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मिट्राक्लिप इंप्लांट से हृदय प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे मरीज को मिला जीवन

हृदय प्रत्यारोपण सूची के मरीज़ों को अगर चिकित्सा मिलती है तो पांच में से एक मरीज़ प्रतीक्षा सूची से बाहर भी हो सकते हैं।शोध से पता चला है कि प्रत्यारोपण के लिए हृदय मिलने तक हृदयाघात से मरीज़ को जान न खोनी पड़े इसलिए मिट्राक्लिप का उपयोग करना सुरक्षित है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 07:18 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 07:18 PM (IST)
मिट्राक्लिप इंप्लांट से हृदय प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे मरीज को मिला जीवन
तीन महीने से प्रत्यारोपण के लिए हृदय मिलने का इंतजार कर रहा था 41 वर्षीय मरीज।

नई दिल्ली [राहुल चौहान]। चेन्नई के रहने वाले 41 वर्षीय ह्रदयरोगी जादा कामेस्वराराव का सफलतापूर्वक मिट्राक्लिप प्रत्यारोपण कर अपोलो अस्पताल के डाक्टरों ने जान बचाई है। मरीज तीन महीनों से अधिक समय से हृदय प्रत्यारोपण के लिए विभिन्न अस्पतालों में इंतज़ार कर रहा था। प्रक्रिया के कुछ दिनों के भीतर ही यह व्यक्ति अपने पैरों पर घर वापस गया। डाक्टरों का कहना है कि अब शायद उसे हृदय प्रत्यारोपण की भी आवश्यकता नहीं हो सकती।

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हृदय प्रत्यारोपण सूची के मरीज़ों को अगर यह चिकित्सा मिलती है तो पांच में से एक मरीज़ प्रतीक्षा सूची से बाहर भी हो सकते हैं। शोध से पता चला है कि प्रत्यारोपण के लिए हृदय मिलने तक हृदयाघात से मरीज़ को अपनी जान न खोनी पड़े इसलिए मिट्राक्लिप का उपयोग करना सुरक्षित है। साथ ही इससे मरीज़ में कार्यात्मक सुधार भी हो सकता है और वह प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची से बाहर निकल सकता है। अंतरराष्ट्रीय मिट्राब्रिज रजिस्ट्री के 119 रोगियों के डेटा से पता चला कि हृदय प्रत्यारोपण की सूची में शामिल गंभीर रूप से बीमार रोगियों के 87.5 फीसद मामलों में मेट्राक्लिप प्रत्यारोपण से सफलता हासिल की गई। वहीं, 100 फीसद मामलों में मरीज़ प्रक्रिया के बाद 30 दिन जीवित थे।

क्या है मेट्राक्लिप

अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलाजिस्ट डा साई सतीश ने बताया कि मिट्राक्लिप एक छोटी धातु की क्लिप है जिसके साथ पालिएस्टर फैब्रिक होता है। लीक हुए माइट्रल वाल्व को ठीक करने के लिए इस क्लिप को सही जगह में डाला जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि रक्त का प्रवाह सही दिशा में है। हार्ट फेलियर के मरीज़ों के लिए यह विश्व स्तर पर स्वीकृत प्रक्रिया है। मध्यम से गंभीर या गंभीर प्राथमिक और माध्यमिक माइट्रल रेगुर्गिटेशन वाले रोगी, जिनमें चिकित्सा उपचारों से भी सुधार नहीं हो पा रहा है वह इस न्यूनतम इनवेसिव समाधान का विकल्प चुन सकते हैं। भारत में मिट्राक्लिप प्रत्यारोपण तीन साल पहले ही शुरू हुआ है। साथ ही अपोलो अस्पताल मेट्राक्लिप प्रत्यारोपण की मान्यता वाले अस्पतालों में से एक है।

अमेरिका में हुआ था पहला मेट्राक्लिप प्रत्यारोपण

पहला मिट्राक्लिप प्रत्यारोपण 2003 में अमेरिका के एक मरीज पर किया गया था। इसे यूरोप में 2008 में और अमेरिका में 2013 में उपलब्ध कराया गया। अब 50 से अधिक देशों में एक लाख से अधिक रोगियों पर मिट्राक्लिप प्रक्रिया की गयी है। जिनकी पारंपरिक ओपन-हार्ट सर्जरी नहीं की जा सकती ऐसे कमज़ोर और बुजुर्ग मरीज़ों के लिए मिट्राक्लिप इम्प्लांट एक बहुत बड़ा योगदान है। पारंपरिक सर्जरी की तुलना में मिट्राक्लिप प्रक्रिया के बाद बार-बार अस्पताल में भर्ती होने से बचा जाता है। मरीज़ बहुत कम समय में ठीक हो जाते हैं और अपने सामान्य जीवन को फिर से शुरू कर पाते हैं।


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