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Coronavirus Vaccination: दिल्ली में वैक्सीन की सवा लाख से अधिक डोज हुई बर्बाद, जानिये- गाजियाबाद और फरीदाबाद का हाल

Coronavirus Vaccination सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत मिली जानकारी के अनुसार 11 अप्रैल तक दिल्ली में वैक्सीन की एक लाख 35 हजार डोज बर्बाद हुई। अकेले गाजियाबाद में दो फीसद से अधिक वैक्सीन डोज बर्बाद हुई है।

By Jp YadavEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 11:09 AM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 11:09 AM (IST)
Coronavirus Vaccination: दिल्ली में वैक्सीन की सवा लाख से अधिक डोज हुई बर्बाद, जानिये- गाजियाबाद और फरीदाबाद का हाल
अकेले गाजियाबाद में दो फीसद से अधिक वैक्सीन डोज बर्बाद हुई है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण पर दिल्ली और केंद्र सरकार खासा ध्यान दे रही है। आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं कि टीकाकरण कराने वाले बहुत कम मात्रा में संक्रमित हो रहे हैं। ऐसे में वैक्सीन की एक-एक डोज की अहमियत बढ़ जाती है। हालांकि दिल्ली एनसीआर में वैक्सीन की बर्बादी ¨चता का विषय बनी हुई है। सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत मिली जानकारी के अनुसार 11 अप्रैल तक दिल्ली में वैक्सीन की एक लाख 35 हजार डोज बर्बाद हुई। अकेले गाजियाबाद में दो फीसद से अधिक वैक्सीन डोज बर्बाद हुई है। टीकाकरण की शुरुआत से ही दिल्ली में कोविशील्ड और कोवैक्सीन लगाई जा रही है। कोविशील्ड की एक शीशी में पांच एमएल वैक्सीन होती है। जो प्रति व्यक्ति 0.5 एमएल लगाई जाती है। यानी एक शीशी में दस डोज। इसी तरह कोवैक्सीन में भी दस डोज होती हैं। एक बार शीशी खुलने पर करीब पांच घंटे बाद डोज बर्बाद हो जाती है।

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बता दें कि राजधानी दिल्ली में जनवरी महीने में टीकाकरण शुरू हुआ था। शुरुआती तीन दिनों के अंदर ही करीब एक हजार डोज बर्बाद हुई थी। गुरू तेग बहादुर अस्पताल में पहले दिन छह, दूसरे दिन दो और तीसरे दिन तीन डोज बर्बाद हुए। जबकि दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में दस से अधिक डोज बर्बाद हुए। फरवरी महीने में टीकाकरण ने रफ्तार पकड़ी। दिल्ली में कुल 184 केंद्रों पर टीकाकरण हुआ। जिसमें 151 केंद्रों पर कोविशील्ड और 33 पर कोवैक्सीन लगाई जा रही थी। आंकड़ों की मानें तो इस दौरान कोविशील्ड के 4.1 फीसद डोज जबकि कोवैक्सीन के 17.5 फीसद डोज बर्बाद हुए। यानी कोविशील्ड की प्रति एक हजार डोज में से चार डोज बर्बाद हुए थे।

शुरुआत में कोवैक्सीन की एक शीशी में 20 डोज होती थी। एक सेंटर पर सौ लोगों को टीका लगाना होता था। यानी पांच शीशी खोली गई। शुरुआत में लोग सेंटर पर आते नहीं थे, ऐसे में शीशी तो खुल जाती थी लेकिन डोज के बराबर लोग नहीं आते थे। लिहाजा, बर्बादी होती थी। लेकिन अब एक शीशी में 10 डोज आने लगे हैं, जिससे काफी बर्बादी रुकी है। -डा. जुगल किशोर, सामुदायिक आयुर्विज्ञान विभाग, सफदरजंग अस्पताल

बर्बादी रोकने को उठाए गए कदम

  • बहुत से केंद्र टीकाकरण कराने आ रहे लोगों से भरा रहे फार्म।
  • लोगों को अपने साथ कुछ और लोगों को ले आने की भी अपील की जा रही।
  • डोज के बराबर लोगों के मौजूद होने का किया जा रहा इंतजार।

गाजियाबाद में दो फीसद डोज बर्बाद

  • 16 जनवरी से दस अप्रैल तक जिले में 2.92 फीसद वैक्सीन डोज बर्बाद हुई। इसमें 1.48 फीसद कोविशील्ड और 4.37 फीसद कोवैक्सीन शामिल है।
  • अब तक 2,50,023 लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। जिसमें 24,273 स्वास्थ्यकर्मी, 16,205 फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45 वर्ष से अधिक उम्र के 2,09545 लोग शामिल है।
  • खराब होने वाली वैक्सीन से करीब सात हजार लोगों को वैक्सीन लगाई जा सकती थी

फरीदाबाद में सतर्कता

टीकाकरण के नोडल अधिकारी ड\. रमेश चंद ने बताया कि एक शीशी में दस डोज होती हैं और दिन के अंत में यदि टीका लगवाने के लिए 11 व्यक्ति हैं, तो 10 को टीका लगाया जाता है, जबकि शेष एक व्यक्ति को वापस लौटा दिया जाता है। उसे अगले दिन आने के लिए बोला जाता है।


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