Rapid Rail: कुतुबमीनार से छोटा होगा रैपिड रेल का मोनोपोल, जानिये- इसकी ऊंचाई
Delhi Meerut Rapid Rail Transit हाईटेंशन तारों को ऊंचा करने के लिए लगाए जा रहे मोनोपोल का वजन करीब 56 टन का होगा। इसे लगाने के लिए 300 और 500 टन की दो क्रेनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Delhi Meerut Rapid Rail Transit: देश की राजधानी दिल्ली में सबसे ऊंचे हाईटेंशन विद्युत ट्रांसमिशन मोनोपोल की स्थापना सराय काले खां में की जा रही है। दरअसल, यहां पर हाईटेंशन लाइन के तार दिल्ली-गाजियाबाद- मेरठ रैपिड रेल ट्रांजिट कॉरिडोर (Delhi-Ghaziabad- Meerut Rapid Rail Transit Corridor) परियोजना के बीच में आ रहे हैं। ऐसे में इसे ऊंचा करने के लिए सराय काले खां में दिल्ली ट्रांस्को लिमिटेड के सहयोग से स्पेशल विद्युत ट्रांसमिशन मोनोपोल स्थापित किए जा रहे हैं। इनकी ऊंचाई 62 मीटर है, जो कुतुबमीनार से सिर्फ 11 मीटर कम है। इस तरह के यहां कुल सात मोनोपोल स्थापित किए जाएंगे।
दिल्ली- मेरठ आरआरटीएस परियोजना में दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड की 220 किलोवाट (डबल सर्किट) ट्रांसमिशन ओवरहेड लाइन कारिडोर में बाधा बन रही थी। इन लाइनों को ऊंचा करने के लिए अब तक के सबसे ऊंचे मोनोपोल लगाए गए हैं। ये अन्य विद्युत ट्रांसमिशन टावर की तरह जगह नहीं घेरते, बल्कि ये तीन गुना तीन मीटर की जगह ही घरेंगे। सराय काले खां के पास आरआरटीएस कारिडोर, सराय काले खां स्टेशन के बाद बारापुला फ्लाईओवर के ऊपर से गुजर रहा है, जिनके बीच में यह लाइन आ रही है। बता दें कि सराय काले खां में हाईटेंशन तारों के मोनोपोल बनेंगे। कुतुबमीनार की ऊंचाई है 73 मीटर जबकि इसकी ऊंचाई 62 मीटर होगी।
56 टन के होंगे मोनोपोल
हाईटेंशन तारों को ऊंचा करने के लिए लगाए जा रहे मोनोपोल का वजन करीब 56 टन का होगा। इसे लगाने के लिए 300 और 500 टन की दो क्रेनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम ( एनसीआरटीसी) ने इसके लिए एक खास डिजाइन के मोनोपोल की व्यवस्था की है, जो कम जगह में स्थापित होकर भी इन तारों को अधिक ऊंचाई देता है। केंद्र सरकार के केंद्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान ने भी इस मोनोपोल को प्रमाणित किया है।
कॉरिडोर के रास्ते में 44 हाईटेंशन लाइनें होंगी शिफ्ट
दिल्ली से मेरठ के बीच रैपिड रेल के लिए बिजली के 44 हाईटेंशन तारों को शिफ्ट करना होगा। यह काम दिल्ली ट्रांस्को लिमिटेड, बीएसईएस, भारतीय रेलवे, यूपीपीटीसीएल, पावरग्रिड, एनटीपीसी, पावर लिंक सहित विभिन्न विभागों के सहयोग से किया जा रहा है। इनमें से अब तक 32 का सफल स्थानांतरण किया जा चुका है।
सुधरेगी सैकड़ों कॉलोनियों की बिजली व्यवस्था
दिल्ली-मेरठ-कॉरिडोर के आसपास सैकड़ों कॉलोनियां बसी हुई हैं। इनमें बिजली नेटवर्क से जुड़ी ये हाईटेंशन लाइनें दशकों पुरानी हैं। इसलिए इनमें बहुत बार तकनीकी खामी भी आती है, लेकिन अब इन्हें नए ढंग से शिफ्ट किया जा रहा है। इससे नेटवर्क मजबूत होने के साथ ही आसपास की कालोनियों में निर्बाध विद्युत आपूर्ति भी हो सकेगी।
पुनीत वत्स (मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, एनसीआरटीसी) का कहना है कि हमारा प्रयास दिल्ली-एनसीआर में परिवहन व्यवस्था को सुगम और तीव्र बनाना ही नहीं,बल्कि सुरक्षित एवं पर्यावरण अनुकूल बनाना भी है। इसी दिशा में हम बेहतर से बेहतर तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं।