Move to Jagran APP

न्यूनतम मजदूरी मामलाः अब मोदी सरकार की राह पर चलेगी केजरीवाल सरकार

हाई कोर्ट ने 06 अगस्त को दिल्ली सरकार को तगड़ा झटका देते हुए उनके द्वारा 2017 में लागू की गई न्यूनतम वेतन की अधिसूचना को खारिज कर दिया था।

By Amit SinghEdited By: Published: Thu, 09 Aug 2018 03:20 PM (IST)Updated: Thu, 09 Aug 2018 03:20 PM (IST)
न्यूनतम मजदूरी मामलाः अब मोदी सरकार की राह पर चलेगी केजरीवाल सरकार

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली हाई कोर्ट से न्यूनतम मजदूरी अधिसूचना खारिज होने के बाद अब दिल्ली की केजरीवाल सरकार, केन्द्र की मोदी सरकार के राह पर चलने की तैयारी में है। दिल्ली सरकार ने फैसला लिया है कि केन्द्र सराकर ने जो न्यूनतम मजदूरी अधिसूचना लागू की है। उसी के आधार पर दिल्ली सरकार भी अधिसूचना तैयार कर उसे लागू कराएगी।

loksabha election banner

केन्द्र की तर्ज पर न्यूनतम वेतन अधिसूचना तैयार करने के लिए दिल्ली सरकार अब इसकी समिती में हर वर्ग से 10-10 प्रतिनिधियों को शामिल करेगी। इससे अधिसूचना तैयार करने में सरकार ज्यादा से ज्यादा लोगों की राय ले सकेगी। गुरुवार को दिल्ली सरकार के श्रम मंत्री गोपाल राय ने इस संबंध में सचिवालय में 25 ट्रेड यूनियनों के साथ बैठक की है।

इसी बैठक में न्यूनतम वेतन अधिसूचना लागू करने के लिए केन्द्र की तर्ज पर प्रस्ताव तैयार कर उसे लागू कराने का फैसला लिया गया है। बैठक में शामिल सभी पक्षों ने केन्द्र के मिनिमम वेज पॉलिसी को आपनाने का फैसला लिया है। मामले में अंतिम निर्णय लेने के लिए 14 अगस्त को दोपहर 12 बजे दिल्ली सचिवालय में दोबारा बैठक की जाएगी।

इस मौके पर श्रम मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार ने कर्मचारियों की न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के लिए मार्च-2017 में मिनिमम वेज लागू किया था। इसके बाद अप्रैल-2017 में केन्द्र सरकार ने भी उसी आधार पर मिनिमम को बढ़ाया था। गोपाल राय के अनुसार हाई कोर्ट द्वारा न्यूनतम मजदूरी अधिसूचना निरस्त किए जाने से मजदूर काफी दुखी हैं। उन्हें उनका अधिकारी और सम्मानजनक जीवन देने के लिए दिल्ली सरकार प्रतिबद्ध है। इसलिए सरकार सभी विकल्पों पर काम कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती है सराकर

हाई कोर्ट द्वारा न्यूनतम अधिसूचना निरस्त करने के आदेश को दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दे सकती है। गुरुवार को सचिवालय में ट्रेड यूनियनों संग हुई बैठक में यूनियन के प्रतिनिधियों की तरफ से इस पर भी राय दी गई है। इस पर श्रम मंत्री गोपाल राय ने कहा कि 14 अगस्त को होने वाली बैठक में इस पर भी निर्णय लिया जाएगा।

हाई कोर्ट ने 06 अगस्त को खारिज की थी अधिसूचना

हाई कोर्ट ने 06 अगस्त को दिल्ली सरकार को तगड़ा झटका देते हुए उनके द्वारा 2017 में लागू की गई न्यूनतम वेतन की अधिसूचना को खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट ने न्यूनतम वेतन सलाहकार समिति बनाने के लिए जारी की गई अधिसूचना को भी गलत बताया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गरिमा मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने कहा था कि सरकार के दोनों निर्णय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं। यह निर्णय लेते समय पर्याप्त संसाधन भी ध्यान में नहीं रखे गए।

बता दें कि दिल्ली सरकार ने दो अधिसूचनाएं जारी की थी। एक के जरिये न्यूनतम वेतन सलाहकार समिति बनाने के लिए कहा गया था। दूसरी में न्यूनतम वेतन के संबंध में निर्देश दिए गए थे। इसके अनुसार, अकुशल कर्मचारी के लिए 13,500, अर्ध कुशल के 14,698 और कुशल कर्मचारी के लिए 16182 रुपये प्रति माह न्यूनतम वेतन के रूप में तय किए गए थे।

इन अधिसूचनाओं के बाद विभिन्न औद्योगिक इकाइयों की तरफ से अलग-अलग याचिकाएं हाई कोर्ट में दायर की गई थीं, जिनमें आरोप लगाया गया था कि न्यूनतम वेतन तय करने से पहले उनका पक्ष नहीं सुना गया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.