लाल किले के दिल्ली गेट पर खोदाई के दौरान मिला मुगलकालीन रास्ता
लाल किले के दिल्ली गेट पर खोदाई के दौरान मुगलकालीन रास्ता मिला है। जिसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इस गेट पर चल रहे खोदाई के काम को रोक दिया है।
नई दिल्ली, संवाददाता। लाल किले के दिल्ली गेट पर खोदाई के दौरान मुगलकालीन रास्ता मिला है। जिसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इस गेट पर चल रहे खोदाई के काम को रोक दिया है। एएसआइ ने इस मामले में विशेषज्ञों से राय ली है। रास्ते में मिले पत्थरों को उखाड़कर उसी स्थान को नौ इंच ऊंचाकर इसी तरह लगा दिया जाएगा। जिस तरह से ये मिले हैं।
लाल किले में प्रवेश के दो गेट हैं। लाहौरी गेट से पर्यटक प्रवेश करते हैं और बाहर आते हैं। जबकि दिल्ली गेट से वीआइपी अंदर जाते हैं या एएसआइ का स्टाफ। इस गेट के अंदर हाथी अहाते को मुगलकालीन रूप में लाने के लिए दो माह पहले खोदाई शुरू की गई थी। इसे ढाई से तीन फीट गहरा किया जा रहा था। इसी दौरान हाथी अहाते के पास 10 मीटर के भाग में पथरीला रास्ता मिला है। इस कारण काम रोक दिया गया था।
एएसआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब इस बारे में फैसला हो गया है। जल्द ही फिर से काम शुरू होगा। काम पूरा होने पर पर्यटकों को आने की भी अनुमति दे दी जाएगी। इस गेट पर बने अहाते का नाम हाथी पोल है।
यहां बने हाथियों की भी एक कहानी है: शाहजहां ने जब लाल किले का निर्माण कराया था तो इस गेट पर पत्थर के दो हाथी बनवाए थे। मगर औरंगजेब ने इसे तोड़वा दिया। 1903 में लार्ड कर्जन ने जब दिल्ली दरबार के समय लाल किला में बड़े स्तर पर संरक्षण कार्य कराया तो उसे खोदाई के दौरान जमीन में पत्थर के हाथियों के अवशेष मिले।
ऐसा कहा जाता है कि लार्ड कर्जन ने खोदाई में मिले हाथी के पत्थरों को जोड़कर एक हाथी तैयार कराया था। जिसे चांदनी चौक स्थित टाउन हाल पर लगवा दिया गया था। उसकी पुराने समय की फोटो भी मौजूद हैं। लाल किले में कर्जन ने 1905 में दो हाथी बनवाए जो आज भी मौजूद हैं।