Delhi News: उदयपुर की घटना को मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने इस्लाम विरोधी बताया, आरोपितों को सख्त सजा की मांग
मगर देश को बचाना है और यहां शांति के माहौल में रहना है तो आवश्यक है कि कुछ उदाहरण पेश किए जाए। अन्यथा भारत में कुछ लोग ऐसे हैं जो तालीबानी आइएसआइएस और अफगानी मानसिकता वाले हैं। जिनके कारण भारत में इस प्रकार की घटनाएं हो रही हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। उदयपुर में हुई घटना को मुस्लिम बुद्धिजीवियों और जानकारों ने इस्लाम विरोधी बताया है। घटना को निंदनीय करार देते हुए आरोपितों को सख्त से सख्त देने की वकालत तक की है। इस्लामिक जानकारों का साफ कहना है कि इस तरह की घटना को अंजाम देने वालों को न जो इस्लाम स्वीकार करता है और न ही समाज स्वीकार करता हैं।
कानून तो हिंसा की इजाजत ही नहीं देता है। ऐसे लोग इस्लाम के नाम पर इस्लाम को ही बदनाम करने का कार्य कर रहे हैं। लोगों शांति बनाने की अपील करते हुए ऐसे असमाजिक तत्वों से दूर रहने तक की अपील की है। मौलाना आजाद विश्विद्यालय जोधपुर के पूर्व प्रोफेसर अख्तर उल वासे ने कहा कि यह घटना पूरी तरह से निंदनीय है। हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकती।
अगर, किसी को किसी के शब्दों से आपत्ति है तो उसके लिए न्यायिक प्रक्रिया है हमें उसका सहारा लेना चाहिए। मैं हर तरह की हिंसात्मक प्रवृति के लोगों की कड़े शब्दों में भर्त्सना करता हूं। मेरी लोगों से अपील है कि शांति कायम रखने में सहयोग करें। शांति सद्भाव बिगड़ने से उन लोगों का लाभ होता है जो हमें परेशान देखना चाहते हैं।
मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्विद्यालय हैदराबाद के पूर्व कुलाधिपति फिरोज बख्त अहमद ने इस घटना को निंदनीय बताते हुए इसे इस्लाम विरोध बताया है।
उन्होंने कहा कि इस घटना की जितनी निंदा की जाए उतनी कम है, क्योंकि यह घटना एक शैतानी, गैर इंसानी, गैर इस्लामी गैरकानूनी है। इस घटना को अंजाम देने वाले को कानून की पेंचदिगियों से ऊपर उठकर उसी प्रकार की सजा देनी चाहिए जैसे कुछ अरब देशों में इस्लामी दंड दिया जाता है। यह इस्लाम और इंसानियत दोनों के ही खिलाफ है। इस तरह का कृत्या इंसानियत के लिए भी शर्मसार कर देने वाला है। समाज को सतर्क और जागरू रहने की जरूरत है।