Move to Jagran APP

संग्रहालय सुनाएंगे 1857 की क्रांति की कहानी, किस्से-कहानी में लिपटी है लाल किले की दीवारें

सरकार का उद्देश्य, पर्यटकों को घूमने फिरने के दौरान स्वतंत्रता संग्राम, सेनानियों समेत देश से जुड़ी विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं से रूबरू कराना है।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 02:15 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 10:01 AM (IST)
संग्रहालय सुनाएंगे 1857 की क्रांति की कहानी, किस्से-कहानी में लिपटी है लाल किले की दीवारें

नई दिल्ली (गौतमु कुमार मिश्रा)। फन के लिए वतन की दो गज जमीं को तरसते रहे, 1857 की जंग-ए-आजादी के अंतिम जांबाज मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर द्वितीय की हसरत रंगून में मरने से भले ही अधूरी रह गई हो। मगर बगावत का पुर वकार लाल किला परिसर में संग्रहालय की नई इबारत के जरिए उसे शहादत के 160 वर्षों बाद पूरा कर दिखाया जा रहा है।

loksabha election banner

मुगलों की उत्कृष्ट वास्तुकला की धरोहर लालकिला। जिसे देखने हर दिन बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं। भारत यात्रा पर आने वाले हर प्रवासी का पड़ाव लाल किला जरूर होता है। मेहमान भारत की यात्रा का लाहौरी गेट, दिल्ली गेट, नक्कारखाना, नौबतखाना, दीवान-एआम, दीवान-ए-खास, नहर-ए-बहिश्त, सावन-भादो, मुमताज महल, रंग महल, खास महल, मोती मस्जिद, हयात बख्श बाग की भव्यता हर किसी का दिल जीत लेती है। हर भवन की दीवार किस्से-कहानी से लिपटी हैं। सभी पर मेहनत और गाथाओं की नक्काशी है। हर तरफ कुर्बानियों का...अक्स झलकता है। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम...बहादुर शाह जफर पर चला मुकदमा...आजाद हिंद फौज के सेनानियों पर मुकदमा...बनती-बिगड़ती दिल्ली की हर दास्ता का आख्यान करता है। जिसे अब विभिन्न संग्रहालयों के रूप में दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। केंद्र सरकार लाल किले को संग्रहालय हब के रूप में विकसित कर रही है। सरकार का उद्देश्य, पर्यटकों को घूमने फिरने के दौरान स्वतंत्रता संग्राम, सेनानियों समेत देश से जुड़ी विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं से रूबरू कराना है। संस्कृति मंत्रालय की पहल पर शुरू की जा रही इस योजना को अगस्त माह तक पूरा कर लिया जाएगा इसके लिए किले में तेजी से काम चल रहा है।

एएसआइ अधिकारी बताते हैं कि पहले संग्रहालय में 1857 क्रांति की कहानी बयां करते दस्तावेज प्रदर्शित होंगे। इस संग्रहालय में प्रथम स्वाधीनता संग्राम, 1857 से संबंधित 50 से भी ज्यादा दस्तावेज होंगे। जिसमें तत्कालीन

दिल्ली का मानचित्र, अंग्रेजों से मोर्चा लेते समय की रणनीति संबंधी दस्तावेज, अश्मलेख, चिट्ठियां, चित्र, अभिलेख, पटौदी के नवाब और बहादुरशाह जफर द्वारा इस्तेमाल हथियार तथा दिल्ली पर कब्जे के दौरान जनरल जे निकोलसन द्वारा इस्तेमाल फील्ड ग्लास आदि शामिल होगा। यही नहीं ब्रितानिया हुकूमत के

खिलाफ भारतीयों के विद्रोह को दर्शाती लगभग एक शताब्दी पुरानी 70 पेंटिंग भी प्रदर्शित की जाएगी। मेरठ से क्रांतिकारियों का दल पैदल चलकर दिल्ली आया और बहादुर शाह जफर से मुलाकात की। क्रांतिकारियों ने बहादुर शाह जफर को क्रांति का नेतृत्व करने की गुजारिश की जिसे वो मान गए। किस तरह क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों से लोहा लिया, कहां अंग्रेजों और क्रांतिकारियों के बीच संग्राम हुआ इससे संबंधित दस्तावेज प्रदर्शित होंगे।

नेताजी की यादें

स्वतंत्रता संग्रहालय में नेताजी से जुड़ी यादों को तस्वीरों के जरिए सहेजा जाएगा। अधिकारी बताते हैं कि यहां फौज को संबोधित करते हुए नेताजी, नेहरु और इंदिरा के साथ नेताजी की बातचीत, कहीं लक्ष्मी सहगल के साथ रानी झांसी रेजिमेंट का जायजा लेते नेताजी की तस्वीरें होंगी। देशभक्ति से लबरेज उनके भाषण की प्रतियां भी उपलब्ध होंगी। संग्रहालय में उनकी शानदार कुर्सी, तलवार, उनके द्वारा इस्तेमाल की गई कुछ सिगार पाइप, चश्मा उनके जीवन शैली पर भी प्रकाश डालेगा। संग्रहालय में आजाद हिंद फौज के जांबाज कमांडरों पर चले मुकदमें का डायरोमा भी देखने को मिलेगा। सनद रहे कि यहां कर्नल प्रेम सहगल, मेजर जनरल शहनवाज खान और कर्नल गुरबख्श ढिल्लन पर मुकदमा चला था। जलियांवाला बाग 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के पर्व पर पंजाब में अमृतसर के जलियांवाला बाग में इस दिन ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने गोलियां चला के निहत्थे, शांत बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों को मार डाला था और हजारों लोगों को घायल कर दिया था। इस घटना ने भारत के इतिहास की धारा को बदल कर रख दिया था। इस नृशंस घटना के 99 साल बाद लाल किला में संग्रहालय में जलियांवाला बाग से जुड़े दस्तावेजों को दिखाया जाएगा। अधिकारी बताते हैं कि दस्तावेजों के तौर पर अखबारों में प्रकाशित खबरें, बाग में भीड़ की तस्वीरों का संग्रह भी दर्शाया जाएगा।

बंदूकों से शाही ड्रेस तक

चौथे संग्रहालय में भारतीय युद्ध स्मारक संग्रहालय और पुरातत्व संग्रहालय के दस्तावेजों को प्रदर्शित किया जाएगा। ये दोनों संग्रहालय नौबत खाना और मुमताज महल पैलेस में स्थित हैं। मुमताज महल में सम्राट अकबर और उनके उत्तराधिकारियों के काल की पेंटिंग, पांडुलिपियां, शिलालेख, फरमान आदि से लेकर अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर और उनकी महारानी के परिधान तथा अन्य सामान रखे गए हैं। भारतीय युद्ध संग्रहालय दिल्ली के लाल किले के अंदर मौजूद ‘नौबत खाना’ में स्थित है। इसमें प्रदर्शित मुख्य वस्तुओं में सन 1526 में लड़ी गई पानीपत की लड़ाई की एक चित्रावली है जिसमें दर्शाया गया है कि किस तरह बाबर ने इब्राहम लोदी की सेना को हराकर मुगल साम्राज्य की स्थापना की थी। इसके अलावा यहां रखे सामानों में कटार, कवच आदि भी शामिल हैं।यहां विभिन्न प्रकार के बैज, रिबन, और तुर्की तथा न्यूजीलैंड के सैन्य अधिकारियों की वर्दी और झंडे भी रखे गए हैं। एक प्रसिद्ध सैनिक व सेना के इदार(गुजरात) के महाराजा प्रताप सिंह की पोशाक को भी प्रदर्शित किया गया है। जिसमें कुर्ता, बेल्ट, ट्राउजर, जरी की कढ़ाई वाली पगड़ी, जूते और म्यान के साथ तलवार शामिल हैं। अन्य युद्धों में भारतीय सैनिकों द्वारा प्रयुक्त हथियार, पहले विश्व युद्ध के दौरान प्रयुक्त हथियार और गोला बारूद हैं। मुमताज महल का नामकरण शाहजहां ने 1628 में मुमताज महल के नाम पर किया था। यह शाही हरम का हिस्सा था एवं इसे छोटे रंगमहल के नाम से भी जाना जाता था। सन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों द्वारा इसका प्रयोग कारागार के रूप में किया जाने लगा था। जिस कारण इसका मूल स्वरूप काफी हद तक बदल गया।

संग्रहालय का मकसद भारत की गौरवगाथा से परिचित कराना

एनके पाठक (एएसआइ सुपरिटेंडेट) के मुताबिक, संग्रहालय का मकसद युवा पीढ़ी को भारत की गौरवगाथा, ऐतिहासिक घटनाओं से रूबरू कराना है। दस्तावेजों की जुबानी इतिहास की कहानियों से लोग रूबरू होंगे। प्रत्येक संग्रहालय में दस्तावेजों को घटनाओं के तिथिवार क्रम में कुछ इस कदर प्रदर्शित किया जाएगा कि लोगों को सिलसिलेवार घटनाएं आसानी से समझ आ जाएं।

संग्रहालय बने तो ज्यादा अच्छा

डॉ. सैयद जमाल हसन (पुरातत्वविद् एवं इतिहासकार) ने बताया कि लाल किला भारत की ऐतिहासिक धरोहर है। यहां संग्रहालय बनाना भी अच्छी बात है। इससे हमारी युवा पीढ़ी को इतिहास की बड़ी घटनाओं की जानकारी मिलेगी। लेकिन मुझे लगता है कि लाल किले में यदि इससे जुड़ी घटनाओं पर आधारित संग्रहालय बने तो ज्यादा अच्छा होगा। इसमें शाहजहां से लेकर बहादुर शाह जफर तक के समय के घटनाओं, सामानों एवं गतिविधियों को शामिल किया जा सकता है। यदि यहां सल्तनत या तुगलक पीरियड की या फिर किसी और विषय पर प्रदर्शनी लगाएंगे तो अटपटा लगेगा।

पहला संग्रहालयः मूल अभिलेखीय सामग्री और 1857 क्रांति से संबंधित दस्तावेज होंगे।

दूसरा संग्रहालयः सुभाष चंद्र बोस और भारतीय सेना से जुड़ा होगा।

तीसरा संग्रहालयः जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार और द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की भागेदारी पर आधारित दस्तावेज होंगे।

चौथा संग्रहालयः भारतीय युद्ध स्मारक संग्रहालय और पुरातत्व संग्रहालय की कलाकृतियों को रखा जाएगा। अभी ये दोनों संग्रहालय लाल किले के नौबत खाना और मुमताज महल पैलेस में स्थित हैं।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.