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FLASHBACK 2106 : सालभर चली LG-AAP सरकार में जंग, निशाने पर रहे मोदी

राजनीतिक दृष्टि से दिल्ली के लिए 2016 ठीक नहीं रहा। इसका सबसे बड़ा खामियाजा राजधानी की आम जनता को भुगतना पड़ा, क्योंकि विकास कार्य ठप हो गए।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 27 Dec 2016 10:54 AM (IST)Updated: Wed, 28 Dec 2016 07:59 AM (IST)
FLASHBACK 2106 : सालभर चली LG-AAP सरकार में जंग, निशाने पर रहे मोदी

नई दिल्ली (जेएनएन)। राजनीतिक दृष्टि से दिल्ली के लिए 2016 ठीक नहीं रहा। पूरा साल उपराज्यपाल नजीब जंग और दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के बीच जोर आजमाइश में बीता। इसमें अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगी मंत्रियों और आप नेताओं ने सबसे ज्यादा निशाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर साधा। इस दौरान कई बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जुबान भी फिसली।

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वहीं, इसका सबसे बड़ा खामियाजा राजधानी की आम जनता को भुगतना पड़ा, क्योंकि विकास कार्य ठप हो गए। इन सबके बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार की सीबीआइ द्वारा गिरफ्तारी चर्चा में रही।

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वहीं, महिला एवं बाल विकास मंत्री संदीप कुमार की सेक्स स्कैंडल में गिरफ्तारी ने आप सरकार को शर्मसार कर दिया। बावजूद इसके बाद साल का अंत भी चर्चित रहा, जब उपराज्यपाल नजीब जंग ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

विवादों के बीच ऑड-इवेन का सफल आयोजन

दिल्ली सरकार ने 2016 की शुरुआत में 1 जनवरी से 15 जनवरी तक ऑड इवन का आयोजन किया। इसे लेकर अधिकारियों और दिल्ली सरकार के बीच दरार भी आ गई थी जब इसे लागू होने से ठीक एक दिन पहले दिल्ली सरकार में कार्यरत सभी दानिक्स अधिकारी हड़ताल पर चले गए।

इनके साथ आइएएस अधिकारी भी हड़ताल पर चले गए। हड़ताल पर चले जाने का कारण गृह विभाग के दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया जाना था। हड़ताल पर जाने के कुछ दिन बाद दिल्ली सरकार ने गृह विभाग के प्रधान सचिव और स्वास्थ्य सचिव के भी अधिकार कम किए गए।

इसके बाद तत्कालीन परिवहन मंत्री गोपाल राय और पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन के सचिव को अचानक हटा दिया गया। बहरहाल ऑड-इवेन सफल रहा और दिल्ली सरकार ने इससे राजधानी में 25 से 30 फीसद प्रदूषण कम होने का दावा किया।

प्रीमियम बस सेवा मामले में मंत्री गोपाल राय से पूछताछ

जून में ही एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) ने दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री गोपाल राय को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया, लेकिन गोपाल राय ने एसीबी में जाने से पहले ही परिवहन विभाग छोड़ दिया। प्रीमियम बस सेवा के मुद्दे को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल नजीब जंग आमने सामने आ गए।

दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल के खिलाफ दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुला लिया। जिसमें सत्तापक्ष के विधायकों ने उपराज्यपाल के खिलाफ सीधा मोर्चा खोला। इसी दौरान विधानसभा में दिल्ली सरकार में जल मंत्री कपिल मिश्र ने 400 करोड़ के टैंकर घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ रिपोर्ट पेश की, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर आरोप लगाया गया।

इस मामले में नया मोड़ उस समय आ गया जब जून में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ एफआइआर तो हुई ही साथ ही वर्तमान मुख्यमंत्री और जल मंत्री के खिलाफ भी एसीबी ने एफआइआर दर्ज कर ली। इन दोनों नेताओं पर रिपोर्ट देरी से प्रस्तुत करने का एसीबी ने मामला दर्ज करने के बाद जल मंत्री कपिल मिश्र को भी एसीबी ने पूछताछ के लिए तलब कर लिया।

मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को सीबीआइ ने किया गिरफ्तार

जुलाई के पहले सप्ताह में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार को सीबीआइ ने गिरफ्तार कर लिया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कुमार को बेदाग अधिकारी कहा, वहीं नाराज उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सीबीआइ को केंद्र का तोता और एसीबी को मैना कह दिया। इस बीच 6 जुलाई को कुमार को निलंबित कर दिया गया।

संदीप कुमार की मिली आपत्तिजनक सीडी

दिल्ली सरकार में महिला बाल कल्याण मंत्री संदीप कुमार की एक आपत्तिजनक सीडी 31 अगस्त की शाम टीवी चैनलों के जरिये सार्वजनिक हुई तो दिल्ली सरकार में भूचाल आ गया। उसी रात मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने मंत्री की आपत्तिजनक सीडी मिलने के बाद उन्हें कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया। यह तीसरे मंत्री थे, जिन्हें कैबिनेट से हटाया गया था। 34 वर्षीय संदीप कुमार सुल्तानपुर माजरा से विधायक हैं।

भाजपा में बदला निजाम

भाजपा के लिए यह वर्ष उतार चढ़ाव से भरा रहा। वर्ष की शुरुआत से ही संगठन में फेरबदल की चर्चा शुरू हो गई थी। अध्यक्ष पद को लेकर पूरे साल कयास लगते रहे। इन कयासों पर विराम लगाते हुए भाजपा ने साल के अंत में सतीश उपाध्याय की जगह पूर्वाचल का चेहरा और उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। प्रदेश भाजपा ने पहली बार किसी पूर्वाचल नेता को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाया है।

नगर निगम उपचुनाव में मिली कांग्रेस को जीत

दिल्ली में अपनी खोई जमीन वापस पाने की कोशिश में जुटी कांग्रेस के लिए यह वर्ष उम्मीदों भरा रहा। मई में नगर निगम के 13 पदों पर हुए उपचुनाव में पार्टी को पांच सीटों पर मिली जीत संजीवनी से कम नहीं है। इस जीत से कांग्रेसी उत्साहित हैं और नए जोश के साथ कार्यकर्ता नगर निगम चुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं।

पार्टी को उम्मीद है कि संसदीय सचिव बनाए गए आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता जाएगी। इसलिए पार्टी ने इन सीटों पर उपचुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी है।


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