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Delhi News: प्रवासी पक्षियों को रास आई दिल्ली की आबोहवा, बायोडायवर्सिटी पार्कों में आने का सिलसिला शुरू

Delhi नवंबर माह के आखिरी दिनों में दिल्ली के बायोडायवर्सिटी पार्कों में कई प्रकार के प्रवासी पक्षी देखने को मिल रहे हैं। दिल्ली में आने वाली पक्षी मुख्य रूप से साइबेरिया चीन साउथ अमेरिका और न्यूजीलैंड से आते हैं।

By Shipra SumanEdited By: Pradeep Kumar ChauhanPublished: Sat, 26 Nov 2022 04:44 PM (IST)Updated: Sat, 26 Nov 2022 04:44 PM (IST)
Delhi News: प्रवासी पक्षियों को रास आई दिल्ली की आबोहवा, बायोडायवर्सिटी पार्कों में आने का सिलसिला शुरू
Delhi: दिसंबर में भी पक्षियों का आगमन होगा।

 नई दिल्ली [शिप्रा सुमन]। बाहरी दिल्ली में हर बार सर्दियों की शुरूआत के साथ ही दिल्ली के बायोडायवर्सिटी पार्कों में प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस बार भी अक्टूबर से ही पक्षियों का आगमन शुरू हो चुका है। नवंबर माह के आखिरी दिनों में दिल्ली के बायोडायवर्सिटी पार्कों में कई प्रकार के प्रवासी पक्षी देखने को मिल रहे हैं। दिल्ली में आने वाली पक्षी मुख्य रूप से साइबेरिया, चीन, साउथ अमेरिका और न्यूजीलैंड से आते हैं।

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सबसे पहले पहुंचा ग्रेट कारमोरेंट 

सबसे पहले आने वाले प्रवासी पक्षियों में ग्रेट कारमोरेंट हैं। हर वर्ष यह पक्षी सबसे पहले यहां के बायोडायवर्सिटी पार्कों में दस्तक देते हैं। इस बार भी इनका सबसे पहले छह अक्टूबर को आगमन हो गया था। इसके अलावा फेरूजिनस पोचार्ड, यूरेसियन कूट, कामन मूरहेन, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, ग्रे हेडेड फ्लाईकेचर, रेड थ्रोटेड फ्लाईकेचर, स्पाटबिल्ड डक, पर्पल स्वामहेन, टफटेल पोचार्ड जैसे पक्षियों का आगमन हो चुका है। दिसंबर में भी पक्षियों का आगमन होगा।

बायोलाजिकल ट्रैप 

दिल्ली में प्रदूषण का प्रभाव भी काफी है। ऐसे में ऐसा हो सकता है कि प्रवासी पक्षी अपना रास्ता भटक कर बायोलाजिकल ट्रैप का शिकार हो जाएं। दिल्ली के सभी बायोडायवर्सिटी पार्कों के इंचार्ज और विज्ञानी डा. फैयाज खुदसर ने बताया कि ऐसा देखा गया है कि दिल्ली में आने से पहले कुछ पक्षी यहां रेकी (मुआयना) करने आते हैं। उसके बाद पक्षियों का झुंड यहां प्रवास करता है। इस बीच स्माग के कारण ऐसा हो सकता है कि उन्हें रास्ता समझ न आए और वह खतरे वाले स्थान पर पहुंच जाएं।

क्लाइमेट चेंज की वजह से होती है देरी

वेटलैंड जमने के बाद प्रवास करते हैं पक्षी डा. फैयाज के अनुसार सर्दियां शुरू होते ही इन प्रवासी पक्षियों के स्थानीय वेटलैंड जम जाते हैं तो उनका भोजन भी समाप्त हो जाता है। इसलिए वह ऐसे भूमि की तलाश करते हैं, जहां अच्छा भोजन मिल सके। वह तीन महीने गुजारते हैं। फिर वह वापस जाकर वहां अंडा देते हैं। क्लाइमेट चेंज की वजह से वह कई बार वह देर से आते हैं क्योंकि बर्फ देर से जमते हैं और वह वहां से देर से निकलते हैं।

राजस्थान के रास्ते दिल्ली में करते है प्रवेश

पक्षी माइग्रेटी रूट अथार्त साइबेरिया से अफगानिस्तान, पाकिस्तान से होते हुए राजस्थान के रास्ते दिल्ली में प्रवेश करते हैं। ऐसा देखा गया कि कम अवधि में कहीं अधिक वर्षा होती है और रास्ते में कहीं तालाब या वाटर बाडी मिल जाती है तो पक्षी वहीं रुक जाते हैं। क्योंकि पक्षी अपनी ऊर्जा बचाते हैं। स्थलीय पक्षियों में ब्लैक रेड स्टार्ट ने इस वर्ष 15 अक्टूबर को, पाराडाइज फ्लाइकेचर 11 अक्टूबर को, ग्रे हेडेड फ्लाईकेचर ने तीन नवंबर को पार्कों में दस्तक दी थी।

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