मूडीज की रेटिंग में सुधारों से तेज होगा विदेशी पूंजी निवेश का प्रवाह
विदेशी पूंजी निवेश उसी देश में अधिक होता है जिस मुल्क की रेटिंग बेहतर होती है। विदेशी पूंजी निवेश के प्रवाह में तेजी आएगी।
गुरुग्राम (जेएनएन)। अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने देश की रेटिंग में सुधार कर इसे बीएए-3 से बीएए-2 कर दिया है। इससे साफ है कि भले ही कुछ लोग आर्थिक सुधार की दिशा में लिए गए फैसलों का विरोध कर रहे हों, मगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन निर्णयों की सराहना हो रही है। आखिर रेटिंग में सुधार से देश को क्या लाभ होगा? इसके दूरगामी परिणाम क्या सामने आएंगे? ऐसे ही कई सवालों को लेकर दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता आदित्य राज ने मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन आरसी भार्गव से विस्तृत बातचीत की। पेश हैं इसके मुख्य अंश:
1. मूडीज की रेटिंग में सुधार को आप किस नजरिये से देख रहे हैं?
-ग्लोबल एजेंसी मूडीज ने रेटिंग बेहतर करके यह प्रमाणित किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने आर्थिक सुधार की दिशा में साहसिक निर्णय लिए हैं। इन फैसलों से देश की अर्थव्यवस्था तेजी से मजबूत हो रही है। रेटिंग में सुधार का मतलब है कि देश की छवि बेहतर हो रही है।
2. रेटिंग में सुधार से विदेशी पूंजी निवेश के ऊपर क्या असर होने वाला है?
-देखिए, विदेशी पूंजी निवेश उसी देश में अधिक होता है जिस मुल्क की रेटिंग बेहतर होती है। रेटिंग में सुधार से विदेशी पूंजी निवेश के प्रवाह में तेजी आएगी। पूंजी निवेश बढ़ने से रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। रेटिंग में सुधार नोटबंदी, जीएसटी के साथ ही इज आफ डूईंग बिजनेस की दिशा में कदम उठाने की वजह से हुआ है।
3. नोटबंदी और जीएसटी लागू होने के बाद क्या औद्योगिक विकास के ऊपर असर हुआ है?
-राष्ट्र को प्रथम मानकर ही प्रधानमंत्री ने नोटबंदी जैसा कठोर फैसला लिया। देश को सही रास्ते पर लाने के लिए यह आवश्यक था। देश में दो अर्थव्यवस्था एक साथ चल रही थीं। एक सरकार की अर्थव्यवस्था और दूसरी काले धन की। इस काले धन की अर्थव्यवस्था को खत्म करने के लिए नोटबंदी के अलावा दूसरा कोई हथियार नहीं था।
4. क्या आपको लगता है कि देश में भ्रष्टाचार के ऊपर काफी हद तक लगाम लग गई?
- केंद्र सरकार के स्तर पर काफी हद तक लगाम लग गई है। राज्यों के स्तर पर काफी प्रयास करने की आवश्यकता है। जब तक सामूहिक स्तर पर प्रयास नहीं होगा, तब तक तेजी से आर्थिक विकास नहीं दिखाई देगा। ऐसे में देश में हर किसी को अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।