पाकिस्तान के पहलवान को 2 मिनट में चित करके उन्होंने पदक अपने नाम किया। आज बिरजू देश के टॉप पहलवानों की सूची में है और पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं।
भटके हुए युवाओं का संवार रहे भविष्य
बिरजू कुशल खिलाड़ी तो हैं ही, समाज में खेल को बढ़ावा देने के लिए भी वे कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि असामाजिक तत्वों के व्यवधान के बावजूद वह व्यायामशाला को सुचारु रूप से चलाने में सफल रहे। उन्होंने ऐसे बच्चों को नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया, जो नशे और दूसरे अपराधिक गतिविधियों से जुड़ गए थे। गुरु ओम प्रकाश व्यायामशाला में खेल से संबंधित क्रियाओं का प्रशिक्षण देते हुए बच्चों के जीवन को लक्ष्य दे रहे हैं। इसके तहत कुश्ती के अलावा मिक्स मार्शल आर्ट व अन्य खेलों से जोड़कर अभावग्रस्त बच्चों में खेल प्रतिभाओं को निखारने में जुटे हैं। उन्होंने बताया कि इलाके के कई बच्चे पढ़ाई छोड़कर गलत संगत में पड़ जाते हैं और नशे का शिकार होकर भविष्य खराब कर लेते हैं। इसीलिए बच्चों को खेल और शिक्षा के लिए प्रेरित करते हैं ताकि खेल के माध्यम से अपना और समाज का भविष्य उज्ज्वल कर सकें।
हिंद केसरी खिताब के साथ बिरजू पहलवान
- 2014 : दिल्ली स्टेट रेसलिंग चैंपियनशिप -रजत पदक
- 2011 : राष्ट्रीय रेसलिंग चैंपियनशिप -कांस्य पदक
- 2011 : दिल्ली स्टेट रेसलिंग चैंपियनशिप - स्वर्ण पदक
- 2010 : नेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप- स्वर्ण पदक
- 2009 : नेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप - रजत पदक
- 2009 : दिल्ली स्टेट चैंपियनशिप - स्वर्ण पदक
- इंडो-पाक कुश्ती स्पर्धा के तहत दुबई में पाकिस्तान के पहलवान को हरा चुके हैं
- हिंद केसरी सम्मान
- भारत केसरी सम्मान
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