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आत्मा की शांति के लिए दोस्त ने किया घिनौना काम, खुला रहस्य तो चौंक गए परिजन

पहचान छुपाने के लिए शव को जला कर उसके पास अपना मोबाइल व जूते रख दिए। जोगेंद्र ने कबूल किया कि बाद में निर्मला ने उसे पांच हजार रुपये देकर हरिद्वार भेज दिया था।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 09:09 AM (IST)Updated: Wed, 29 Aug 2018 09:56 AM (IST)
आत्मा की शांति के लिए दोस्त ने किया घिनौना काम, खुला रहस्य तो चौंक गए परिजन
आत्मा की शांति के लिए दोस्त ने किया घिनौना काम, खुला रहस्य तो चौंक गए परिजन

सोनीपत (जेएनएन)। अंधविश्वास में धर्म बहन के कहने पर दोस्त की हत्या कर उसका शव जलाने के दोषी व्यक्ति व उसकी धर्म बहन को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। उसने दोस्त की हत्या बहन के मृतक बेटे की आत्मा की शांति के अंधविश्वास में की थी। गुमराह करने के लिए उसने दोस्त के शव को जला दिया था। वहीं, अपने जूते व मोबाइल फोन घटनास्थल पर छोड़ फरार हो गया था।

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घटनास्थल पर उसके जूते व मोबाइल मिलने से उसके खुद के भी परिजन व पुलिस कई दिन तक समझते रहे कि उसकी मौत हो गई है। बाद में डीएनए टेस्ट से मामला उजागर हुआ था। इसी मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सोविका की अदालत ने सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। वहीं, दोनों पर एक लाख व 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

गांव गामड़ी के खेत में 2 फरवरी, 2017 को जली हुई अवस्था में शव मिला था। घटनास्थल से बरामद मोबाइल फोन व जूतों के आधार पर शव की पहचान गांव गामड़ी निवासी जोगेंद्र के रूप में हुई थी। जांच में पता चला था कि जोगेंद्र के साथ आया उसका साथी गढ़ी उजाले खां निवासी केहर सिंह लापता था। केहर सिंह की मां अंगूरी देवी ने पुलिस को बताया कि उसका बेटा दोनों पैरों से दिव्यांग था। वह चल नहीं सकता था। गामड़ी निवासी जोगेंद्र 1 फरवरी को शाम के समय उसे अपने साथ ले गया था।

उसके बाद से उसका कोई सुराग नहीं लग पाया। सदर थाना, गोहाना पुलिस ने मामला दर्ज कर तफ्तीश शुरू कर दी थी। इसी बीच अंगूरी देवी ने सूचना दी कि उसे मालूम हुआ है कि जोंगेद्र जिंदा है। खेत में जो लाश मिली है, वो उसके बेटे की हो सकती है। शव का डीएनए टेस्ट कराया जाए।

पुलिस ने जोगेंद्र व केहर सिंह के परिजनों का डीएनए सैंपल का मिलान शव के सैंपल से किया तो शव केहर सिंह का निकाला। बाद में पुलिस ने जोगेंद्र की धरपकड़ के लिए छापेमारी की तो उसने अदालत में समर्पण कर दिया। पुलिस ने उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ की तो उसने बताया उसने ऐसा गांव गढ़ी उजाले खां निवासी निर्मला के कहने पर किया था। निर्मला झाड़-फूंक का काम करती है।

निर्मला को उसने अपनी धर्म बहन बना रखा था। कुछ दिन पहले निर्मला के बेटे कमल की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। निर्मला ने कमल की आत्मा की शांति के लिए के नाम के किसी व्यक्ति की बलि देने को कहा था। इसी के चलते उसने केहर सिंह को खेत में ले जाकर शराब पिलाने के बाद गला दबा कर मार दिया था।

वहीं, पहचान छुपाने के लिए शव को जला कर उसके पास अपना मोबाइल व जूते रख दिए। जोगेंद्र ने कबूल किया कि बाद में निर्मला ने उसे पांच हजार रुपये देकर हरिद्वार भेज दिया था। सोमवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सोविका की अदालत ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सजा के साथ ही जोगेंद्र पर एक लाख रुपये का जुर्माना व निर्मला पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।


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