मेट्रो के परिचालन में अब नहीं आएगी कोई दिक्कत, डीएमआरसी ने तीन पुराने कॉरिडोर बदलने की तैयारी की
डीएमआरसी इस योजना पर 33.82 करोड़ खर्च करेगा। डीएमआरसी का कहना है कि ओएचई में खराबी आने पर उस मेट्रो कॉरिडोर के बड़े हिस्से में बिजली आपूर्ति ठप करनी पड़ती है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। तकनीकी खराबी के कारण मेट्रो का परिचालन प्रभावित होने की घटनाएं अक्सर सामने आती हैं। परेशानी तब ज्यादा होती है जब ओएचई (Over Head Equipment) में खराबी आ जाए। ऐसी सूरत में कई बार घंटे परिचालन प्रभावित होने की घटनाएं हो चुकी हैं। इसके मद्देनजर दिल्ली मेट्रो रेल निगम (DMRC) ने तीन पुराने मेट्रो कॉरिडोर (रेड, येलो व ब्लू लाइन) पर ट्रैक्शन सिस्टम में बदलाव करने की तैयारी की है। इन तीनों कॉरिडोर पर ऐसे अत्याधुनिक उपकरण लगाए जाएंगे जिससे ओएचई खराब होने पर मेट्रो कॉरिडोर के बड़े हिस्से पर बिजली आपूर्ति बाधित नहीं होगी। इसलिए मेट्रो का परिचालन ज्यादा प्रभावित नहीं होगा, बल्कि उसका असर कॉरिडोर के कम हिस्से पर होगा।
ट्रैक्शन सिस्टम में बदलाव
डीएमआरसी इस योजना पर 33.82 करोड़ खर्च करेगा। डीएमआरसी का कहना है कि ओएचई में खराबी आने पर उस मेट्रो कॉरिडोर के बड़े हिस्से में बिजली आपूर्ति ठप करनी पड़ती है। इस वजह से उस हिस्से पर सिंगल लाइन पर परिचालन करना पड़ता है। इस वजह से परिचालन प्रभावित होने का असर अधिक दिखता है। इस वजह से ट्रैक्शन सिस्टम में बदलाव करने का फैसला किया गया है।
यात्रियों को असुविधा होगी कम
इस योजना पर अमल के बाद ओएचई में खराबी होने पर घटना स्थल के आसपास के एक-दो स्टेशनों के बीच ही परिचालन पर असर पड़ेगा। बाकी हिस्से पर परिचालन ठीक हो सकेगा। इससे यात्रियों को असुविधा कम होगी। रेड लाइन (रिठाला-दिलशाद गार्डन), ब्लू लाइन (द्वारका सेक्टर 21-नोएडा सिटी सेंटर-इलेक्ट्रॉनिक सिटी) व येलो लाइन (समयपुर बादली-हुडा सिटी सेंटर) ये तीनों पुराने कॉरिडोर हैं।
यह देखा गया है कि ओएचई में खराबी की सबसे ज्यादा घटनाएं इन कॉरिडोर पर ही होती हैं। कई बार तो महत्पूर्ण अवसर पर ओएचई में खराबी के कारण यात्रियों को घंटो परेशान होना पड़ा है। डीएमआरसी की नई पहल से यात्रियों को आने वाले दिनों में राहत मिल सकती है। हालांकि किस तरह के उपकरण लगाए जाएंगे अभी यह जानकारी डीएमआरसी ने नहीं दी है।